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एन. रघुरामन का कॉलम: त्योहारों में सबसे अहम होता है अपनों के साथ होना Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  त्योहारों में सबसे अहम होता है अपनों के साथ होना Politics & News

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18 मिनट पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

मैं उस दिन को नहीं भूल सकता जब मैं बाथरूम से भागता हुआ बाहर चला आया था और मेरी ठुड्डी पर टूथपेस्ट लगा था। क्योंकि मैंने अपनी मां को यह कहते हुए सुना था कि जल्दी ब्रश करके इधर आओ, देखो पापा तुम्हारे लिए क्या लाए हैं। लेकिन मुझे देखते ही मां ने कहा- छी! पूरे चेहरे पर पेस्ट लगा है। जल्दी जाकर मुंह धोकर आओ।

मैंने मां के पल्लू से मुंह पोंछ लिया, टूथब्रश को एक तरफ फेंक दिया और उस उपहार पर झपट पड़ा। लेकिन इस बार पिता ने मुझे रोक दिया और एक ऐसी आवाज में- जिसमें सख्ती थी, लेकिन प्यार भी घुला हुआ था- उन्होंने मुझसे कहा, नहीं पहले मुंह धो लो, फिर आना।

हम तब तक इंतजार करेंगे। मैं स्क्रीन पर किसी फिल्म के दृश्य के बदलने से भी तेज गति से लौट आया। संभवत: लाइफबॉय वालों ने अपना मशहूर स्लोगन ‘बंटी, तेरा साबुन स्लो है क्या?’ ऐसे ही किसी दृश्य से बनाया होगा।

बचपन की यह याद मेरे मन में तब कौंध गई, जब मैंने अमेरिका के टेक्सास की 49 वर्षीय बेट्सी मोड्रेजेव्स्की के बारे में पढ़ा। उन्हें ‘मिसेज क्लॉज’ के रूप में प्रदर्शित किया जा रहा है और वे क्रिसमस से पहले अमेरिकी बच्चों में बेहद लोकप्रिय हो चुकी हैं।

सफेद नकली फर की किनारी के साथ सैटिन के लाल परिधान में जब बेट्सी चेहरे पर चौड़ी मुस्कान लिए किसी प्राथमिक स्कूल, बड़े रिटेल स्टोर या पुनर्वास केंद्र में प्रवेश करती हैं, तो पृष्ठभूमि में घोषणा होती है- मिसेज क्लॉज आ गई हैं और उनके पास हमारे लिए एक बड़ी खबर है।

बच्चे- जिनमें से कुछ उस समय स्टोर के किसी कोने में केक खा रहे होते हैं- वो चेहरों पर लगी क्रीम के साथ ही उनकी ओर दौड़ पड़ते हैं। वे ऐलान करती हैं- बड़ी घोषणा यह है कि तुम सब ‘नाइस लिस्ट’ में हो और तुम्हें सांता क्लॉज से तोहफा मिलने वाला है। और जब आंखों में चमक लिए कोई मासूम बच्चा उनसे पूछ बैठता है- सांता क्लॉज कहां हैं? तब वे मुस्कराते हुए जवाब देती हैं- वो घर पर आराम कर रहे हैं और क्रिसमस की पूर्व संध्या पर आएंगे।

सेंट निक की धर्मपत्नी की बढ़ती लोकप्रियता न केवल इन देशों में महिलाओं को आवाज दे रही है, बल्कि बच्चों के मन में सांता क्लॉज की पारंपरिक कल्पना को भी बदल रही है। उसकी जगह अब क्यूट लगने वाली मां की परिकल्पना उनके मन में उभर रही है।

बेट्सी जैसी महिलाओं की लोकप्रियता इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि समाज अब रोजमर्रा की जड़ता से बाहर निकलना चाहता है और मातृत्व के गुणों को सामने लाकर सकारात्मक महिला रोल मॉडलों को भी हमारे सामने रख रहा है।

मिसेज क्लॉज बनने के कोई सही या गलत नियम नहीं हैं। एकमात्र नियम यही है कि उन्हें बच्चों से प्रेम होना चाहिए, दिल में क्रिसमस की सच्ची भावना होनी चाहिए और उन्हें ऐसी स्मृतियां रचनी चाहिए, जो जीवन भर हमारे साथ रहें। इसके अलावा वे जैसी चाहें वैसी हो सकती हैं।

जहां कई जगहों पर मिसेज क्लॉज अब भी सांता क्लॉज के साथ दिखाई देती हैं, वहीं इस सीजन में बेट्सी जैसी कुछ प्रस्तुतियां पूरी तरह एकल रही हैं। मिसेज क्लॉज अब अधिक सशक्त हैं, वे मैराथन दौड़ती हैं और कई परिवार अपनी बेटियों के लिए इसी तरह के उदाहरण चाहते हैं।

यही भावना उत्सवों की आत्मा को दर्शाती है। जहां परंपराएं, भोजन, संगीत उत्सव की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं, वहीं किसी त्योहार का वास्तविक मूल्य साझा अनुभव और मानवीय रिश्तों को मजबूत करने में ही निहित होता है। यदि आप भी इस क्रिसमस या नए साल पर कोई आयोजन करने की योजना बना रहे हैं, तो यहां कुछ सुझाव हैं :

1. मिलकर तैयारी करें : कई बार तैयारी की प्रक्रिया- चाहे वह खाना बनाना हो या सजावट करना- ही बच्चों के साथ सबसे अच्छा जुड़ाव पैदा करती है।

2. कहानियां साझा करें : इस समय का उपयोग साझा यादों को दोहराने या बीते साल पर विचार करने में करें। इससे परिवार में अपनों के साथ भावनात्मक रिश्ते और गहरे होते हैं।

3. सम्पर्क बनाए रखें : जो लोग मौजूद नहीं हो सकते, उनके लिए कोई वीडियो या वीडियो कॉल या सूझबूझ भरा संदेश यह सुनिश्चित करता है कि वे भी आपके सर्कल का हिस्सा बने रहें।

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