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- Working Women Are Writing Their Own Fashion Statements This Festive Season, N. Raghuraman’s Column
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
मानसून 30 सितंबर 2025 को समाप्त हो गया और इस नवरात्र कम से कम कामकाजी महिलाओं के लिए तो फैशन और अधिक उभरकर सामने आया। यदि आप भी उनमें से हैं, तो सोच रही होंगी कि इस साल का विंटर फैशन क्या है? जैसे मानसून ने मौसम विभाग की आधिकारिक घोषणा अनसुनी कर अक्टूबर के मध्य तक रहने की धमकी दी है, वैसे ही 1990 के दशक का फैशन भी फिर से लौट आया है। जी हां, 2025 फिर से ट्राउजर सूट का साल है। इस दावे के समर्थन में यहां कुछ कारण पेश हैं।
नासा ने दो हफ्ते पहले 10 नए अंतरिक्ष यात्रियों को पेश किया, जिनमें वैज्ञानिक, इंजीनियर और टेस्ट पायलट शामिल हैं। चंद्रमा और संभवतः मंगल ग्रह पर खोज के लिए 8 हजार आवेदकों में से इन्हें चुना गया। ये पहली बार है कि नासा के अंतरिक्ष यात्रियों में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हैं।
ये यात्री 2027 की अंतरिक्ष उड़ान की पात्रता हासिल करने के लिए दो साल का प्रशिक्षण लेंगे। इस 24वीं एस्ट्रोनॉट क्लास में छह महिलाएं हैं, जिनमें से एक तो मंगल पर कदम रखने वाली पहली इंसान बन सकती हैं। दस सदस्यों की इस टीम ने पिछले हफ्ते मीडिया फोटो-ऑप में ट्राउजर पहने थे।
अब किसी निजी या सरकारी विश्वविद्यालय में एमबीए जैसे कोर्स की पोस्ट ग्रेजुएट कक्षाओं को देखें। आपको बड़ी संख्या में पॉनीटेल के साथ ट्राउजर पहने महिलाएं मिलेंगी। दूसरी ओर, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में महिला श्रमिक जनसंख्या अनुपात 2017-18 के 23% से बढ़कर 2023-24 में 41% हो गया है।
मॉल्स में और कई कंपनियों के बोर्डरूम्स पर भी नजर डालें। कोई भी यह देख सकता है कि ढेरों शॉपिंग बैग्स लेकर घूम रही महिलाओं ने जो ड्रेस पहनी हुई हैं, वो कई साइज ज्यादा बड़ी हैं। कोई आलोचक कह सकता है कि ‘वे किसी और के कपड़े पहन रही हैं।’
और कोई प्रशंसक यह भी कह सकता है कि ‘उन्होंने 10 किलो वजन कम किया है।’ और वही महिलाएं जब बोर्डरूम गलियारों में चढ़ती-उतरती हैं तो उन्हें ट्राउजर सूट पहन कर पतले दिखने पर गर्व होता है। ये सूट उन्हें छोटा लेकिन ताकतवर दिखाते हैं।
उन्हें देखकर मुझे हिलेरी क्लिंटन के ‘पैंटसूट’ की याद आती है। वे शानदार और ताकतवर दिखती हैं। वे ना केवल पुरुष सहकर्मियों को कड़ी टक्कर देती हैं, बल्कि यह सूट उनके बिजनेस के प्रति गंभीर होने का एहसास भी कराता है। महज पांच साल पहले कई फैशन एडवोकेट्स ने लिखा था कि जैसे कइयों ने समय से पहले ही हाई-हील्स को अलविदा कह दिया, वैसे ही टेलरिंग का युग पूरी तरह खत्म हो सकता है। लेकिन यदि आप फैशन टीवी प्रशंसक हैं तो देखा होगा कि न्यूयॉर्क, लंदन, पेरिस और मिलान से प्रसारित शो में सभी कैटवॉक्स में ट्राउजर सूट्स और हाई हील्स का दबदबा दिखा।
मुम्बई में शिल्पी टेलर के यहां महिला सूटों की बाढ़ आ गई है, क्योंकि वह सूट स्पेशलिस्ट हैं। मैं भी वहीं सूट सिलवाता हूं। इस टेलरिंग शॉप के मालिक मनोज शिल्पी ने शुक्रवार को मुझे कहा कि दीपावली के ऑर्डर के कारण आपके सूट डिलीवर करने में देरी हो सकती है। मनोज कहते हैं कि ‘ये सूट महिलाओं को केवल सजावटी नहीं बल्कि प्रभावी भी बनाते हैं और उन्हें अधिक आधुनिक दिखाते हैं, खासकर सॉफ्ट टेलरिंग में।’
जब मैंने पूछा कि यह सॉफ्ट टेलरिंग क्या है तो मनोज ने समझाया कि इस विधि में आरामदायक और रिलैक्स फिटिंग को प्राथमिकता दी जाती है। पारंपरिक सूटिंग की अपेक्षा इसमें कम आंतरिक संरचना होती है। इससे पॉलिश्ड लुक मिलता है। यह पारंपरिक कपड़ों में पाई जाने वाली स्टिफ्ड लाइनिंग, पैडिंग और कैनवासिंग को हटाकर या कम करके हासिल किया जाता है।
इस प्रकार अनस्ट्रक्चर्ड ब्लेजर, हल्के ट्राउजर और ब्रेदेवल वूल व लिनन जैसे सॉफ्ट फैब्रिक से बने कैजुअल सूट बनते हैं। यह शैली कैजुअल परिधानों में फॉर्मल एलीमेंट का मिश्रण करती है, जिससे पेशेवर माहौल और सामाजिक आयोजनों के लिए शानदार परिधान बनते हैं।
फंडा यह है कि यदि आप कामकाजी महिला हैं तो दूसरों की तरह अपना फैशन स्टेटमेंट फिर से लिखें। 2025 के ग्लोबल ट्रेंड से मैच करने के लिए हैप्पी टेलरिंग!
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एन. रघुरामन का कॉलम: त्योहारी सीजन में कामकाजी महिलाएं अपना फैशन स्टेटमेंट लिख रही हैं
