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- N. Raghuraman’s Column The Habit Of Reading Things Thoroughly Increases Our Understanding
22 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
रविवार को दशहरा मनाने के बाद दो दिनों के ब्रेक के लिए जब मैं अपने कुछ दोस्तों और उनके परिवार वालों के साथ गोवा के क्लब महिंद्रा रिजॉर्ट पहुंचा, तो वहां बड़े से रिसेप्शन काउंटर पर रखी धातु की तीन कलाकृतियों ने मेरा ध्यान खींचा। वे किसी बड़े से पेड़ की तरह थीं, जिसकी कई सारी शाखाएं थीं, पर उन पर एक भी पत्ती नहीं थी।
मेरे लिए वो आजू-बाजू खड़े बिना पत्तियों के तीन पेड़ जैसे थे और मुझे और बाकी देखने वालों को डरा रहे थे कि अगर तुम हमारी देखभाल नहीं करोगे, तो तुम्हारी दुनिया भी इसी तरह हो जाएगी। जब मेरा एक दोस्त धातुओं की उन कृतियों की तस्वीरें ले रहा था, तो मैंने उसे बताया कि साल 2025 से ये हमारे फोन में इमोजी की तरह आ जाएंगी।
फिर मैंने उसे ‘यूनिकोड कंसोर्टियम’ के हालिया निर्णय के बारे में बताया- यह ग्रुप तय करता है कि कौन से कैरेक्टर हर साल इमोजी में शामिल किए जाने चाहिए। हममें से कई लोग अपने भाव, विचार, आइडिया व्यक्त करने और लोगों की बात पर प्रतिक्रिया देने के लिए उन छोटी रंगीन इमेज का इस्तेमाल करते हैं। वे संप्रेषण का एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुकी हैं। पर ऐसी और कई चीजें हैं, जिन्हें हम तेजी से संप्रेषित नहीं कर पाते।
उदाहरण के लिए आप यह कैसे कहेंगे कि मैं ठीक हूं, पर काम के दबाव के कारण कई रातों से ढंग से सोया नहीं हूं और अब मेरी आंखों के नीचे काले घेरे पड़ना शुरू हो गए हैं। 2025 तक का इंतजार करिए, आपके फोन में मुस्कराते चेहरे के साथ आंखों के नीचे काले घेरे वाली इमोजी होगी और पूरे के पूरे वाक्य को एक अकेली इमोजी से रिप्लेस कर सकते हैं।
ठीक इसी तरह मैसेजिंग को लेकर बहुत उत्सुक रहने वालों को जल्द ही जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव पर बात करने का नया तरीका मिलने वाला है। बिना पत्तियों के पेड़ को दर्शाने वाली एक इमोजी उन आठ इमोजी में से एक होगी, जो जल्द ही हमारे फोन और बाकी डिवाइस में आ सकती है।
बिना पत्तियों के पेड़, जिसे ‘डेड ट्री’ या ‘डाइंग ट्री’ कहते हैं, इसे इमोजी में शामिल कराने की पहली पहल साल 2022 में ब्रायन बैहाकी ने की थी, जिन्हें मैसेजिंग ग्राफिक्स में एक गैप दिखा था, जो पर्यावरणविदों को छूता है।
बैहाकी ने कहा कि सूखा जलवायु चक्र का एक स्वाभाविक हिस्सा है…लेकिन जलवायु बदल रही है और सूखा अधिक लगातार, गंभीर और यहां तक कि अन्य स्थानों पर फैल रहा है। पेड़ अपनी पत्तियों पर विभिन्न लक्षणों के साथ पानी की कमी का संकेत देते हैं, जिसमें पत्तियों के रंग का पीले या भूरे में बदलना, उनका झुलसना, मुरझाना और अनुपस्थिति (उनके पत्ते गिरना) शामिल है।
हालांकि पेड़ से पत्तियों का गिरना तनाव के रूप में एक सामान्य प्रतिक्रिया है, क्योंकि यह पेड़ के लिए फायदेमंद है। छोड़ी गई पत्तियां, इसकी सतह से पानी के वाष्पीकरण को रोकती हैं और पेड़ के बाकी हिस्सों को अधिक संसाधन प्रदान करती हैं जो अभी भी जीवित हैं।
हमने सबने देखा है कि गर्मियों के दिनों या बसंत में पत्तियों का गिरना आम बात है, ताकि आगे कड़ी सर्दियों की तैयारी कर सकें। चूंकि बैहाकी ने इस इमोजी के लिए पिच किया है, और सूखे का खतरा दुनियाभर में बढ़ रहा है। युनाइटेड नेशंस की हालिया रिपोर्ट बताती है 21वीं सदी में सूखे का खतरा भयावह होने वाला है, भले ही ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आए।
इन आठ स्वीकृत इमोजी के साथ डिजिटल इमेज की कुल संख्या 3790 तक पहुंच जाएगी। बैहाकी जैसे आठ लोगों का समूह, जिन्होंने अपने प्रस्ताव दाखिल किए हैं, यह ‘इमोजी 16.0’ नाम से कहा जा रहा है। ‘इमोजी 16.0’ अभी तक के इतिहास में स्वीकृत आइकन का सबसे छोटा समूह होगा। इससे पहले की न्यूनतम संख्या 2022 में थी, जब ‘इमोजी 15.0’ में 31 इमोजी स्वीकृत हुई थीं।
फंडा यह है कि अगर दशहरा इस बात की याद दिलाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हमेशा होती रहेगी, तो हमारे आसपास घट रही हर चीज किसी न किसी चीज की याद दिलाती है। यह हम पर है कि हम उसे कैसे समझते हैं। लेकिन चीजों को अच्छी तरह से पढ़ने की आदत हमारी व्याख्या को न सिर्फ जानकारीपूर्ण बनाती है, बल्कि अधिक सार्थक भी बनाती है।
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एन. रघुरामन का कॉलम: चीजों को अच्छी तरह से पढ़ने की आदत हमारी समझ बढ़ाती है