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- N. Raghuraman’s Column Brand Yourself Well Or Be Prepared To Be Branded By Others
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
“अपने हाथों को कंधों पर सीधा रखें’, एयरपोर्ट सिक्योरिटी के दौरान सुरक्षा कर्मियों द्वारा कुछ यात्रियों से तल्ख स्वर में यह कहा जा रहा था। सुरक्षा की भाषा में इसे ‘पेटिंग डाउन ए पैसेंजर’ (यात्री को थपथपाना) कहते हैं, जहां सुरक्षाकर्मी यात्रियों के शरीर के हर हिस्से पर हाथ से थपथपाकर देखते हैं ताकि ये सुनिश्चित हो कि वहां कुछ छिपा नहीं है।
और हम कुछ लोगों को ये उत्तर देते देख सकते हैं “मैं दोनों हाथ नहीं रख सकता, क्योंकि मुझे एक हाथ से अपनी पैंट पकड़नी है।’ ऐसा इसलिए है क्योंकि एयरपोर्ट सुरक्षा में बेल्ट हटाना पिछले कुछ वर्षों से सामान्य नियम बन गया है क्योंकि बहुत समय पहले कोई बेंगलुरु एयरपोर्ट पर बेल्ट के बकल में स्विस चाकू छिपाकर ले जा रहा था।
एक अन्य घटनाक्रम लें। बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर, जहां से अधिकांश आईटी कर्मी उड़ान भरते हैं, सुरक्षा अधिकारियों ने पिछले साल जनवरी से इस साल फरवरी के बीच चेक-इन बैग से 1,412 किलो पावर बैंक जब्त किए।
अन्य दो प्रमुख जब्त सामानों में 556 किलो लाइटर व 576 किलो ई-सिगरेट थीं। ये इसके बावजूद है, जब हर एयरलाइन काउंटर बोर्डिंग पास जारी करने से पहले याद दिलाता है कि यात्री ये प्रतिबंधित वस्तुएं नहीं ले जा सकते हैं।
इस तरह की खोज-पड़ताल से विमान डिले हो जाते हैं क्योंकि यात्रियों को बोर्डिंग गेट से बुलाना पड़ता है और उन्हें उन प्रतिबंधित वस्तुओं को हटाने और विमान में लोड करने से पहले फिर से जांचने के लिए कहना पड़ता है।
मैं कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव के कथित सोने की तस्करी रैकेट के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, जिसे इस साल 3 मार्च को उसी हवाई अड्डे पर राजस्व आसूचना निदेशालय द्वारा रोका गया था और पता चला कि उसने अपने शरीर पर 14.2 किलो गोल्ड बार बांध रखी थीं।
अगर एक्टर्स और अच्छा पैसा देने वाले हवाई यात्री ऐसे सरल नियम तोड़ते हैं, जिनसे अपनी व अन्य यात्रियों की सुरक्षा के लिए कुछ प्रोटोकॉल का पालन करने की उम्मीद होती है, तो पान-तंबाकू बेचने वाले व्यवसायियों से अच्छे व्यवहार की उम्मीद कौन कर सकता है?
पिछले हफ्ते, जब मैं चेन्नई में था, तो वहां के नगर आयुक्त ने अपने अधिकारियों को स्कूलों के पास प्रमुख स्थानों पर लगभग 160 अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया, जिसमें निगम स्कूल और स्कूलों के पास तंबाकू उत्पाद बेचने वाले निजी संस्थान शामिल हैं। मेरा सवाल यह है कि क्या आपको यह सब बताने के लिए एक नए सिविक चीफ की जरूरत है और इन सभी दशकों में स्कूलों के पास तंबाकू बेचने की अनुमति किसने दी?
अब आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर मेट्रो स्टेशनों पर सुरक्षा अधिकारी आपसे फ्लास्क में लाए गर्म पानी को भी पीने के लिए कहें। ऐसा इसलिए क्योंकि पुणे पुलिस ने गंभीर सुरक्षा उल्लंघन का खुलासा किया है जहां प्रदर्शनकारियों को एक फ्लास्क में पेट्रोल ले जाते हुए पाया गया, जो आमतौर पर पेय पदार्थों के लिए प्रयुक्त होता है और प्रदर्शनकारी ट्रैक तक पहुंचने में सफल रहे।
सीसीटीवी फुटेज ने पुष्टि की कि प्रदर्शनकारियों ने इस पेट्रोल का उपयोग कई पुलिसकर्मियों पर हमला करने के लिए किया, जो उन्हें ट्रैक से हटाने के लिए आए थे। दिलचस्प बात यह है कि जिस थर्मस में पेट्रोल था, उसका स्कैन हुआ था।
पर इसमें इसका खुलासा नहीं हुआ। पुलिस अब स्टेशनों पर सुरक्षा उपाय बढ़ाने के लिए काम कर रही है। और याद रखें, तब तक, आपसे अपनी खुद की ड्रिंक पीने के लिए कहा जाएगा और इससे प्रक्रिया में देरी होगी, जिससे आपकी मेट्रो ट्रेन भी छूट सकती है।
हम सभी ने हर शहर में इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और केबल ऑपरेटरों के तारों के जाल को बिजली के खंभे पर लटकते हुए देखा होगा, जिससे शहर का आकाशीय दृश्य बदसूरत हो गया है। अब बिजली विभाग ने कोर्ट जाकर कहा है कि केबल ऑपरेटर्स को उनके साथ मुनाफा साझा करना होगा, जिसका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त करने में होगा। गोवा में मुंबई हाई कोर्ट की बेंच इसकी सुनवाई कर रही थी।
फंडा यह है कि अपने सार्वजनिक व्यवहार को अच्छे से ब्रांड करने का समय आ गया है, अन्यथा जल्द ही दूसरे लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी ब्रांडिंग शुरू कर देंगे।

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एन. रघुरामन का कॉलम: खुद को अच्छे से ब्रांड करें या दूसरों द्वारा ब्रांडिंग के लिए तैयार रहें