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- N. Raghuraman’s Column Do You Know The Biggest Secret Of Any Business?
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
अ गर आपको दुनिया में अपने सबसे प्रिय व्यक्ति के लिए केक भेजना है, तो कौन-सा केक चुनेंगे? और अगर पिता होने के नाते अपने दिल के टुकड़े, मेरा मतलब है कि बेटी के लिए केक चुनना है, तो क्या आप बेस्ट नहीं चुनेंगे? जाहिर सी बात है कि आप चुनेंगे।
चूंकि मेरी बेटी अमेरिका से अपने पति के साथ अपनी एक दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए उदयपुर आ रही थी, ऐसे में अपनी प्यारी बिटिया के लिए मोती की तरह केक चुनने की खातिर मैं किसी गोताखोर की तरह केक से जुड़ी अपनी पुरानी यादों के समुद्र में कूद गया। संपादक के करिअर में मैंने हॉस्पिटेलिटी सेक्टर में विशेषज्ञता हासिल की।
और मुझे दुनिया के हर कोने के केक का आनंद लेने का सौभाग्य मिला और उनमें से कुछ बहुत अलग हैं जैसे इटली से परोज्जो, रोमानिया से एमान्डीन, जर्मनी से बॉमकुहेन, आयरलैंड से बीयर केक, अमेरिका से बोस्टन क्रीम पाई, फ्रांस से शार्लोट और इंडोनेशिया से क्लेपोन केक आदि। पर इसके बावजूद भी वहां एक ऐसा शख्स था, जो केक के बारे में बेहतर जानता था।
उन्होंने केक तैयार करवाया और उस समारोह, वहां के माहौल के हिसाब से पर्सनल टच देते हुए केक खुद लाकर दिया। पिछले शनिवार की रात को ललित लक्ष्मी विलास पैलेस के जीएम देविंदर सिंह परिहार को उनकी एक साथी और ललित की ही जयपुर स्थित अन्य प्रॉपर्टी की युवा जीएम का मैसेज मिला, जो कि मेरी मित्र थीं।
उन्होंने उनसे एक कपल के लिए उनके मम्मी-पापा की तरफ से केक तैयार करने का आग्रह किया। देविंदर सिंह ने जवाब दिया, ‘पक्का, अगले दो घंटे में तैयार हो जाएगा।’ यहां बताना चाहूंगा कि मैंने अपनी तरफ से कोई फोन नहीं किया था, क्योंकि मैं देविंदर सिंह को जानता तक नहीं था।
केक का आग्रह करने वाली जीएम हॉस्पिटेलिटी अनुभव में उनसे काफी जूनियर थीं, भले ही दोनों बराबर पद पर थे। महज दो घंटे में उन्होंने चंद गुलाब की कलियों से सजा गोल्डन केक पर्सनली लाकर दिया, केक ऐसा लग रहा था मानो किसी रानी के सिर का ताज हो। उन्होंने ऐसा सोचा क्योंकि वह पैलेस होटल के प्रमुख थे।
ये बताता है कि वह मौसम के हिसाब से चलने वाले होटलियर नहीं थे, बल्कि जब देने की बात हो, तो अपनी स्टाइल में किंग की तरह पेश आने वालों में से थे। केक की खूबसूरती और उसका स्वाद चखकर सारे बराती चकित रह गए।
ये वाकिया इस शुक्रवार को मुझे तब याद आ गया, जब मैंने अपने एक मित्र संजय जैन को फोन करके अपने लिए फेवर मांगा, जो कि भोपाल के डीबी मॉल स्थित कोर्टयार्ड बाय मैरियट के प्रमुख हैं। मैंने पहली बार उनसे इस तरह का आग्रह किया, जबकि वह पिछले 24 सालों से मेरे मित्र हैं और बीते 11 सालों से, जब से यह होटल भोपाल में खुली है, इसके प्रमुख हैं।
मैंने टॉप बिजनेस सर्किल की एक बहुत महत्वपूर्ण शख्सियत (जिनका मैं यहां नाम नहीं ले सकता) के लिए एक खास तारीख में दोपहर के तीन घंटे के लिए रूम बुक करने का अनुरोध किया, क्योंकि भोपाल से मुंबई या दिल्ली की फ्लाइट की फ्रीक्वेंसी अच्छी नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि मैं उन्हें नहीं जानता, लेकिन मैं आपको जानता हूं इसलिए यह रूम कॉम्पलीमेंट्री है। उन्होंने इतना भर नहीं किया। वह बीती रात तक फॉलो करते रहे कि वह कब आ रही हैं। जैन और परिहार जैसे लोग बिजनेस को न सिर्फ दोगुना बल्कि दस गुना और भी ज्यादा आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा राज जानते हैं।
और यह तभी हो सकता है, जब आपका प्रोडक्ट या सर्विस बताती है कि आप दिल से कितने बड़े हैं- अगर आप देने में उदार हैं तो बिजनेस बहुत तरक्की करता है। आप जानते हैं ना उसी दूधवाले का दूध ज्यादा बिकता है, जो थोड़ा अतिरिक्त दूध देता है या उस सब्जीवाले की सब्जी ज्यादा बिकती है, तो फ्री में धनिया-मिर्ची देता है।
फंडा यह है कि तेजी से विस्तार करते व्यापार का सबसे बड़ा रहस्य इस बात पर निर्भर करता है कि आप उदारता से कितना देते हैं। यही कारण है कि मैंने पूछा था कि आप प्रिय व्यक्ति के लिए कौन-सा केक चुनेंगे। और बिजनेस के मामले में पैसे देने वाला हर क्लाइंट प्रिय लोगों की श्रेणी में आता है। इसलिए जब आप कुछ देने का तय करें, तो बेस्ट चुनें।
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एन. रघुरामन का कॉलम: क्या आप किसी भी बिजनेस का सबसे बड़ा राज जानते हैं?