in

एन. रघुरामन का कॉलम: एआई की दुनिया में पढ़ना और आउटिंग क्यों महत्वपूर्ण है? Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  एआई की दुनिया में पढ़ना और आउटिंग क्यों महत्वपूर्ण है? Politics & News

[ad_1]

  • Hindi News
  • Opinion
  • N. Raghuraman’s Column Why Is Reading And Outing Important In The World Of AI?

48 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

एन. रघुरामन मैनेजमेंट गुरु

मगरमच्छ हर तरह का मीट नहीं खाते। सच कहें तो कुछ ऐसे भी पक्षी होते हैं, जो बिना डरे उनके मुंह में आते-जाते हैं।’ मैंने अपनी स्पीच की शुरुआत इस लाइन से की। सामने पहली पंक्ति में बैठे तीन बच्चों ने एक-दूसरे को देखा और एक ने तुरंत अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) दोस्त से मेरे दावे की पुष्टि के लिए कहा। एक पल के लिए उस बच्चे का चेहरा आपको देखना चाहिए था। कोई उसके चेहरे की लकीरों को पढ़ सकता तो इंसानी भाषा में वह कुछ ऐसी होती, ‘क्या फेंक रहा है।’

मैंने कुछ सेकंड के लिए अपनी स्पीच रोकी, ताकि वह बच्चा अपने एआई भगवान से जवाब पा सके। ऑडिटोरियम में हंसी गूंज गई, लेकिन बच्चे को कोई फर्क नहीं पड़ा। वह तो जवाब चाहता था, ताकि तय कर सके कि मेरे लेक्चर में बैठना है या बाहर जाकर कुछ अधिक सार्थक काम करना है। कुछ पलों में ही उसके मोबाइल पर एक पक्षी की तस्वीर आई।

इस पर लिखा था कि ‘इजिप्शियन प्लॉवर मगरमच्छ के दांतों में फंसा खाना साफ करता है।’ उसने संतुष्टि के साथ मेरी ओर देखा और ‘थम्स अप’ दिखाया। यानी, अब उसे मुझ पर भरोसा हो गया। मैंने मजाक में पूछा, ‘क्या तुम मेरी हर लाइन मोबाइल पर चेक करोगे?’ अनजाने में उसने ‘हां’ में सिर हिलाया, लेकिन बगल में बैठी मां ने उसे ‘नहीं’ कहने पर मजबूर किया।

इसके बाद मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि भारत में भी इग्रेट जैसे सुंदर, लंबे पैरों वाले जलचर पक्षी होते हैं। ये बगुलों से मिलते–जुलते हैं। सफेद या हल्के भूरे पंखों वाले ये पक्षी उथले पानी में नुकीली चोंच से मछली, कीड़े और उभयचरों का शिकार करते हैं। ये भी मगरमच्छ के मुंह में जाकर वैसे ही दांत साफ करते हैं, जैसे डेंटिस्ट हमारे करता है। बच्चे ने भले ही कुछ नहीं पूछा, लेकिन उसके चेहरे के भाव सवाल कर रहे थे कि ‘आपको ये सब कैसे पता?’

जब मैंने उसके अनकहे सवाल का जवाब देने का फैसला किया तो वह तुरंत मेरा फैन बन गया। मैंने कहा कि उसकी उम्र में खेलना, पार्क और जू में पक्षियों और जीवों को देखना और घर पर मां से उनके बारे में बातचीत करना मेरी सबसे बड़ी हॉबी थी। ऐसी आउटडोर एक्टिविटीज प्रकृति के दरवाजे खोलती हैं। अधिकतर पक्षी मूल रूप से एक जैसे होते हैं– खोखली हड्डियां, पंख और पंजे।

लेकिन जीने के लिए ये खाने के अंतहीन तरीके खोज लेते हैं। मेरी मां खूब पढ़ी-लिखी थीं और उन दिनों वही मेरी गूगल थीं। उन्होंने मुझे पढ़ने के लिए ढेरों किताबें दीं। उसी बातचीत और अध्ययन से मुझे इन जीवों के बारे में ये ज्ञान मिला।

हाल ही में मैंने करेन हाओ की किताब ‘इम्पायर ऑफ एआई’ पढ़ी। वह चेतावनी देती हैं कि एआई की बेलगाम बढ़ोतरी नई पीढ़ी को विभिन्न क्षेत्रों से मिलने वाले ज्ञान की विविधता से दूर कर सकती है। उनके मुताबिक ज्यादातर एआई और इंटरनेट पर अमेरिकी प्रभुत्व है। एआई की जानकारी में अधिकतर अमेरिकी नजरिया ही दिखेगा।

चूंकि एआई मोटे तौर पर एक ही भूगोल और दर्शन से संचालित है, इसलिए वह अधिकतर चीजें उसी दृष्टिकोण से पेश कर सकता है। वह इसे ‘अलग–अलग कपड़े पहने गोरे लोगों द्वारा लाई गई एआई की बाढ़’ जैसा ठहराती हैं।

जबकि, किताबें विभिन्न देशों, संस्कृतियों के अलग–अलग लेखकों द्वारा लिखी जाती हैं। इसलिए इनसे युवा पीढ़ी विविध दृष्टिकोण जान पाती है। अचंभा नहीं कि इसीलिए उपरोक्त बच्चे को इंडियन इग्रेट के बजाय, पहले ‘इजिप्शियन प्लॉवर’ का रिजल्ट मिला। हां, तेजी से जवाब पाने के लिए एआई से मदद की जरूरत पड़ती हो, लेकिन किताबें पढ़ना उसी विषय पर विविधता भरा दृष्टिकोण देता है।

फंडा यह है कि अधिक से अधिक पढ़ कर खुद को बच्चों के लिए गूगल जैसा बनाएं। फिर देखिए कि कैसे वे ज्ञान के लिए एआई से पहले आपसे पूछना शुरु करते हैं।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]
एन. रघुरामन का कॉलम: एआई की दुनिया में पढ़ना और आउटिंग क्यों महत्वपूर्ण है?

Do we learn from our investment mistakes? Business News & Hub

Do we learn from our investment mistakes? Business News & Hub

सोनीपत: वार्डों में 3.83 करोड़ से बनेगी गलियां व चौपालों की होगी मरम्मत, विधायक व मेयर ने किया विकास कार्यों का शिलान्यास Latest Sonipat News

सोनीपत: वार्डों में 3.83 करोड़ से बनेगी गलियां व चौपालों की होगी मरम्मत, विधायक व मेयर ने किया विकास कार्यों का शिलान्यास Latest Sonipat News