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- N. Raghuraman’s Column Bad Intentions Cannot Be Hidden In Today’s Times
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
उनमें से एक महिला प्रेमी से शादी करके सुखमय जीवन बिता सकती थी, वहीं दूसरा व्यक्ति तीन दशकों की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होकर खुशी से रिटायर्ड लाइफ जी सकता था। लेकिन दोनों के इरादे नेक नहीं थे और उनका खुलासा हो गया। उनके उदाहरण इस प्रकार हैं।
पहला उदाहरण : बेंगलुरु की एक टेक कंपनी में कार्यरत दो कर्मचारियों ने 31 दिसंबर 2018 को वैवाहिक जीवन की शुरुआत की। युवक 2 लाख रुपए महीने का वेतन पाता था, फिर भी दोनों परिवारों ने साझा तौर पर शादी का खर्च उठाया। लेकिन जब युवक ने पत्नी और उसके पूर्व बॉयफ्रेंड के बीच संदिग्ध वित्तीय लेनदेन देखा तो उसे शक हुआ।
वो पांच साल रिलेशनशिप में रहे थे, हालांकि पत्नी ने दावा किया था कि शादी से छह माह पहले ही उनका संबंध समाप्त हो गया था। युवक ने हिन्दू विवाह कानून की धारा 13(1)(आई-ए) के तहत तलाक की याचिका दायर की। उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष के साथ संपर्क में है और उसने पूर्व बॉयफ्रेंड से उसकी तुलना करके भद्दी टिप्पणियां की हैं।
जब दोनों के बीच तनाव बढ़ा, तो युवक ने अपने स्तर पर जांच शुरू की। एक सोशल साइट पर जॉब इंटरव्यू में युवक ने उसकी पत्नी से उसकी ‘पहली शादी’ के बारे में सवाल कराया। युवती ने कहा वह शादी समाप्त हो चुकी है और अब वह किसी और के साथ विवाहित है। इसके बाद युवक ने और गहराई से तहकीकात की।
एक आरटीआई आवेदन की मदद से उसने कुछ दस्तावेज प्राप्त किए, जिनमें शादी के रिकॉर्ड, पैन के विवरण,ट्रैवल हिस्ट्री के अलावा नाम बदलने का हलफनामा भी शामिल थे। ये सभी इशारा कर रहे थे कि मार्च 2023 में युवती ने दूसरी शादी कर ली थी। दूसरी ओर युवती ने भी घरेलू हिंसा, जबरन गर्भपात और दहेज मांगने जैसे गंभीर आरोप लगाए।
उसने कहा युवक उस पर नौकरी छोड़ने का दवाब बनाता है, उसके साथ मारपीट करता है और दस लाख रुपए व सोने के 30 सिक्कों की मांग करता है। 2021 में जब यह मामला बेंगलुरु की पारिवारिक अदालत में शुरू हुआ, तब युवती ने 3 करोड़ रुपए स्थायी गुजारा भत्ते के साथ ही हर माह रखरखाव के लिए 60 हजार रुपए की भी मांग की।
जज ने 23 अप्रैल 2025 को युवक की याचिका मंजूर करते हुए तलाक संबंधी आदेश पारित किया। पत्नी के दावे को भी आंशिक तौर पर मंजूर करते हुए कोर्ट ने युवक को उसके सोने के जेवर लौटाने के निर्देश दिए। हालांकि पत्नी की स्थायी गुजारा भत्ता और रखरखाव की मांग खारिज कर दी। अदालत ने मुकदमे के खर्च के तौर पर पति को 30 हजार रुपए देने का भी आदेश दिया। याद रहे कि इस मामले के पीछे एक धनवान व्यक्ति से पैसे ऐंठने की बदनीयत थी।
दूसरा उदाहरण : मुम्बई के एक पुलिस स्टेशन में कार्यरत एक सीनियर इंस्पेक्टर की इसी माह के अंत में विदाई पार्टी थी। लेकिन बीते मंगलवार को ही एंटी करप्शन ब्यूरो ने उसे एक लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं में आरोपी इंस्पेक्टर बाबूराव मधुकर देशमुख के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
अधिकारियों के अनुसार 15 अगस्त 2024 को, एक स्कूल का संचालन करने वाले ट्रस्ट के 41 वर्षीय ट्रस्टी ने पुलिस को शिकायत की थी कि कुछ लोग स्कूल परिसर में गैरकानूनी रूप से घुस आए हैं। घुसपैठिए स्कूल के गेट का ताला तोड़कर उसमें काबिज हो गए थे। शिकायतकर्ता का आरोप था कि पुलिस और चैरिटी कमिश्नर को शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने बार-बार हो रही घुसपैठ को रोकने के कोई प्रयास नहीं किए।
शिकायतकर्ता ने एसीबी को बताया कि इंस्पेक्टर देशमुख ने चैरिटी कमिश्नर द्वारा अंतिम आदेश पारित होने तक घुसपैठियों के अवैध प्रवेश को रोकने और पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के ऐवज में तीन लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। याद रहे कि इस मामले में बुरी नीयत यह थी कि पहले पैसा ले लिया जाए और बाद में कह दिया जाए कि मैं तो रिटायर हो गया।
फंडा यह है कि बुरे इरादों की तुलना में बुरे इरादे छिपाने पर अलग तरीके से बरताव किया जाता है, दरअसल दोनों के ही नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं।
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एन. रघुरामन का कॉलम: आज के दौर में बुरी नीयत छिपाए नहीं छिपती है