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- N. Raghuraman’s Column Your Future Machines Are Currently Receiving ‘physical Education’
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
अपने बच्चों को स्कूल जाने से पहले कमरा साफ रखने के लिए डांटते थे। आज से पांच साल बाद नए पैरेंट्स को शायद रोजमर्रा के काम सिखाने के लिए बच्चों से सिर धुनना नहीं पड़ेगा। क्योंकि भविष्य की मशीनें अभी से ट्यूटोरियल ले रही हैं।
तमिलनाडु के करूर में आपका स्वागत है, जो चेन्नई से 384 किमी और भारत की सिलिकॉन सिटी बेंगलुरु से 299 किमी दूर है। ये शहर बसों की बॉडी बिल्डिंग इंडस्ट्री के अलावा अपने कपड़ा उद्योग, खासकर होम फर्नीशिंग और हैंडलूम्स के लिए मशहूर है।
पिछले पांच वर्षों में यहां ‘ऑब्जेक्टवेज’ जैसी नई कंपनियां स्थापित हुई हैं। यहां 25-30 वर्ष की आयु के कुछ युवा डेस्क पर खड़े होकर अपनी नौकरी शुरू करते हैं। पहले वे सुनिश्चित करते हैं कि टेबल का रंग सही हो और आसपास का माहौल अमेरिकी क्लाइंट के अनुसार हो। फिर वे अपने माथे पर गो-प्रो कैमरा लगाते हैं और हाथों को एक व्यवस्थित तरीके से चलाते हैं, ताकि इंसान द्वारा तौलिए को तह करने का सटीक फुटेज कैप्चर किया जा सके।
उन्हें डेस्क के दाहिनी तरफ रखी टोकरी से सिर्फ दाहिने हाथ का इस्तेमाल कर हर तौलिए को उठाना होता है, दोनों हाथों से उसे सामने की ओर सीधा कर सटीक तरीके से तीन बार में तह करना होता है। फिर तह किए गए हर तौलिए को डेस्क के बाएं कोने में रखना होता है।
अगर इसमें एक मिनट से ज्यादा समय लगा या कोई स्टेप मिस हो गया तो उन्हें फिर से शुरू करना पड़ता है। उनमें से अधिकतर इंजीनियर हैं और कुछ तौलिया तह करने में अच्छे-से अभ्यस्त हैं। इसलिए वे यह शारीरिक श्रम बारी-बारी से करते हैं। तौलिया तह करने और रखने में हुई छोटी-मोटी गलतियों के कारण कभी-कभी उन्हें 150 से 200 वीडियो डिलीट करने पड़ते हैं।
कंपनी में 2 हजार से अधिक कर्मचारी हैं। इनमें से आधे तो स्वचालित कारों और रोबोटिक्स से मिले सेंसर डेटा को लेबल करते हैं। शेष जनरेटिव एआई पर काम करते हैं। वे वीडियो के विभिन्न हिस्सों के चारों ओर बॉक्स खींचते हैं। तौलिया को टैग करते हुए चिह्नित करते हैं कि बांह बाएं चल रही है या दाएं।
हर हरकत को क्लासिफाइड करते हैं। सभी इंसानी हरकतों को सावधानी से कोरियोग्राफ करते हैं, जैसे बांह पहुंचना, उंगलियों से पकड़ना, कपड़ा फिसलना। उत्कृष्टता के लिए तौलिया तह करने के इन सभी कदमों को कैप्चर किया जाता है। कैप्चर वीडियोज उस टीम द्वारा एनोटेट किए जाते हैं, जो एआई-संचालित रोबोटों के लिए ट्यूटर्स का बैच कहलाती है।
सोच रहे हैं कि इन वीडियो का उपयोग कौन करता है? भारत, ब्राजील और अर्जेंटीना की कंपनियां ऐसे फाउंडेशन मॉडल बना रही हैं, जो भौतिक जगत के लिए फिट हैं। सैन फ्रांसिस्को के डेटा मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म एन्कॉर्ड के सह-संस्थापक अलरिक स्टिग हैंसेन का ‘ऑब्जेक्टवेज’ के साथ हूमन डेमंस्ट्रेशन डेटा एकत्र करने का अनुबंध है।
एन्कॉर्ड जेफ बेजोस से सहायता प्राप्त फिजिकल इंटेलिजेंस और डायना रोबोटिक्स जैसी कंपनियों के साथ काम करता है। अमेरिका में अगली पीढ़ी के रोबोट विकसित करने की दौड़ में टेस्ला, बोस्टन डायनेमिक्स और एनवीडिया अग्रणी हैं। रोबोटिक्स में यह बड़ा रिसर्जेंस है। भारत जैसे विकासशील देशों ने कुकिंग, टी-शर्ट तह करने और केबल को प्लग और अनप्लग करने जैसे हजारों वीडियो बनाए हैं।
जैसे अधिकांश स्कूलों ने बच्चों से पहाड़े रटवाना बंद कर ‘डॉजिंग’ शुरू की है, ताकि वे जीवन में पहाड़ों को अच्छे-से इस्तेमाल कर सकें, वैसे ही माता-पिता को अब उन्हें कपड़े तह करना, टेबल साफ करना या किताबें व्यवस्थित करना सिखाने की जरूरत नहीं होगी। क्योंकि जैसे बड़े होने पर कैलकुलेटर बच्चों की मदद करता है, कुछ रोबोट भी रोजमर्रा के घरेलू कामकाज में उनकी मदद करेंगे।
फंडा यह है कि इंसानी गतिविधियों को कॉपी कैसे करें, इसे लेकर मशीनों की फिजिकल एजुकेशन हमेशा चलती रहेगी, कम से कम कुछ और दशकों तक। क्योंकि कोई भी काम करने के लिए इंसान अधिक कुशलता के साथ विकसित हुए हैं। मशीनों को वैसा होने में अभी वक्त लगेगा।
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एन. रघुरामन का कॉलम: अभी आपकी फ्यूचर मशीनें ‘फिजिकल एजुकेशन’ ले रही हैं

