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एन. रघुरामन का कॉलम: अब ओबेसिटी पर ध्यान देने का समय आ गया है Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  अब ओबेसिटी पर ध्यान देने का समय आ गया है Politics & News

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7 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

साल 2035 तक दुनिया में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या 1.9 अरब पहुंचने की उम्मीद है। लांसेट में प्रकाशित नए अध्ययन में दावा है कि भारत में ओवरवेट लोगों की संख्या पिछले 30 सालों में पांच गुना हो गई है, 1990 में जहां ये संख्या 5.3 करोड़ थी, जो कि 2021 में 23.6 करोड़ हो गई।

एक और चौंकाने वाला आंकड़ा है, जिसमें बच्चों में मोटापा 2020 के मुकाबले 2035 तक 100% बढ़ने की आशंका जताई गई है। 4 मार्च विश्व मोटापा दिवस के दिन मैं अपने एक डॉक्टर मित्र के साथ इन मुद्दों पर चर्चा कर रहा था।

आप जानते हैं कि हम इस अतिरिक्त वजन को 50 साल की उम्र होने तक नोटिस क्यों नहीं कर पाते? ऐसा वजन की प्रकृति के कारण है, ये धीरे-धीरे पर स्थिरता से बढ़ता है। वयस्कों में आमतौर पर उम्र के साथ धीरे-धीरे वजन बढ़ता है और आमतौर पर हर साल 0.5 से 1 किलो बढ़ते हुए दस वर्षों में 5 किलो तक बढ़ जाता है।

सवाल है, ये कैसे बढ़ता है? मिड-करिअर तनाव भरा होता है, इसलिए जीवनशैली में बदलाव आता है। ये शरीर में कोर्टिसोल का उत्पादन बढ़ाता है, जिससे फूड क्रेविंग होती है, फैट बढ़ता है। ज्यादा देर काम करने से कसरत के लिए कम समय मिलता है।

व्यस्त कामकाज व फैमिली शेड्यूल से प्रोसेस्ड फूड खाने की आदत को बढ़ावा मिलता है, जिसमें शकर, नमक व गैर-सेहतमंद फैट होते हैं। बाहर खाने से ज्यादा कैलोरी खा लेते हैं, नतीजतन फैट जमा होता है। व्यस्त कामकाजी जीवन भी स्क्रीन टाइम बढ़ाता है जिससे नींद पर असर पड़ता है।

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ये शरीर की ऊर्जा संतुलन को बाधित करता है, भूख की भावना को बढ़ाता है और ऊर्जा घटाता है। इसके अलावा, उम्र से जुड़े जैविक बदलाव भी वजन बढ़ने का कारण बनते हैं। वजन बढ़ने से रोकने के लिए यहां 4 व्यावहारिक उपाय हैं :

1. खाने का समय सूर्योदय व सूर्यास्त के हिसाब से रखें ः मतलब अधिकतर भोजन दिन के शुरुआती समय में करें व भोजन का हिस्सा कम करते जाएं, ताकि रात का खाना सबसे कम हो। जितना संभव हो सके धीरे-धीरे खाएं, चाहे चम्मच, फोर्क या चॉपस्टिक की मदद से खाना पड़े! इससे दिमाग को कुछ समय मिल जाता है कि वह पेट से मिलने वाले संकेतों को पहचान सके और मान ले कि आपके पेट अब भर चुका है। सुबह के समय हमारा शरीर शाम की तुलना में ढाई गुना अच्छे तरीके से कैलोरी बर्न करता है। इसलिए नाश्ते को रात के खाने पर प्राथमिकता देना वजन प्रबंधन के लिए भी अच्छा है।

2. इंद्रधनुषी खाने की आदतें अपनाएं ः भोजन संतुलित होना चाहिए और इसमें पर्याप्त प्रोटीन, साबुत अनाज से मिले कार्बोहाइड्रेट व हेल्दी फैट होना चाहिए। सबसे पहले अपनी प्लेट को सब्जियों व अलग-अलग रंग के फलों से भरे ताकि उच्च फाइबर, पोषक तत्वों से भरपूर आहार मिल सके, इससे पेट भरा हुआ व संतुष्ट महसूस होगा। यदि जीभ नमकीन चीजों की मांग करती है, तो सब्जियां उबालें और नमक-काली मिर्च डालें और जीभ को संतुष्ट करें। ताजी सब्जियां, फल, शहद, नट्स और बीज, अपनी प्राकृतिक अवस्था में दिमाग को वही आनंद देते हैं जैसा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड और फास्ट फूड देते हैं, जिससे आप अनावश्यक कैलोरी, चीनी, नमक और अस्वास्थ्यकर वसा से बच सकते हैं।

3. जितना हो सके चलते-फिरते रहें ः अपनी दैनिक दिनचर्या में आकस्मिक गतिविधियों को शामिल करने के तरीके खोजें – जैसे लिफ्ट के बजाय सीढ़ियां चढ़ना – और एक नई गतिविधि करने की चुनौती देकर अपने व्यायाम को बढ़ाएं। एक ही गतिविधि से बोरियत होती है। इसलिए हर दिन अलग-अलग चीजें करने की कोशिश करें।

4. नींद को प्राथमिकता दें : हर रात कम से कम सात घंटे की बिना रुकावट नींद लेने का लक्ष्य बनाएंं। किताबें पढ़ें और स्क्रीन से दूर रहें। किताब जितनी भारी होगी, उतनी बेहतर, हालांकि यह वजन में नहीं बल्कि विषय में भारी होना चाहिए। क्योंकि भारी-भरकम विषय से दिमाग जल्दी नींद में चला जाता है।

फंडा यह है कि हम जानते हैं कि मोटापा (ओबेसिटी) कई और स्वास्थ्य समस्याओं की ओर ले जाता है, इसलिए अब खुद को थोड़ा दुबला-पतला करने का समय आ गया है।

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