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एन. रघुरामन का कॉलम: अच्छे मैनर्स कुछ और नहीं, बल्कि दूसरों का लिहाज रखना है Politics & News

एन. रघुरामन का कॉलम:  अच्छे मैनर्स कुछ और नहीं, बल्कि दूसरों का लिहाज रखना है Politics & News

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1 घंटे पहले

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एन. रघुरामन मैनेजमेंट गुरु

हमारे देश के विभिन्न शहरों में लाइफस्टाइल में हो रहे बदलावों को जानने के लिए नियमित होने वाली पत्रकारों की एक ऑनलाइन क्लास में मैंने देखा कि वे ऑनलाइन होने के बावजूद अपना वीडियो बंद रखते हैं। मुझे किसी विचार पर उनकी प्रतिक्रिया समझने में बहुत कठिनाई होती है। इससे मैं सोचने पर मजबूर हुआ कि कौन से तरीके या मैनर्स एक ऑनलाइन क्लास को सबके लिए सहज बनाते हैं? या फिर, क्या कुछ नए अच्छे बर्ताव हाल ही में इसमें जुड़ गए हैं?

इससे मुझे समझ आया कि अच्छे मैनर्स कभी पुराने नहीं पड़ते, लेकिन कभी-कभी उन्हें रिफ्रेश करना पड़ता है। सोच रहे हैं कि रिफ्रेश क्यों करें? क्योंकि वर्क कल्चर बदल रहा है। कोविड हमारे जीवन में हाइब्रिड वर्क और जूम कॉल्स ले आया। ऑनलाइन माहौल में ही बड़ी हुई एक पीढ़ी अब वर्कफोर्स में शामिल हो गई। कई बिजनेस एटीकेट एक्सपर्ट्स अब नए बर्ताव जोड़ रहे हैं। ऑनलाइन मीटिंग के दौरान अलग-अलग स्थितियों में क्या सही है और क्या गलत- इस पर कुछ सुझाव यहां पेश हैं।

स्थिति 1 : बिजनेस जूम कॉल के दौरान फोन बजे या वाइब्रेट हो तो क्या करें?

गलत : मीटिंग से अलग होकर फोन चेक करना। मीटिंग के दौरान ही यह सोचकर मैसेज या कॉल देख लेना कि लोग समझ ही जाएंगे। या किसी बिजनेस मीटिंग से पहले फोन बंद करना या ‘डु नॉट डिस्टर्ब’ पर डालना।

सही : फोन को पहले ही साइलेंट कर देना और मीटिंग के बाद ही चेक करना सबसे कम व्यवधान वाला तरीका है। अगर कॉल या मैसेज जरूरी लगे, तो विनम्रता से अनुमति लेकर बाहर जाकर देखना अगला बेहतर विकल्प है।

स्थिति 2 : बिना किसी निर्देश जूम कॉल में कैमरा ऑफ रखना कितना सही है?

गलत : यह सोचना सही नहीं कि चूंकि मैं कम बोल रहा हूं, इसलिए कैमरा ऑन करने की जरूरत नहीं। मेरी बारी आएगी तो ऑन कर लूंगा। यह मानना भी अच्छे मैनर्स नहीं कि होस्ट को यदि चेहरा देखना होगा तो कह देगा। पीछे का व्यवधान यदि आपको कैमरा ऑन नहीं करने दे रहा है तो यह भी अस्वीकार्य है।

सही : वीडियो कॉल का उद्देश्य ही यथासंभव इन-पर्सन मीटिंग जैसा माहौल देना है। मतलब, आपका चेहरा दिखना चाहिए। यह मीटिंग होस्ट और सहकर्मियों के प्रति सम्मान दिखाता है।

स्थिति 3 : जब कार्यस्थल पर सख्त ड्रेस कोड न हो, तो क्या पहनें?

गलत : यह मान लेना कि यदि कंपनी ने मना नहीं किया तो कुछ भी पहन सकते हैं। बॉस क्या पहनते हैं, इसका अनुकरण ठीक है, लेकिन हमेशा सही नहीं।

सही : असल में इसे माहौल को भांपना कहते हैं। अगर एचआर के कोई विशेष निर्देश ना हों तो सीनियर्स का ड्रेसिंग सेंस देखकर समझा जा सकता है कि क्या ठीक है। कोई सख्त ड्रेस कोड न होने पर भी ऑफिस में स्नीकर्स, जीन्स, फ्लिप-फ्लॉप्स या लेगिंग्स जैसी चीजों से परहेज करें।

स्थिति 4 : ओपन-प्लान ऑफिस में फोन या वीडियो कॉल के दौरान क्या करें?

गलत : आसपास के लोगों से माफी मांग लेना। उनसे उठने या हेडफोन लगाने के लिए कह देना। या अपनी और स्पीकर की आवाज को कम रखना–सही तरीके नहीं है।

सही : आसपास के लोगों की परेशानी का ध्यान रखना चाहिए। यह उनकी जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए कि वे आपके शोर-शराबे से बचने के रास्ते खोजें। बेहतर होगा कि आप ही किसी प्राइवेट एरिया में चले जाएं। भले ही इसके लिए कॉल में शामिल दूसरे लोगों से एक मिनट ठहरने को कहना पड़े। आसपास बैठे लोग यह तरीका सराहेंगे।

फंडा यह है कि अच्छे मैनर्स कुछ और नहीं, बल्कि यह दिखाना है कि आप दूसरों का लिहाज कैसे रखते हैं। अगर आप दूसरों का ख्याल रखते हैं तो आपमें विनम्रता झलकने लगती है और समाज इसी को अच्छे व्यवहार के रूप में मानता है।

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