[ad_1]
यदि आप उनमें से हैं, जो रेसिंग के बारे में कुछ नहीं जानते तो बीते सप्ताहांत रिलीज हुई ‘एफ 1: द मूवी’, फॉर्मूला वन की दुनिया जानने के लिए अच्छी फिल्म हो सकती है। हो सकता है फिल्म की कुछ तकनीकी शब्दावली समझ में ना आए, लेकिन देखने में ये इतनी मनमोहक है कि आप 2.36 घंटे तक कुर्सी से नहीं हिल पाएंगे। क्योंकि उन्होंने इसे मैक्स वेर्स्टाप्पेन, चार्ल्स लेक्लर्क और लुईस हैमिल्टन जैसे वास्तविक ड्राइवर्स के साथ फिल्माया है। फिल्म 2023 व 2024 की असली रेसिंग के दौरान फिल्माई गई थी। इसकी ध्वनि आपको जोश से भर देगी। निर्माताओं ने रेसिंग के लिए एक ‘उत्तम’ कार बनाने के आवश्यक तकनीकी पहलुओं और उसके पीछे की भौतिकी को भी छुआ है। वास्तव में यह रेसिंग की दुनिया का बेहतरीन परिचय देती है। ब्रैड पिट और डैमसन इदरीस ने अपने किरदारों को इतने प्रभावशाली ढंग से निभाया है, जो लोगों को एफ1 के बारे में जानने के लिए उत्सुक करते हैं। लेकिन इस फिल्म को देखते वक्त मुझे जरा भी अहसास नहीं हुआ कि पॉपकॉर्न की एक बड़ी बकेट के पीछे भी लाखों रुपए का व्यापार छिपा है। पॉपकॉर्न कई दशकों से मूवी थिएटरों और प्रदर्शनकर्ताओं की आय का प्रमुख जरिया रहे हैं। अब जिस बकेट में ये रखे जाते हैं, वह भी उतनी ही महत्वपूर्ण हो रही है। इसी से पूरी दुनिया में थिएटर व्यवसाय फलफूल रहा है। यह मुझे कल तब महसूस हुआ जब मेरे कजिन भाई के बेटे ने अमेरिका से बात की और ‘एफ 1: द मूवी’ देखने के अपने अनुभव बताए। वह इस फिल्म को तीन बार देख चुका है। इसलिए नहीं कि उसे फिल्म का नायक ब्रैड पिट बहुत पसंद है, बल्कि इसलिए कि पहले दो बार उसे नई एफ 1 पॉपकॉर्न बकेट नहीं मिल पाई थी, क्योंकि थिएटर में यह खत्म हो चुकी थीं। यह बकेट और कुछ नहीं, बल्कि हेलमेट की तरह दिखती हैं, जिनमें आप पॉपकॉर्न रख सकते हो। लेकिन इनकी कीमत 25 से 85 डॉलर तक होती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि कोई कौन-सा पेय और उत्पाद खरीद रहा है। जी हां, लोग इस प्लास्टिक कचरे के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकाते हैं, जिसे आप और हम अपने गैरेज में रखना भी पसंद नहीं करें। उस लड़के के पास 18 ऐसे पॉपकॉर्न कंटेनर हैं, जो बीते कुछ वर्षों में थिएटर और फिल्मों के मालिकों ने लॉन्च किए थे। गूगल पर पॉपकॉर्न बकेट सर्च करो। ये शिपिंग समेत 124.99 डॉलर यानि तकरीबन 10 हजार रुपए से अधिक कीमत पर ऑनलाइन स्टोर्स में उपलब्ध हैं। थिएटर्स ने पॉपकॉर्न बकेट को भुना लिया है। वे बड़ी फिल्मों को देखने की जल्दबाजी का भाव पैदा करने और आपके थिएटर संबंधी अनुभवों में कुछ मूल्य जोड़ने के लिए इन विशेष वस्तुओं का उपयोग कर रहे हैं। मैं नहीं जानता कि अंधेरे में एक कंटेनर से पॉपकॉर्न खाने का अनुभव कैसा होता होगा। लेकिन मुझे भरोसा है कि इससे फिल्म प्रदर्शित करने वालों की आमदनी जरूर बढ़ रही है। फिल्म निर्माता कंपनियों और थिएटर मालिकों को लगता है कि इन विशेष पॉपकॉर्न बकेट्स से दर्शकों की यात्रा में अहमियत जुड़ती है और वापस जाते वक्त उनके पास एक मेमोरी होती है, जिसे वे घर में सजा सकते हैं। पॉपकॉर्न बकेट, ड्रिंक सिपर्स, टीशर्ट जैसी ये नई चीजें ना सिर्फ लाखों की आय बढ़ा रही हैं, बल्कि सिने प्रेमी अपने आनंद के लिए थिएटरों में आ रहे हैं और ऐसी कुछ चीजें लेकर वापस जा रहे हैं। ऐसे समय में जब बॉक्स ऑफिस बिक्री प्री-कोविड स्तर पर नहीं पहुंची है तो बड़ा मुनाफा देने वाली प्लास्टिक पॉपकॉर्न बकेट ही संभवत: थिएटरों के लिए बीते वर्षों में आई सबसे अच्छी खबर है। ये भी रोचक है कि ऐसे प्लास्टिक कंटेनर इकट्ठे करने की दीवानगी आने वाले कई वर्षों तक बनी रहने वाली है। यदि ऐसा नहीं तो आप बताइए कि 2027 की शुरुआत में रिलीज होने वाली ‘सोनिक द हेजहॉग 4’ और ‘गॉडजिला x कॉन्ग सुपरनोवा’ के लिए डिजायनर अभी से पॉपकॉर्न बकेट का प्रोटोटाइप तैयार करने में क्यों जुटे हैं? फंडा यह है कि यदि आपके पास मार्केटिंग की सही तकनीक है और आप उत्पाद खरीदने वाले विभिन्न आयु वर्ग के ग्राहकों की नब्ज समझ रहे हैं तो आप कुछ भी चीज, किसी भी कीमत पर बेच सकते हैं। बाहरी दुनिया पैसा खर्च करने के लिए तैयार है। क्या आप यह मौका भुनाने को तैयार हैं?
[ad_2]
एन. रघुरामन का कॉलम:मार्केटिंग सही हो तो आप कुछ भी, किसी भी कीमत पर बेच सकते हैं
in Politics
एन. रघुरामन का कॉलम:मार्केटिंग सही हो तो आप कुछ भी, किसी भी कीमत पर बेच सकते हैं Politics & News
