एथेनॉल प्लांट का शुभारंभ: PM मोदी बोले- हरियाणा के बेटे-बेटियों ने माथा ऊंचा किया, अब किसान ऊर्जा पैदा करेंगे


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जैव ईंधन दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को हरियाणा के पानीपत में 2जी एथेनॉल प्लांट का ऑनलाइन शुभारंभ किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन देशभर के किसानों के लिए अहम है। पानीपत का यह प्लांट सिर्फ शुरुआत है। राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के बेटे-बेटियों ने शानदार प्रदर्शन किया और देश का माथा ऊंचा किया है। इसके लिए पूरे प्रदेश को बधाई। हरियाणा के किसान भी ऊर्जा पैदा करके दिखाएंगे।

पर्यावरण को बचाने के लिए जैविक ईंधन का इस्तेमाल जरूरी है। जैविक ईंधन पर्यावरण बचाने वाला ईंध है। पराली का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए किया जाता है, किसानों से अपेक्षा है कि वह पराली को जलाएंगे नहीं बल्कि एथेनॉल प्लांट में बेचकर दोगुनी आय अर्जित करेंगे। अब पराली का बिना जलाए निपटारा होगा। धरती मां जलेगी नहीं तो धरती मां को सुकून मिलेगा। नए प्लांट लगने से गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। पर्यावरण की रक्षा में किसानों का योगदान बढ़ेगा।

किसानों को नहीं जलानी पड़ेगी पराली
अब पानीपत जिले में किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि यह उनकी आय का जरिया बनेगी। 2जी एथेनॉल प्लांट में पराली से ही एथनॉल बनेगा। पराली खरीदने के लिए जिले भर में कृषि विभाग कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करेगा। इनके माध्यम से ही किसानों के खेत से पराली खरीदी जाएगी। पराली की गांठें बनाकर कलेक्शन सेंटर पर भेजी जाएंगी। एक कलेक्शन सेंटर गांव बड़ौली और गांजबड़ की साइट पर और दूसरा गांव आसन कलां की साइट पर स्थापित होगा। 

रिफाइनरी में 900 करोड़ से तैयार किया गया है प्लांट 
पराली से एथेनॉल बनाने का प्लांट पानीपत रिफाइनरी में बनकर तैयार है। इसे बनाने में 900 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 100 किलो लीटर एथेनॉल बनाने की है। इस प्लांट को पराली उपलब्ध करवाने के लिए कृषि विभाग भी तत्पर है। पराली जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार पिछले कई साल से लगातार प्रयासरत हैं। 

सिर्फ पानीपत से 3.80 लाख टन पराली का होता है उत्पादन 
डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि पानीपत सहित करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल में बड़ी मात्रा में धान का उत्पादन किया जाता है। ऐसे में पराली का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। सिर्फ पानीपत में ही 3.80 लाख टन पराली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। उन्होंने बताया कि जिले में 30 सीएचसी पर बेलर मशीन उपलब्ध है और तीन व्यक्तिगत बेलर हैं। इन सभी के द्वारा किसानों से पराली खरीद करने बाद कलेक्शन सेंटर पर भेजा जाएगा, जहां से पराली की गांठों को आसानी से एथनॉल प्लांट में पहुंचाया जाएगा।

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जैव ईंधन दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को हरियाणा के पानीपत में 2जी एथेनॉल प्लांट का ऑनलाइन शुभारंभ किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन देशभर के किसानों के लिए अहम है। पानीपत का यह प्लांट सिर्फ शुरुआत है। राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के बेटे-बेटियों ने शानदार प्रदर्शन किया और देश का माथा ऊंचा किया है। इसके लिए पूरे प्रदेश को बधाई। हरियाणा के किसान भी ऊर्जा पैदा करके दिखाएंगे।

पर्यावरण को बचाने के लिए जैविक ईंधन का इस्तेमाल जरूरी है। जैविक ईंधन पर्यावरण बचाने वाला ईंध है। पराली का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए किया जाता है, किसानों से अपेक्षा है कि वह पराली को जलाएंगे नहीं बल्कि एथेनॉल प्लांट में बेचकर दोगुनी आय अर्जित करेंगे। अब पराली का बिना जलाए निपटारा होगा। धरती मां जलेगी नहीं तो धरती मां को सुकून मिलेगा। नए प्लांट लगने से गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। पर्यावरण की रक्षा में किसानों का योगदान बढ़ेगा।

किसानों को नहीं जलानी पड़ेगी पराली

अब पानीपत जिले में किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि यह उनकी आय का जरिया बनेगी। 2जी एथेनॉल प्लांट में पराली से ही एथनॉल बनेगा। पराली खरीदने के लिए जिले भर में कृषि विभाग कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करेगा। इनके माध्यम से ही किसानों के खेत से पराली खरीदी जाएगी। पराली की गांठें बनाकर कलेक्शन सेंटर पर भेजी जाएंगी। एक कलेक्शन सेंटर गांव बड़ौली और गांजबड़ की साइट पर और दूसरा गांव आसन कलां की साइट पर स्थापित होगा। 

रिफाइनरी में 900 करोड़ से तैयार किया गया है प्लांट 

पराली से एथेनॉल बनाने का प्लांट पानीपत रिफाइनरी में बनकर तैयार है। इसे बनाने में 900 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 100 किलो लीटर एथेनॉल बनाने की है। इस प्लांट को पराली उपलब्ध करवाने के लिए कृषि विभाग भी तत्पर है। पराली जलाने के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार पिछले कई साल से लगातार प्रयासरत हैं। 

सिर्फ पानीपत से 3.80 लाख टन पराली का होता है उत्पादन 

डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि पानीपत सहित करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल में बड़ी मात्रा में धान का उत्पादन किया जाता है। ऐसे में पराली का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। सिर्फ पानीपत में ही 3.80 लाख टन पराली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। उन्होंने बताया कि जिले में 30 सीएचसी पर बेलर मशीन उपलब्ध है और तीन व्यक्तिगत बेलर हैं। इन सभी के द्वारा किसानों से पराली खरीद करने बाद कलेक्शन सेंटर पर भेजा जाएगा, जहां से पराली की गांठों को आसानी से एथनॉल प्लांट में पहुंचाया जाएगा।

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