Delhi Blast Case: कश्मीरी मूल के मेडिकल प्रोफेसर की गिरफ्तारी हाल के वर्षों में आतंकवाद विरोधी अभियान की एक बड़ी सफलता मानी जा रही है. इस कार्रवाई ने हरियाणा के फरीदाबाद स्थित धौज की अल-फलाह यूनिवर्सिटी को भी सुर्खियों में ला दिया है. अब सुरक्षा एजेंसियां इस बात की गहराई से जांच कर रही हैं कि क्या वास्तव में विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं (लैब्स) का दुरुपयोग विस्फोटक पदार्थ तैयार करने या उन्हें छिपाकर रखने के लिए किया गया था.
अल-फलह यूनिवर्सिटी पर छाया शक
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस ने संयुक्त अभियान में रायफल्स, पिस्टल और बम बनाने के उपकरणों के साथ करीब 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद की है. यह कार्रवाई 35 वर्षीय डॉक्टर मुजम्मिल शकील की गिरफ्तारी के बाद की गई, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में मेडिकल विभाग में प्रोफेसर था.
जांच एजेंसियों ने शकील के किराए के कमरे से 12 सूटकेसों में भरे विस्फोटक, 20 टाइमर्स, बैटरियां, रिमोट कंट्रोल, 5 किलो हैवी मेटल, और वॉकी-टॉकी सेट बरामद किए हैं. शुरुआती जांच में पुलिस को शक है कि विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल आरडीएक्स जैसे हाई-ग्रेड विस्फोटक बनाने के लिए किया गया होगा.
विश्वविद्यालय और ट्रस्ट पर सवाल
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थापना 2014 में हुई थी और 2015 में इसे यूजीसी से मान्यता मिली थी. यह विश्वविद्यालय अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित है और फरीदाबाद के धौज क्षेत्र में लगभग 70 एकड़ में फैला हुआ है. इसे NAAC से A ग्रेड प्राप्त है और यहां कई प्रोफेशनल और एकेडमिक कोर्स चलाए जाते हैं.
हालांकि, जांच एजेंसियों ने 11 नवंबर को विश्वविद्यालय के चांसलर जव्वाद अहमद सिद्दिकी को गिरफ्तार किया है, जो उसी ट्रस्ट के प्रमुख भी हैं. यह गिरफ्तारी ट्रस्ट की गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है. सिद्दिकी कई प्राइवेट कंपनियों जैसे अल-फलह इन्वेस्टमेंट्स और एक्सपोर्ट्स के भी मालिक बताए जा रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि साल 2000 में भी उनका नाम एक वित्तीय घोटाले में सामने आ चुका है.
दुबई से संभावित कनेक्शन
जांच में यह भी सामने आया है कि इस नेटवर्क के तार दुबई तक जुड़े हो सकते हैं. ट्रस्ट से जुड़ी उस्मा अख्तर, जो अल-फलह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग की गवर्निंग बॉडी की सदस्य हैं, वर्तमान में दुबई में रह रही हैं. उनके LinkedIn प्रोफाइल के अनुसार, वह इंटीरियर फिटिंग और कपड़ा व्यवसाय से जुड़ी हैं. एजेंसियों को शक है कि वित्तीय लेन-देन और नेटवर्किंग के माध्यम से दुबई में बैठकर भारत में गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की गई हो सकती है.
डॉ. मुजम्मिल शकील की गिरफ्तारी के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े ट्रस्ट की गतिविधियों पर गंभीर सवाल उठे हैं. अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या विश्वविद्यालय का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़े विस्फोटक तैयार करने के अड्डे के रूप में किया गया था, और क्या इसके तार विदेश — विशेष रूप से दुबई — तक फैले हुए हैं.
Source: https://www.abplive.com/business/delhi-bast-case-al-falah-university-professor-linked-with-dubai-know-in-details-3042150


