एक सप्ताह में हो जाएगा 60 हजार पेड़ों की जिंदगी का फैसला, इस कारण से बच सकती है जान, पढ़िए पूरी रिपोर्ट


दीपक आहूजा, गुड़गांव : अगले एक सप्ताह के अंदर गोल्फ कोर्स रोड और गुड़गांव-फरीदाबाद रोड के आसपास लगे करीब 60 हजार पेड़ों की जिंदगी को लेकर फैसला होगा। यदि यह पेड़ अरावली प्लांटेशन जोन के अंदर निकले तो इनकी जिंदगी बच सकती है। इसकी जांच का जिम्मा डीसी निशांत कुमार यादव ने वन विभाग के डीएफओ और राजस्व विभाग के डीआरओ को सौंपा है। इनकी रिपोर्ट के आधार पर अगला फैसला लिया जाएगा। 20 साल पहले हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने सेक्टर-54 में करीब 103 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। साल 2014 में इस जमीन का ले-आउट प्लान तैयार हुआ। इसके मुताबिक करीब 58 एकड़ में 42 ग्रुप हाउसिंग सोसायटी विकसित करने का प्लान बनाया था। इसके अलावा पुलिस स्टेशन, टैक्सी स्टैंड, शॉपिंग सेंटर, पेट्रोल पंप, कम्युनिटी सेंटर, प्राइमरी स्कूल, धार्मिक स्थल बनाया जाना था। करीब 28 एकड़ जमीन को पार्क और सड़कों के लिए आरक्षित रखा गया था।

20 करोड़ रुपये का एस्टिमेट तैयार
एचएसवीपी ने इस प्लान को धरातल पर लाने के लिए करीब 20 करोड़ रुपये का एस्टिमेट तैयार कर लिया। इस जमीन की तारबंदी करवा दी। कुछ महीनों पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश जारी किए थे कि अरावली प्लांटेशन की जमीन वन क्षेत्र का हिस्सा है। इसमें किसी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद एचएसवीपी का प्लान अटक गया। अब एचएसवीपी ने डीसी के समक्ष मामले को रखा है, जिसमें आग्रह किया है कि इस जमीन को अरावली प्लांटेशन से बाहर किया जाए। मौजूदा समय में इस जमीन पर करीब 60 हजार अलग-अलग प्रजाति के पेड़ लगे हैं, जिसमें अधिकांश कीकर हैं। वन विभाग के राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन अरावली प्लांटेशन में शामिल है, जिसमें किसी तरह का निर्माण नहीं हो सकता है।

वन विभाग के रेकॉर्ड में यह जमीन अरावली प्लांटेशन का हिस्सा है। एचएसवीपी ने डीसी के समक्ष इस जमीन को निजी बताते हुए अरावली प्लांटेशन से बाहर करने की बात कही है। राजस्व रेकॉर्ड की जांच के बाद इस मामले में कुछ बोला जा सकता है। –

राजीव तेजयान, डीएफओ, वन विभाग

क्या है अरावली प्लांटेशन : अरावली प्लांटेशन की जमीन पर सिर्फ जंगल विकसित किया जा सकता है। किसी तरह का निर्माण इस जमीन पर प्रतिबंधित है। वन विभाग के मुताबिक साल 1991 में जापान सरकार के जायका फंड से अरावली प्लांटेशन प्रॉजेक्ट शुरू हुआ था। करीब 10 साल तक यह परियोजना चली। इसके तहत करीब 82000 एकड़ जमीन पर पौधरोपण किया गया था। साल 2000 तक अरावली पर्वत श्रृंखला और अरावली प्लांटेशन का दायरा ठीक रहा। इसके बाद यह उजड़ना शुरू हो गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने अरावली प्लांटेशन दायरे को वन क्षेत्र घोषित कर दिया है।

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