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यह लिखा है फाइनल नोट में…
संदीप कुमार पुत्र दयानंद गांव जुलाना, जींद। मैंने अपनी जिंदगी में हमेशा सच्चाई का साथ दिया है। मुझे सच्चा और नेक आदमी बहुत पसंद है। मेरे दादाजी और छोटे दादाजी देश के लिए लड़े। सेना में रहे। छोटे दादाजी तो सात साल बर्मा (म्यांमार) में देश की लड़ाई में कैद में रहे। मेरी रगों में देशभक्ति है। देश और समाज से बड़ा कोई नहीं है।
मैं भगत सिंह को अपना आदर्श मानता हूं क्योंकि जो कुर्बानी उन्होंने देश को आजाद करवाने में लगाई, वह एक लीजेंड थे। अगर भगत सिंह जैसे न होते तो क्या देश आजाद होता? वह भाग सकते थे लेकिन नहीं भागे। हमारी नस्लों को यह (उनका बलिदान) प्रेरणा देता है पर आज समाज में बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार और जातिवाद है जो हमें सच्चाई और आदर्श में बाधित करते हैं।
हमने अपराध पर लगाम लगाने का बहुत प्रयास किया। अफसरों का सहयोग मिला, मार्गदर्शन मिला, सही के लिए प्रेरित किया। पूरण कुमार का तबादला रोहतक रेंज में होते ही भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की तैनाती आईजी कार्यालय में कर दी गई।
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