ऋद्धिमान साहा को बंगाल बोर्ड से पंगा लेना भारी पड़ा, दूसरे राज्य टीम में शामिल करने को राजी नहीं!


बेंगलुरु. पेशेवर के रूप में अपना भाग्य आजमाने के लिए बंगाल का साथ छोड़ने की इच्छा रखने वाले ऋद्धिमान साहा (Wriddhiman saha) को किसी शीर्ष राज्य से कोई बड़ी पेशकश नहीं मिली है, जबकि उनका दावा इसके विपरीत था. गुजरात और बड़ौदा को साहा के संभावित विकल्पों के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन इन दोनों ही राज्यों ने 40 टेस्ट खेलने वाले इस खिलाड़ी को किसी तरह की पेशकश से इनकार किया है. साहा ने दावा किया था कि उन्हें कुछ राज्य संघों से पेशकश मिली है, लेकिन उन्होंने किसी को भी हामी नहीं भरी है.

गुजरात क्रिकेट संघ (GCA) के वरिष्ठ अधिकारी अनिल पटेल ने पीटीआई को बताया, ‘मैं पुष्टि कर सकता हूं कि गुजरात क्रिकेट संघ ने ऋद्धिमान साहा को ऐसी कोई पेशकश नहीं की है. हमारे पास हेत पटेल नाम का युवा विकेटकीपर है, जो हमारे लिए काफी अच्छा कर रहा है. हम आखिर क्यों उसका करियर बर्बाद करना चाहेंगे. अभी अमेरिका में मौजूद बड़ौदा क्रिकेट संघ (BCA) के सचिव अजित लेले से जब संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपने संघ के साहा से संपर्क करने की कोई जानकारी नहीं है.

पहले ही खिलाड़ी जोड़ चुके

लेले ने कहा कि मैं पिछले एक महीने से भारत में नहीं हूं. लेकिन जहां तक बीसीए का सवाल है. हम पेशेवर के रूप में पहले ही अंबाती रायुडू को जोड़ चुके हैं. जहां तक मुझे जानकारी है हमने साहा से बात नहीं की है. हाल में खबर आई थी त्रिपुरा ने साहा से संपर्क किया था. लेकिन खबरों के अनुसार मैच फीस के अलावा पेशेवर फीस की उनकी मांग पर विचार नहीं किया जा सकता. त्रिपुरा क्रिकेट संघ के सचिव किशोर दास से संपर्क नहीं हो पाया.

संयुक्त सचिव से हुआ विवाद

साहा ने अपने घरेलू संघ बंगाल क्रिकेट संघ (CAB) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मांगी थी, क्योंकि संघ के संयुक्त सचिव देवब्रत दास ने बंगाल क्रिकेट के लिए उनकी प्रतिबद्धता को लेकर उनकी सार्वजनिक आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि रणजी ट्रॉफी मुकाबलों से बाहर रहने के लिए उन्होंने फर्जी चोटों का बहाना बनाया. नाराज साहा से दास से बिना शर्त मांगने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दास को इंग्लैंड के मौजूदा दौरे पर भारतीय टीम का प्रशासक बनाया गया है, जो इस बात का सबूत है कि कैब अपने प्रशासक के समर्थन में खड़ा है.

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भारतीय कोच राहुल द्रविड़ ने साहा को स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि वह 37 साल की उम्र में राष्ट्रीय टीम के रिजर्व विकेटकीपर के रूप में काफी उम्रदराज हैं, जिससे नाराज इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने कई मौकों पर बयान दिया कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली के आश्वासन के बावजूद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया.

Tags: BCCI, Bengal, Team india, Wriddhiman saha

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