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<p style="text-align: justify;"><strong>RBI Repo Rate:</strong> घर और कार लोन लेने वालों को इस साल ईएमआई में और राहत मिल सकती है. इसकी वजह है अमेरिका की तरफ से बढ़ाए गए टैरिफ की वजह से उपजी वैश्विक अनिश्चतता. ऐसे में आरबीआई की तरफ से रेपो रेट को और कम किए जाने की संभावना है. अर्थशास्त्रियों का ये मानना है कि घरेलू मोर्चे पर आर्थिक रफ्तार में कमी की चिंता और महंगाई के चलते आगे रेपो रेट कम करने की आरबीआई की तरफ से और पहल की जा सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;">यानी अमेरिका और चीन के ट्रेड वॉर के और बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर धीमी रफ्तार की आशंका बढ़ सकती है. ऐसे में केन्द्रीय बैंक अपनी नीति में और ढील देते हुए आक्रामक तेवर अपना सकता है. </p>
<p style="text-align: justify;">हाल में एक नोट में Nomura इकॉनोमिस्ट सोनल वर्मा और अरोदीप नंदी ने कहा, "ग्रोथ को बरकरार रखने के लिए तेल की बढ़ती कीमतें और महंगाई को काबू में करने के लिए नीतिगत बदलाव की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में रेपो रेट 5.00% से 5.50% तक जा सकती है."</p>
<p style="text-align: justify;">आरबीआई रेपो रेट में एक कटौती इस महीने पहले ही कर चुका है और रेपो में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद इसे 6 प्रतिशत कर दिया है. हालांकि, आरबीआई ने जीपीडी और महंगाई दोनों में कमी का अनुमान लगाया है. जीपीडी 6.5 प्रतिशत तो वहीं महंगाई दर 4 प्रतिशत बने रहने का अनुमान लगाया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन, जानकार ये मानते हैं कि इसमें और गुंजाइश बची है. Nomura का ये मानना है कि इस साल करीब 100 प्वाइंट्स की राहत दी जा सकती है. यानी हर क्वार्टर के दौरान पॉलिसी बैठक में जून, अगस्त, अक्टूबर और दिसंबर के दौरान राहत के लिए कदम उठाए जा सकते हैं. आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ये माना है कि आर्थिक रफ्तार पर व्यापारिक तनाव को कम करना काफी मुश्किल होगा. लेकिन कई अर्थशास्त्री ये मानते है कि राहत उम्मीद से रहीं बढ़कर दी जा सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;">ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का ये मानना है कि इस साल 50 बेसिस प्वाइंट की रेपो रेट में और कटौती हो सकती है. यानी उपभोक्ता के लिए गुड न्यूज़ होगी- कम ब्याज दर, सस्ता लोन और मासिक ईएमआई में थोड़ी कमी. </p>
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