फरीदाबाद: बर्बादी का मंजर देख किसान के दिल पर क्या बीतती है यह वही समझ सकता है जिसने खेतों में दिन-रात पसीना बहाया हो. फरीदाबाद के किसानों के लिए इस बार की बरसात आफत बनकर आई है. सब्जियों की फसलें पानी में डूबकर पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. जहां धान की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर राहत की मुस्कान है वहीं सब्जियां उगाने वाले किसान लागत निकालने तक के लिए तरस रहे हैं. जिन खेतों में कभी हरी-भरी फसलें लहराती थीं वहां अब पानी और कीचड़ का साम्राज्य है.
बारिश से सब बर्बाद हो गया
फरीदाबाद के किसान महिपाल सिंह ने Local18 से बातचीत में अपना दर्द बयां करते हुए कहा मैंने खेतों में तोरी और पालक की फसल लगा रखी थी. बारिश से सब बर्बाद हो गया. चार एकड़ जमीन में सब्जियां बोई थीं लेकिन पालक पूरी तरह सड़ गई है. खेती में करीब 35 हजार रुपये की लागत लगी थी लेकिन अब वो भी निकालना मुश्किल हो गया है. हर चार दिन में तोरी तोड़ते हैं पर अब मुश्किल से 12-13 किलो ही तोरी मिल रही है.
मुआवजा दे सरकार
मंडी में 15 रुपये किलो के भाव पर बेच रहे हैं जिससे घाटा ही हो रहा है. सरकार की ओर से जो मुआवजा देने की बात कही जाती है वो आज तक हमें नहीं मिला. हमारा पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर है. 10 लोगों का पेट इस खेत से ही पलता है. ऐसे में हम चाहते हैं कि सरकार मदद करे और हमें नुकसान का उचित मुआवजा दे.
फायदा नहीं घर से लगाने पड़ते हैं पैसे
इसी गांव की प्रीति जो एक छात्रा हैं और पढ़ाई के साथ खेती में परिवार का हाथ बंटाती हैं, बताती हैं खेती में फायदा तो दूर घर से पैसे लगाने पड़ रहे हैं. जिस दिन बारिश नहीं होती तोरी अच्छी दिखने लगती है. लेकिन बारिश होते ही फसल खराब हो जाती है. हालात ऐसे हैं कि पढ़ाई और खेती दोनों संभालना मुश्किल हो गया है.
किसान कर्ज और घाटे के दलदल में फंस गए हैं
किसानों का कहना है कि मौसम की मार ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है. सब्जियां उगाने में मेहनत और लागत दोनों ज्यादा होती है लेकिन जब मौसम ही साथ न दे तो मेहनत का फल नहीं मिलता. इस समय किसान अपने परिवार का खर्च चलाने को लेकर परेशान हैं. जहां कुछ फसलों को बरसात से फायदा मिला है वहीं सब्जियों की खेती करने वाले किसान कर्ज और घाटे के दलदल में फंस गए हैं. किसान उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार उनकी हालत पर ध्यान दे और उन्हें राहत राशि देकर इस संकट से बाहर निकाले.