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चंडीगढ़ की सड़कों पर एक 8 साल की बच्ची और उसके पीछे-पीछे चलते 8 से 10 कुत्ते सबका ध्यान खींच रहे हैं। यह सिर्फ एक दृश्य नहीं, बल्कि ममता, जिम्मेदारी और बेजुबानों के प्रति सच्चे प्रेम की एक मार्मिक कहानी है। इस बच्ची का नाम जानकी है, जो इन कुत्तों के लिए सिर्फ एक दोस्त नहीं, बल्कि मां जैसी बन गई है।
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कुत्ते की सवारी करती जानकी
– फोटो : अमर उजाला
किराये के मकान में रहती है जानकी
सेक्टर-45 में अपने माता और पिता के साथ किराए के एक बेहद छोटे से एक कमरे के मकान में रहती है। जानकी का इन कुत्तों से नाता उस वक्त जुड़ा जब कुत्तों की मां की मौत हो गई। उस समय नन्ही जानकी ने इन पिल्लों को दूध पिलाना शुरू किया। सेक्टर-33 और 45 के लाइट पॉइंट पर लगने वाले ऑटो स्टैंड के ऑटो चालक महेंदर सिंह ने बताया कि जानकी के पास पैसे नहीं होते थे तो वह उन लोगों से पैसे मांगती थी और दूध खरीदकर कुत्तों को पिलाती थी। इसी ममता और निस्वार्थ सेवा ने उनके बीच दोस्ती को इतना गहरा कर दिया कि ये कुत्ते अब जानकी का पीछा नहीं छोड़ते। वो जहां जाती है, ये कुत्ते उसके पीछे-पीछे जाते हैं, मानों उसके साये हों।
…लेकिन प्यार नहीं होता कम
जानकी जिस इलाके में रहती है, वहां के लोग बताते हैं कि ये कुत्ते दिन भर उसके आसपास मंडराते हैं। जब वो खाना खाती है तो कुत्तों को भी खिलाती है। लोगों ने बताया कि कई बार वो अपने हाथों से ही इन कुत्तों को खाना खिलाती है। जब वे नहीं खाते हैं तो डांटती भी है और प्यार से थप्पड़ भी लगा देती है, लेकिन कुत्ते उसे कुछ नहीं कहते। जानवरों से प्यार और जिम्मेदारी की मिसाल बन चुकी जानकी, आज पूरे चंडीगढ़ की आंखों का तारा बन चुकी है।

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कुत्तों को खाना खिलाती जानकी
– फोटो : अमर उजाला
सिक्योरिटी गार्ड की तरह चलते हैं साथ
जानकी ने बताया कि ये कुत्ते उसके दोस्त हैं। एक सफेद रंग के कुत्ते की तरफ इशारा करते हुए उसने कहा कि वो सबसे पसंदीदा है। जानकी उसके ऊपर बैठकर ही सवारी करती है। वो कुत्ता भी प्यार से अपने ऊपर बैठने देता है और जिस तरफ चलने का इशारा करती है, वो चल देता है। इसी तरह एक दिन कुत्ते पर बैठकर सड़क पार करते हुए जानकी का वीडियो वायरल हुआ है। बाकी कुत्ते सिक्योरिटी गार्ड की तरह आगे-पीछे चलते हैं।

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जानकी
– फोटो : अमर उजाला
स्कूल से दूर, लेकिन ममता से भरपूर
जानकी स्कूल नहीं जाती, लेकिन मोहल्ले के बच्चों के साथ खेलती जरूर है। आसपास के लोग भी उसकी शिक्षा को लेकर चिंता जताते हैं, लेकिन उसकी इस ममता को देखकर हैरान भी हैं। जानकी के पिता सेक्टर-34 में एक रेस्टोरेंट में काम करते हैं और मां घरों में काम करती हैं। जानकी की यह कहानी बताती है कि इंसानियत और ममता के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती।
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