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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिकी दौरा हाल ही में समाप्त हुआ है. उधर पीएम मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलकर आए और इधर शनिवार को मेटा ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे लंबी समुद्री केबल परियोजना ‘वाटरवर्थ’ से जुड़ेगा, जिसके इस दशक के अंत तक चालू होने की उम्मीद है.
‘प्रोजेक्ट वाटरवर्थ’ क्या है
मेटा ने जिस ‘प्रोजेक्ट वाटरवर्थ’ की घोषणा की है, वो पांच प्रमुख महाद्वीपों तक पहुंचेगा और 50,000 किलोमीटर से अधिक लंबा होगा. इसकी लंबाई पृथ्वी की परिधि से भी ज्यादा है. यह परियोजना अमेरिका-भारत संयुक्त नेतृत्व बयान का हिस्सा थी, जिसे 13 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद जारी किया गया था.
मेटा ने क्या कहा?
मेटा के प्रवक्ता ने शनिवार को कहा, ‘मेटा भारत में निवेश कर रहा है, जो इसके सबसे बड़े बाजारों में से एक है. भारत, अमेरिका और अन्य स्थानों को जोड़ने के लिए दुनिया की सबसे लंबी, सबसे अधिक क्षमता वाली और सबसे तकनीकी रूप से उन्नत समुद्री केबल परियोजना लाई जा रही है.’
AI और तकनीक को बढ़ावा
यह प्रोजेक्ट तीन नए समुद्री कॉरिडोर खोलेगा, जो ग्लोबल AI इनोवेशन के लिए हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे. इसमें 24 फाइबर पेयर वाली केबल्स का इस्तेमाल किया जाएगा, जो अन्य सिस्टम्स के मुकाबले कहीं अधिक शक्तिशाली होगी.
दरअसल, मेटा AI इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश कर रहा है. साल 2025 में अकेले इस पर 60-65 अरब डॉलर खर्च करने की योजना है. कंपनी ने पहले भी 20 से अधिक समुद्री केबल प्रोजेक्ट्स में भागीदारी की है. हालांकि, ये प्रोजेक्ट जितना आसान दिखता है, असलियत में उतना है नहीं. हाई-रिस्क एरिया में केबल्स को नुकसान से बचाने के लिए सुरक्षात्मक उपाय किए जाएंगे. यह प्रोजेक्ट तकनीकी और लॉजिस्टिक चुनौतियों से भरा हुआ है, लेकिन मेटा इसे भविष्य की तकनीकी महत्वाकांक्षाओं के लिए अहम मान रहा है.
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