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नारायणगढ़। गांव डैहर के शिव शक्ति पैलेस में चल रही श्रीमद्भागवत के तीसरे श्रद्धालुओं ने कथा का रसपान किया। इस दौरान कुरुक्षेत्र से आए संत गोपाल स्वामी ने कहा कि इंद्रियों का वर्धन ही गोवर्धन है। पांच ज्ञानेंद्रियों और पांच कर्मेंद्रियों पर विजय प्राप्त करने वाले ही योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं। उन्होंने कहा कि जो भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त होते हैं उन्हें कहने में देरी होती है। भगवान करने में देरी नहीं करते। अनन्य भक्तों का भगवान योगक्षेम वहन करते हैं। कथावाचक ने बताया कि वृंदावन से गोवर्धन सात कोस है। मथुरा से गोवर्धन सात कोस है। गोकुल से गोवर्धन सात कोस है। नंदगांव से गोवर्धन सात कोस है, बरसाना से गोवर्धन सात कोस है और गोवर्धन की परिक्रमा भी सात कोस की है । जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाया तब भगवान श्रीकृष्ण की आयु भी सात वर्ष की थी। संवाद
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