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Online Ads: क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जैसे ही आप किसी चीज को ऑनलाइन खोजते हैं, वही चीज से जुड़े विज्ञापन हर प्लेटफ़ॉर्म पर आपका पीछा करने लगते हैं? चाहे आप Instagram स्क्रॉल कर रहे हों या Google खोलें, वही प्रोडक्ट बार-बार नज़र आता है. यह कोई संयोग नहीं बल्कि डिजिटल मार्केटिंग की एक सोची–समझी रणनीति है.
मार्केटिंग का मनोवैज्ञानिक खेल
सोशल मीडिया पर दिखने वाले विज्ञापन आपको यह याद दिलाते रहते हैं कि आप किसी चीज़ को खरीदने की सोच रहे थे. कंपनियाँ जानबूझकर ऐसे रंगीन, आकर्षक और ध्यान खींचने वाले विज्ञापन दिखाती हैं ताकि आपके दिमाग में उस प्रोडक्ट की ज़रूरत बार-बार उभरे. इसका मक़सद सिर्फ एक है आपको खरीदारी के लिए मनाना.
कुकीज
जब भी आप Google पर कुछ नया सर्च करते हैं, इंटरनेट आपकी पसंद को कुकीज़ के रूप में सेव कर लेता है. ये छोटे डेटा फ़ाइल्स आपकी रुचि, सर्च हिस्ट्री और ऑनलाइन व्यवहार को ट्रैक करते हैं. इसी वजह से बाद में उसी चीज़ से जुड़े विज्ञापन अलग-अलग साइट्स पर दिखने लगते हैं क्योंकि इंटरनेट पहले ही जान चुका होता है कि आपको क्या चाहिए.
शेयर किया गया डेटा और बड़ा नेटवर्क
Google, Meta, Instagram और कई ऐप्स एक ही बड़े डिजिटल नेटवर्क का हिस्सा हैं. कई बार आपके ऑनलाइन व्यवहार से जुड़ा डेटा इन्हीं प्लेटफ़ॉर्म्स के बीच साझा किया जाता है. इसका नतीजा यह होता है कि एक बार आप किसी चीज़ के बारे में खोज लें तो उससे जुड़े विज्ञापन बार-बार सामने आते रहते हैं.
ऐप्स की आपस में जुड़ी हुई दुनिया
लगभग सभी ऐप्स एक-दूसरे से किसी न किसी तरह जुड़े होते हैं. ये ऐप्स न सिर्फ आपकी पसंद और रुचि को नोट करते हैं बल्कि यह भी अनुमान लगाते हैं कि आप किस तरह की चीज़ों पर कितना खर्च कर सकते हैं. इसी डेटा के आधार पर आपको वही विज्ञापन दिखाए जाते हैं जिनमें आपको रुचि हो सकती है.
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