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फरीदाबाद: बल्लभगढ़ के मच्छर गांव के किसान किशन सिंह धनकड़ आलू की फसल में पानी की कमी और अनियमित सिंचाई से परेशान हैं. इस साल आलू की कीमत भी कम होने की वजह से उन्हें भारी घाटा होने का डर है. पानी की आपूर्ति में सुधार होने पर फसल में सुधार की उम्मीद है. किसान किशन सिंह धनकड़ ने इस साल पहली बार तीन बीघा जमीन पर आलू की फसल उगाई थी, लेकिन उन्हें इस फसल में भारी घाटा होने की आशंका है. किशन सिंह ने Local18 से बात करते हुए अपने अनुभव को साझा किया.
किशन सिंह ने बताया कि आलू की फसल में सिंचाई के लिए तीन महीने का समय लगता है. इस दौरान पानी की नियमित आपूर्ति आवश्यक होती है, ताकि आलू की फसल सही तरीके से विकसित हो सके. लेकिन उनकी समस्या यह है कि गांव में नहर की पानी की आपूर्ति अनियमित है. कभी नहर का पानी आता है तो कभी नहीं. इससे आलू की फसल को नियमित पानी नहीं मिल पाता जिसके कारण आलू सही तरीके से उग नहीं पाते.
घाटा होने की आशंका
किशन सिंह ने यह भी बताया कि इस साल आलू की फसल में उन्हें घाटा होने का अंदेशा है. गांव में आलू की कीमत 100 रुपये में 5 किलो है जो कि फसल उगाने में हुए खर्च के मुकाबले बहुत कम है. आलू की फसल में पानी की कमी और अनियमित सिंचाई के कारण आलू पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाए हैं.
हालात में थोड़ा सुधार
हालांकि, तीन दिन पहले किशन सिंह ने आलू की फसल में पानी डाला और अब आलू कुछ हद तक बाहर निकलने लगे हैं. लेकिन पानी की आपूर्ति की समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई है और इस कारण पूरे इलाके के किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
निरंतर समस्याओं का सामना
किशन सिंह जैसे किसानों को खेती में लगातार अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ता है. पानी की कमी अनियमित सिंचाई और बाजार में आलू की कम कीमत से वे बहुत परेशान हैं. उन्हें उम्मीद है कि अगर पानी की आपूर्ति नियमित हो तो फसल में सुधार हो सकता है और नुकसान की स्थिति को बचाया जा सकता है. इस प्रकार आलू की खेती के दौरान किसानों को पानी की समस्याएं और बाजार की कम कीमतों के कारण निरंतर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
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