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अक्सर आपने आम के पेड़ पर सफेद चूना लगा हुआ देखा होगा और यह सोच में भी पड़े होंगे कि ऐसा क्यों किया जाता है. दरअसल, आम के पेड़ पर सफेदी (चूना) लगाना एक पारंपरिक कृषि तकनीक है, जो कई फायदे देती है. यह न सिर्फ कीड़े और बीमारियों से बचाव करती है, बल्कि पेड़ को स्वस्थ रखने में भी मदद करती है और आने वाले समय में आम की पैदावार बढ़ाने में सहायक साबित होती है.
अक्सर आपने आम के पेड़ पर सफेद चूना लगा हुआ देखा होगा और यह सोच में भी पड़े होंगे कि ऐसा क्यों किया जाता है. दरअसल, आम के पेड़ पर सफेदी (चूना) लगाना एक पारंपरिक कृषि तकनीक है, जो कई लाभ प्रदान करती है. इससे कीड़े और बीमारियों से बचाव होता है, पेड़ स्वस्थ रहता है और आने वाले समय में उत्पादन में भी फायदा मिलता है. आइए जानते हैं कि पेड़ के तने पर सफेदी (चूना) लगाने के क्या फायदे हैं और इसे कैसे लगाया जाता है, एक्सपर्ट की राय के अनुसार.

तने पर सफेद चूना लगाने के लिए सबसे पहले 1 किलो बुझा हुआ सफेदी (चूना), 200 ग्राम तूतिया (कॉपर सल्फेट) और 10 लीटर पानी मिलाकर घोल तैयार करें. इसके बाद इस घोल को ब्रश की मदद से तने पर अच्छी तरह लगाएं. खासतौर पर नीचे से ऊपर 4–5 फीट तक सफेदी करना जरूरी है. जब चूना लग जाएगा, तो आम का पेड़ तेजी से विकसित होगा। ऐसे में चूना किस तरह फायदे देता है, आइए जानते हैं.

कीटों से सुरक्षा और नमी बनाए रखने में मददगार: सफेदी का लेप दीमक, छाल खाने वाले कीट और अन्य हानिकारक कीटों से बचाव करता है. यह तने में नमी बनाए रखने में सहायक होता है, विशेषकर गर्म और शुष्क मौसम में भी.
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चूना मिट्टी में कुछ पोषक तत्वों को उपलब्ध कराता है, जो पेड़ की वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही, चूना पेड़ को तनाव से बचाने में मदद करता है, जिससे यह अधिक फल और फूल देता है.

सर्दियों के साथ-साथ गर्मियों में सफेदी का सफेद रंग सूर्य की तेज किरणों को परावर्तित करता है, जिससे तने का तापमान नियंत्रित रहता है और गर्मी से नुकसान नहीं होता. वहीं, गर्मी के मौसम में इस तकनीक से पेड़ अच्छी पैदावार देता है और भारी मात्रा में आम मिलते हैं.

पुराने पेड़ों की छाल में दरारें आ जाती हैं, जिससे रोग और कीट घर बना लेते हैं. सफेदी का लेप इन दरारों की सुरक्षा करता है और उनके अंदर किसी भी कीड़े को बसने नहीं देता. इसका उपयोग सर्दी में भी किया जा सकता है, जिससे सर्दियों में पनपने वाले जीवों से आम का पेड़ सुरक्षित रहता है.

कब लगाना चाहिए: यह काम आमतौर पर फरवरी, मार्च और अक्टूबर-नवंबर में किया जाता है, जब पेड़ की वृद्धि धीमी होती है और वह कीटों व बीमारियों के लिए कम संवेदनशील होता है. हालांकि किसान नवंबर के साथ-साथ दिसंबर में भी इसका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि ठंड बढ़ने के साथ इस समय बीमारियों का खतरा पेड़ पर काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
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