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जब बात इंडियन स्ट्रीट फूड की आती है. तो इंडियन स्ट्रीट फूड न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है.हद से ज्यादा जंक या स्ट्रीट फूड खाने से पाचन तंत्र द्वारा सहन न किए जाने वाले भोजन से पेट में दर्द, गैस्ट्रिक समस्या, उल्टी, सिरदर्द, मतली, दस्त आदि जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं. ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन’ ने कुछ खास तरह के फूड आइटम और ड्रिंक को लेकर खास चेतावनी दी है. जिनका इस्तेमाल हम रोजाना करते हैं. क्योंकि इसका हमारे हेल्थ पर नेगेटिव असर होता है. यहां सिर्फ शराब की नहीं बल्कि कई सारे फूड आइटम की बातें हो रही है.
व्हाइट ब्रेड
अक्सर लोग व्हाइट ब्रेड सुबह या शाम की चाय के नाश्ते के रूप में खाते हैं. सफ़ेद ब्रेड में कोई डाइट फाइबर नहीं होता है. इनमें पोषक तत्वों की भी कमी होती है. ये आपके ब्लड शुगर के लेवल को तेज़ी से बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं.
रेडी-टू-ईट ब्रेकफ़ास्ट अनाज
नाश्ते के अनाज को आमतौर पर सुबह के नाश्ते के लिए एक स्वस्थ विकल्प माना जाता है. इनमें गेहूं, जई, चावल और मकई जैसे प्रसंस्कृत अनाज होते हैं. इनमें फाइबर की कमी होती है. इनमें स्वाद बढ़ाने के लिए कृत्रिम मिठास भी होती है. इसमें न केवल अनहेल्दी चीनी होती है बल्कि इसमें बुनियादी पोषक तत्वों की भी कमी होती है.
तला हुआ खाना
सबसे अनहेल्दी फूड आइटम में से एक तला हुआ खाना है. यह सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध जंक फ़ूड भी है. यह आज के समय में सबसे ज़्यादा खाया जाने वाला फूड आइटम भी है. ये कुछ पुरानी बीमारियों, दिल की विफलता, अन्य हृदय संबंधी बीमारियों, टाइप II मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर और शरीर के वजन में वृद्धि के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं.
बेकरी प्रोडक्ट
बेकरी उत्पाद निस्संदेह स्वादिष्ट होते हैं लेकिन अस्वास्थ्यकर भी होते हैं. इनमें कैंडी, कुकीज़, केक और पेस्ट्री जैसी चीज़ें शामिल हैं. ज़्यादातर बेकरी उत्पाद रिफ़ाइंड आटे, प्रिज़र्वेटिव, रिफ़ाइंड चीनी और वसा का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं. इससे उत्पाद में फाइबर कम और चीनी ज़्यादा होती है. इससे शरीर का वज़न बढ़ना, कमर का तनाव, कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होना, डिप्रेशन, हाई बीपी, हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ना जैसी कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
पिज्जा
बच्चों और वयस्कों के बीच सबसे ज़्यादा पसंद किए जाने वाले जंक फ़ूड आइटम में से एक है पिज़्ज़ा. इनका आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन्हें बेकन, पेपरोनी, हॉट डॉग और रिफ़ाइंड आटे सहित प्रोसेस्ड प्रोसेस्ड मीट का उपयोग करके तैयार किया जाता है. इनसे कैंसर होने का जोखिम बढ़ सकता है
फ़्रेंच फ़्राइज़ और आलू के चिप्स
सब्जी के रूप में आलू में कई पोषक तत्व होते हैं, लेकिन जब इन्हें लंबे समय तक तला, बेक या भुना जाता है, तो ये एक्रिलामाइड यौगिक बना सकते हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं. ये उच्च रक्तचाप और टाइप II मधुमेह का कारण भी बनते हैं.
प्रोसेस्ड मीट
सॉसेज, हैम और डिब्बाबंद मांस जैसे प्रोसेस्ड मीट को आमतौर पर उनके स्वाद और शेल्फ़ लाइफ़ को बढ़ाने के लिए प्रोसेस किया जाता है. हालाँकि इन प्रोसेस्ड मीट को ग्रुप I कार्सिनोजेन्स के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनमें कैंसर को प्रेरित करने की क्षमता होती है.
ग्लूटेन-मुक्त भोजन
आजकल ग्लूटेन-मुक्त आहार का सेवन चलन में है। हालाँकि हर किसी को ग्लूटेन-मुक्त आहार का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। यह पौष्टिक तत्वों की जगह लेगा और फाइबर के सेवन को कम करेगा। यह पोषण संबंधी कमी के विकास की संभावनाओं को भी बढ़ाता है।
आइसक्रीम और फ्रोजन योगर्ट
फ्रोजन योगर्ट और आइसक्रीम में आमतौर पर कैलोरी की मात्रा अधिक होती है. इनमें रिफाइंड चीनी और एडिटिव्स होते हैं. इन अतिरिक्त चीनी का सेवन करने से वजन बढ़ना, दांतों में सड़न, हृदय रोग, फैटी लीवर और टाइप, मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
कम कार्ब वाला रिफाइंड भोजन
कुकीज़ और चेडर चीज़ क्रिस्प जैसे खाद्य पदार्थ कम कार्ब वाले, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ हैं. कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कम कार्ब वाला आहार आपके इंसुलिन के स्तर, दिल संबंधी समस्याओं और वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है.
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बटर चिकन
भारत के सबसे पसंदीदा व्यंजनों में से एक बटर चिकन है. लेकिन यह एक बहुत ही वसायुक्त व्यंजन है. यह आपकी कैलोरी, वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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