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आपको नहीं पता होंगे ‘नागफनी’ के ये चमत्कारिक फायदे, इन बीमारियों से दूर रखता है ये पौधा Health Updates

आपको नहीं पता होंगे ‘नागफनी’ के ये चमत्कारिक फायदे, इन बीमारियों से दूर रखता है ये पौधा Health Updates
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Benefits of Nagphani: प्रकृति का चमत्कार ही है, जो धरती पर सदियों से ऐसे पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जिनका आयुर्वेद में इस्तेमाल होता आ रहा है. इन्हीं में से एक है ‘नागफनी’, जो दिखने में तो कांटेदार पौधा है, मगर गुणों की खान होता है. इसके कांटे समस्याओं को दूर भगाने में कारगर साबित होते हैं. यह न सिर्फ प्रकृति का एक चमत्कार है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी वरदान है.

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‘नागफनी’ को आयुर्वेद में ‘वज्रकंटका’ कहते हैं और इसका वानस्पतिक नाम ओपुन्शिया इलेटीओर है, जो सूखे और बंजर स्थानों पर उगता है. इसके फल, पत्तियों और तने में ढेर सारे पोषक तत्व जैसे विटामिन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स मौजूद होते हैं. इसे पाचन को बेहतर करने से लेकर डायबिटीज कंट्रोल, त्वचा की देखभाल और वजन घटाने तक में फायदेमंद माना जाता है. इससे जुड़े फायदों को जानते हैं.

चीन में हजारों सालों से इस्तेमाल हो रहा ये पौधा

जर्नल ऑफ फंक्शनल फूड्स में प्रकाशित (मार्च, 2022) एक शोध में इसके फायदों का जिक्र किया गया है. शोध के मुताबिक, भारत में नागफनी के नाम से पहचाने जाने वाले इस पौधे को चीन में खाने और दवा के लिए हजारों सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है. यह पेट की समस्याओं को ठीक करने, भूख बढ़ाने, ब्लड शुगर और फैट को नियंत्रित करने में मदद करता है. इसमें फ्लेवोनॉइड्स, फिनॉल, टेरपेनॉइड्स और पेक्टिन जैसे तत्व होते हैं, जो इसे खाने और दवा दोनों के लिए खास बनाते हैं.

नागफनी को निकालने के तरीके से बदलते हैं इसके गुण 

शोध बताते हैं कि नागफनी में मौजूद फिनॉल और फ्लेवोनॉइड्स फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद करते हैं. इसके छिलके में एंटीऑक्सिडेंट की ताकत गूदे से ज्यादा होती है. यह भी देखा गया है कि नागफनी को निकालने के तरीके से इसके गुण बदलते हैं- मेथनॉल और इथेनॉल से निकाले गए अर्क प्रोटीन और डीएनए को नुकसान से बचाते हैं, जबकि कुछ अन्य तरीकों से यह असर कम होता है. अलग-अलग किस्मों में भी इसके एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा अलग होती है, जो इसके तत्वों पर निर्भर करती है.

कान छेदने के लिए किया जाता कांटों का इस्तेमाल

‘नागफनी’ के कांटे बहुत मजबूत होते हैं, इसलिए पहले के समय में इसके कांटों का इस्तेमाल कान छेदने के लिए किया जाता था. इसके कांटे में एंटीसेप्टिक के गुण होने की वजह से न तो कान पकता था और न ही उसमें पस पड़ती थी. इसके अलावा, ‘नागफनी’ कफ को निकालने का काम करती है और दिल के लिए लाभकारी होती है. इतना ही नहीं, इसके इस्तेमाल से खून साफ होता है और दर्द-जलन जैसी समस्याओं में भी आराम मिलता है. ‘नागफनी’ को खांसी, पेट की बीमारी और जोड़ों के दर्द से निजात दिलाने में भी अहम माना गया है.

नागफनी में फाइबर की मात्रा आंतों के लिए अच्छी

जानकारी के अनुसार, ‘नागफनी’ में विटामिन ए, विटामिन बी 6, विटामिन सी और विटामिन के पाया जाता है. जितना कड़वा इस पौधे का स्वाद होता है, उतनी ही गर्म इसकी तासीर होती है, जो किसी भी प्रकार की बीमारी में काफी कारगर माना जाता है. ‘नागफनी’ में फाइबर की मात्रा आंतों के लिए अच्छी मानी जाती है, जिससे कब्ज और दस्त जैसी बीमारी में फायदा पहुंचता है. इसके अलावा, कान के दर्द के दौरान नागफनी की कुछ बूंदों को कान में डालने से आराम मिलता है. साथ ही, सूजन होने पर इसके पत्तों को पीसकर दर्द वाली जगह पर लगाया जा सकता है, जिससे काफी आराम मिलता है.

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