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आपके कान में पिंपल क्यों होते हैं? जानें इससे छुटकारा पाने का तरीका Health Updates

आपके कान में पिंपल क्यों होते हैं? जानें इससे छुटकारा पाने का तरीका Health Updates

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पिंपल कहीं भी हो सकता है. क्या आपको पता है ये कान के अंदर भी हो सकता है. कल्पना कीजिए आप अपने पसंदीदा गाने सुनने के लिए ईयरबड्स लगाए हुए है और अचानक से आपको पता चले कि आपके कान में तेज दर्द हो रहा है. जिसके कारण आपको असहज दर्द महसूस हो रहा है. पिंपल देखने में भले ही छोटे होते हैं लेकिन इसके दर्द काफी ज्यादा खतरनाक होते हैं. यह चेहरा, पीठ, छाती और कान कहीं भी हो सकता है. लेकिन सबसे आश्चर्य की बात यह है कि आप कैसे इससे छुटकारा पा सकते हैं?

कान में पिंपल क्यों होते हैं?

‘ऑनली माई हेल्थ’ की रिपोर्ट के मुताबिक कान में पिंपल या मुंहासे तब होते हैं जब कोई छिद्र मृत त्वचा कोशिकाओं और सीबम से भर जाता है. जो नैचुरल तेल है जो त्वचा की रक्षा करता है और उसे नम कर देता है. चूंकि कान में ऑयल वाले ग्लैंड, त्वचा कोशिकाएं और बालों के रोम होते हैं. इसलिए यह शरीर के अन्य भागों की तरह ही मुंहासों के लिए अतिसंवेदनशील होता है.

कान के छिद्रों के बंद होने में कई कारक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

गंदे या धूल भरे वातावरण – धूल के कण कान में जम सकते हैं और तेल के साथ मिल सकते हैं. जिससे मुहांसे हो सकते हैं.

काफी ज्यादा तेल निकलना – यदि आपके कान की ग्लैंड बहुत अधिक सीबम बनाती हैं. तो यह छिद्रों को बंद कर सकता है.

ईयरबड या हेडफ़ोन साझा करना – इससे आपके कान में बैक्टीरिया और कीटाणु प्रवेश कर सकते हैं.

गंदे ईयरबड या हेडफ़ोन का उपयोग करना – गंदी सतह बैक्टीरिया को स्थानांतरित कर सकती है, जिससे पिंपल होने का खतरा बढ़ जाता है.

कान में उंगलियां या लकड़ी डालना – गंदे हाथों से अपने कान को छूना या वस्तुएँ डालना बैक्टीरिया फैला सकता है.

गंदे पानी के कॉन्टैक्ट में आना – गंदे पानी के संपर्क में आने से स्विमर्स इयर या एक्सटर्नल ओटिटिस जैसी स्थितियां हो सकती हैं. जिसके परिणामस्वरूप पिंपल हो सकते हैं.

तनाव और हार्मोनल चेंजेज  – तनाव के लेवल में वृद्धि और हार्मोनल उतार-चढ़ाव, जैसे कि यौवन के दौरान, मुंहासे को ट्रिगर कर सकते हैं.

गंदे या संक्रमित कान के छेद – छेद के आस-पास स्वच्छता का ध्यान न रखने से जीवाणु संक्रमण हो सकता है. जिससे मुंहासे हो सकते हैं.

लंबे समय तक टोपी या हेलमेट पहनना – लंबे समय तक हेडगियर का उपयोग करने से कानों के आस-पास पसीना और बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं.

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एंटीबायोटिक क्रीम या डॉक्सीसाइक्लिन या मिनोसाइक्लिन जैसे खाने वाली एंटीबायोटिक दवा भी डॉक्टर दे सकते हैं. हालांकि, वह चेतावनी देते हैं कि इस तरह का इलाज आम होता जा रहा है, क्योंकि एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के मामले बढ़ रहे हैं. नैचुल इलाज ऐसे में ज्यादा अच्छे होते हैं.  कुछ रिसर्च से पता चलता है कि चाय के पेड़ का तेल कान के पिंपल को ठीक करने में मदद कर सकता है. हालांकि, मुंहासे के इलाज के रूप में इस तेल फायदेमंद है या नहीं इस पर रिसर्च हो रहे हैं. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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