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अगर आपको बार-बार एलर्जी, अस्थमा और एक्जिमा जैसी परेशानी हो रही है तो इसका साफ अर्थ है कि आपकी इम्युनिटी शरीर को मजबूत बनाने के विपरीत कमजोर कर रही है. कमजोर इम्युनिटी के कारण ही रुमेटीइड गठिया या टाइप 1 डायबिटीज जैसी ऑटोइम्यून बीमारी हो सकती है. दूसरे ऑटोइम्यून स्थितियों में सीलिएक की बीमारी, ल्यूपस, मल्टीपल स्केलेरोसिस, सोरायसिस और सोरियाटिक गठिया जैसी बीमारी शामिल है. कम से कम 80 बीमारियां इम्युनिटी कमजोर होने की समस्याओं के कारण होती हैं. ये सभी सूजन का कारण बन सकती हैं. शरीर में होने वाले इन संकेतों को पहचानें.
व्हाइट ब्लड सेल्स खत्म होने लगता है
आपने देखा होगा कि कोई ऐसे प्रोजेक्ट को लेकर एक आप लगातार काम कर रहे हैं. लेकिन कुछ दिन बात बीमार पड़ गए हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तनाव शरीर के लिम्फोसाइट्स, व्हाइट ब्लड सेल्स को कम करता है जो इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं. आपके लिम्फोसाइट लेवल जितने कम होंगे. आपकी सर्दी जैसे वायरस का उतना ही ज़्यादा जोखिम होगा.
किसी व्यक्ति को हमेशा सर्दी-जुकाम रहता है
वयस्कों के लिए हर साल दो या तीन बार सर्दी-जुकाम के दौरान छींकना और नाक बहना बिल्कुल सामान्य बात है. ज़्यादातर लोग सात से 10 दिनों में ठीक हो जाते हैं. कमजोर इम्युनिटी एंटीबॉडी विकसित करने और खतरनाक कीटाणुओं से लड़ने में तीन से चार दिन लगते हैं.लेकिन अगर आपको लगातार सर्दी-जुकाम हो रहा है या आपको सर्दी-जुकाम है जो अपने आप ठीक नहीं हो रहा है.
पेट से जुड़ी बहुत सी परेशानियां
अगर आपको बार-बार दस्त, गैस या कब्ज की समस्या होती है. तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपकी इम्युनिटी काफी ज्यादा कमज़ोर है.रिसर्च में पता चला है कि लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा आपके पाचन तंत्र में स्थित होता है. गट्स में पाए जाने वाली गुड बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव आपके पेट को संक्रमण से बचाते हैं और आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाते हैं. आंत से जब गुड बैक्टीरिया की मात्रा कम होने लगते हैं या मर जाते हैं तो पेट में वायरस, पुरानी सूजन और यहां तक कि ऑटोइम्यून विकारों के जोखिम में डाल सकती है.
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घाव धीरे-धीरे भरते हैं
जलने, कटने या खरोंच लगने के बाद आपकी त्वचा डैमेज कंट्रोल मोड में चली जाती है. आपका शरीर घाव को बचाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर रक्त भेजकर नई त्वचा को फिर से बनाने में मदद करता है. लेकिन अगर आपकी इम्युनिटी कमजोर रहेगी तो आपकी त्वचा फिर से नहीं बन सकती. आपको घाव भरने में काफी ज्यादा वक्त लगता है. इसके बजाय आपके घाव लंबे समय तक बने रहते हैं और उन्हें ठीक होने में मुश्किल होती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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