[ad_1]
अंबाला. शंभू बाॅर्डर पर किसानों के आंदोलन जारी हुए काफी दिन हो चुके हैं. इस माह में एक बार फिर से किसानों ने दिल्ली जाने का ऐलान किया था. इस बार किसानों ने पैदल दिल्ली जाने की सोची थी, और 101 किसानों का पहला जत्था दिल्ली जाने के लिए 6 दिसंबर को निकला था. किसानों ने जैसे ही पैदल दिल्ली जाने का सफर शुरू किया ही था, कि उसी दौरान पुलिस प्रशासन की ओर से उनके ऊपर आंसू गैस के गोले दागे गए थे. वहीं आंसू गैस के गोला बारी में कई किसान घायल भी हो गए थे. वे कई दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे.
ऐसा ही है एक किसान नौजवान अस्पताल से अपना इलाज करवाकर वापस शंभू बॉर्डर पर पहुंचा है. जब इस बारे में लोकल 18 की टीम ने उस नौजवान किसान से बात की, तो उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर को अपनी मांगों को लेकर किसानों ने पैदल दिल्ली जाने का ऐलान किया था. लेकिन वह लोग सफल नहीं हो पाए. किसानों ने जब आगे जाने के लिए बैरिकेड तोड़े, तो पुलिस प्रशासन की तरफ से उनके ऊपर आंसू गैस के गोले दागे गए थे. जिसमें कई किसान घायल हो गए. उनमें से वह भी एक थे. उन्हें काफी चोटें आईं और चार दिन तक वह आईसीयू में भर्ती रहे. उस समय की चोटों से वह अभी तक पूरी तरीके से ठीक नहीं हो पाए है.
फिरसे दिल्ली जाने की मांग को लेकर जुटे
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर उनका जज्बा इतना था कि सेहत ठीक ना होते हुए भी वह वापस शंभू बॉर्डर पर आ गए हैं. वह फिर से दिल्ली जाने की मांग को लेकर शंभू बॉर्डर पर जुट गए हैं. वहीं उनका कहना है कि दिल्ली जाकर हक लेना उनका धर्म है, और उनकी जरूरत भी. वह MSP गारंटी कानून चाहते हैं और वह लेकर रहेंगे. इससे उनकी पूरी पीढ़ी सुखी रहेगी और किसानी से उनका भरोसा भी नहीं उठेगा. उन्होंने प्रशासन को भी दावा करते हुए कहा है कि चाहे प्रशासन लाख कोशिश कर ले लेकिन वह लोग दिल्ली जाकर रहेंगे.
[ad_2]