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अमेरिका ने अपने मिलिट्री प्लेन से डिपोर्ट किए गए लोगों को भारत भेजा। विमान बुधवार को अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा।
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए अवैध तरीके से रह रहे 104 भारतीयों की वतन वापसी हो गई है। इन्हें लेकर बुधवार (5 फरवरी) दोपहर करीब 2 बजे US मिलिट्री का C-17 विमान अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इसे पैसेंजर टर्मिनल के बजाय एयरफोर्स के एयरबेस पर उतारा गया है।
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अमृतसर एयरपोर्ट के सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक इन लोगों की वैरिफिकेशन की जा रही है। यहां से इमिग्रेशन और कस्टम से क्लियरेंस के बाद पंजाब पुलिस को सौंप दिया जाएगा। इसके लिए बसें अंदर मंगाई गई हैं।
अमेरिका ने कुल 205 भारतीयों को डिपोर्ट करने के लिए चिह्नित किया है। इसी बीच 186 भारतीयों को डिपोर्ट करने वाली लिस्ट भी सामने आई। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बाकी बचे लोग कहां हैं और कब डिपोर्ट किए जाएंगे।
यूएस मिलिट्री का यह विमान भारतीय समय के मुताबिक 4 फरवरी की सुबह 3 बजे अमेरिका से रवाना किया गया था। यह पहली बार है जब अमेरिका अप्रवासियों को भेजने के लिए सैन्य विमान का इस्तेमाल कर रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद अवैध तरीके से रह रहे बाहरी लोगों को डिपोर्ट करने के आदेश दिए थे।
अमृतसर एयरपोर्ट के बाहर पंजाब पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। पंजाब के सीनियर अधिकारी भी वहां पहुंचे हैं।
सबसे ज्यादा हरियाणा-गुजरात और पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर लाए गए 104 लोगों में हरियाणा और गुजरात के 33-33, पंजाब के 30, महाराष्ट्र के 3, उत्तर प्रदेश-चंडीगढ़ के 2 लोग शामिल हैं। इनमें कुछ परिवार भी हैं। इसके अलावा 8–10 साल के बच्चे भी शामिल हैं। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के लोगों को बाई रोड घर भेजा जाएगा। गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के लोगों को बाई एयर ही आगे भेजा जा सकता है।
पंजाब पुलिस ने डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया एयरपोर्ट के सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक इनमें कोई बड़ा अपराधी नहीं है। पंजाब पुलिस का कहना है कि इन्हें डिटेन करने के फिलहाल कोई आदेश नहीं हैं। न ही सरकार ने कोई डिटेंशन सेंटर बनाया है। ऐसे में संभावना है कि एयरपोर्ट पर क्लियरेंस के बाद इन्हें इनके घर रवाना कर दिया जाएगा।
एयरफोर्स के एयरबेस की ओर जाने वाले रास्ते को बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया गया है। यहीं से डिपोर्ट लोग बाहर लाए जाएंगे।
केंद्र ने सभी अवैध प्रवासियों का डेटा चेक किया केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सभी अवैध प्रवासियों की भारत में रिहाइश का पूरा डेटा चेक करने के बाद ही उन्हें देश में आने की इजाजत मिली है। 23 जनवरी को विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो से अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर चर्चा की। इस दौरान डिपोर्ट करने पर सहमति बनी। वहीं, 27 जनवरी को राष्ट्रपति ट्रम्प ने दावा किया कि फोन पर वार्ता के दौरान इस मुद्दे पर PM मोदी ने भरोसा दिलाया कि जो सही होगा, वही करेंगे।
पूर्व पासपोर्ट अधिकारी बोले- सर्टिफिकेट पर लौटेंगे, वैरिफिकेशन होगी अमृतसर के पूर्व पासपोर्ट अधिकारी जेएस सोढी ने बताया कि जिस भी व्यक्ति को डिपोर्ट किया जाता है, उसके पास अपना पासपोर्ट नहीं होता। ऐसे में संबंधित भारतीय दूतावास उन्हें सर्टिफिकेट इश्यू करता है, जो भारत में लैंड होते ही वापस ले लिया जाता है।
यह सर्टिफिकेट इश्यू होने से पहले भारतीय दूतावास संबंधित व्यक्ति के बारे में विस्तृत जानकारियां जुटाता है। भारत लौटने के बाद भी स्थानीय पुलिस इन पर नजर रखती है। इनकी वेरिफिकेशन दोबारा से की जाती है।
भारतीयों को ला रहे विमान पर 6 करोड़ खर्च जिस विमान से अमेरिका ने भारतीयों को भेजा है, उस पर लगभग 6 करोड़ रुपए का खर्च आया है। यह चार्टर्ड विभाग सामान्य उड़ान से लगभग 6 गुना ज्यादा कीमती है। सफर में अवैध प्रवासी हथकड़ियों में ही रहेंगे। राष्ट्रपति ट्रम्प हमेशा से अवैध प्रवासियों को क्रिमिनल करार देते आए हैं। अवैध प्रवासियों को सेना के विमान से डिपोर्ट करने के पीछे ट्रम्प सख्त संदेश देना चाहते हैं कि अवैध प्रवासियों के लिए अब अमेरिका में कोई जगह नहीं है।
अमेरिका अब तक 4 छोटे देशों को डिपोर्ट कर चुका ट्रम्प सरकार अब तक 4 छोटे देशों- ग्वाटेमाला, होन्डुरास, इक्वाडोर और पेरू के अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट कर चुकी है। भारत पांचवां देश है, जहां के अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट किया गया है। अमेरिका से जहां डिपोर्टेशन किया गया है उसमें भारत सबसे दूर स्थित देश है। अमेरिका की भारत से दूरी लगभग 11 हजार किमी है। जबकि, पेरू लगभग 6 हजार किमी दूर स्थित है।
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्ती का असर दिख रहा है।
1700 अवैध प्रवासी भारतीय हिरासत में, अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर से घुसपैठ में 94 फीसदी की गिरावट ट्रम्प के सत्ता संभालने के 11 दिन में 25 हजार से ज्यादा अवैध प्रवासियों को हिरासत में लिया गया। ट्रम्प की आइस टीम (इमिग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट) ने 12 राज्यों में छापे की कार्रवाई को अंजाम दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर छापे की कार्रवाई रिपब्लिकन राज्यों में हुई है। इनमें 1700 अवैध प्रवासी भारतीयों को हिरासत में लिया है। इससे पहले ही 18 हजार अवैध प्रवासी भारतीयों को डिपोर्ट करने के लिए सिलेक्ट किया जा चुका है।
इस दौरान मेक्सिको बॉर्डर से घुसपैठ की घटनाएं 94% तक घटी हैं। बाइडेन के कार्यकाल में इस साल 1 जनवरी से 19 जनवरी के बीच रोज औसतन घुसपैठ की 2087 घटनाएं हुईं, जबकि ट्रम्प के बाद 20 जनवरी से 31 जनवरी तक रोज औसतन घुसपैठ की मात्र 126 घटनाएं ही हुईं।
अमेरिका में 17,940 भारतीय अवैध प्रवासी ICE के डेटा के मुताबिक अमेरिका में 17,940 भारतीय ऐसे हैं जो अवैध प्रवासी हैं। साथ ही इन लोगों को गैर-कानूनी तरीके से अमेरिका में घुसने के लिए जेल में नहीं डाला गया है। ये कागजी कार्रवाई की लंबी प्रक्रिया में फंस गए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह प्रक्रिया पूरी होने में 3 साल तक का वक्त लग जाता है। अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2023 में 3,86,000 लोगों को H-1B वीजा दिया गया था, जिनमें से लगभग तीन-चौथाई भारतीय नागरिक हैं।
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