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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 41 देशों के नागरिकों के लिए US वीजा बैन करने पर विचार कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक आधिकारिक आंतरिक ज्ञापन (इंटरनल मेमो) के आधार पर यह जानकारी दी है। इस लिस्ट में भारत के पड़ोसी भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और म्यांमार का भी नाम शामिल है।
एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि यह फाइनल लिस्ट नहीं है, क्योंकि अभी इसे अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियों की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलना बाकी है।
अमेरिका जिन 41 देशों पर वीजा बैन के बारे में विचार कर रहा है, उन सभी पर एक ही तरह का बैन नहीं लगाए जाएगा। इस बैन को तीन कैटेगरी में बंटा गया है- 1) रेड लिस्ट- पूरी तरह वीजा बैन 2) ऑरेंज लिस्ट- आंशिक वीजा बैन 3) यलो लिस्ट- अमेरिका की तरफ से बताए गए मुद्दों पर कार्रवाई नहीं करने पर आंशिक वीजा बैन।

यलो लिस्ट वाले देशों को 60 दिन का समय
- रेड लिस्ट में शामिल देशों के नागरिकों की अमेरिका में एंट्री पूरी तरह बंद कर दी जाएगी।
- ऑरेंज लिस्ट में शामिल देशों के नागरिकों के लिए वीजा प्रोसेस को आंशिक तौर पर बैन जाएगा। इन देशों को लोगों को अमेरिका वीजा पाने के लिए व्यक्तिगत तौर पर इंटरव्यू देना होगा।
- यलो लिस्ट में शामिल देशों को अमेरिका की तरफ से बताए गए मुद्दों पर काम करने के लिए 60 दिन का समय दिया जाएगा। यह कार्रवाई करने में नाकाम रहते हैं तो इन्हें ऑरेंज या फिर रेड लिस्ट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
ट्रम्प कैबिनेट को 21 मार्च तक सौंपनी है लिस्ट राष्ट्रपति बनने के बाद से डोनाल्ड ट्रम्प लगातार अप्रवासियों को अमेरिका से बाहर निकालने के लिए आक्रमक रुख दिखा रहे हैं। ट्रम्प ने अपने शपथ ग्रहण के दिन यानी 20 जनवरी को एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया था, सभी कैबिनेट सदस्यों को 21 मार्च तक उन देशों की लिस्ट देने का आदेश दिया है, जहां से आने वाले लोगों के लिए वीजा आंशिक या पूरी तरह बैन करना चाहिए।
ट्रम्प का कहना था उनका इरादा अमेरिकी नागरिकों को ऐसे अवैध अप्रवासियों से बचाना है जो आतंकवादी हमले करने, हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने, नफ़रत भरी विचारधारा का समर्थन करने के लिए इमिग्रेशन कानूनों के दुरुपयोग करने का इरादा रखते हैं।

ट्रम्प ने अपने शपथ ग्रहण वाले दिन पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के 78 से ज्यादा फैसलों को पलट दिया था।

ट्रम्प ने पहले कार्यकाल में 7 मुस्लिम देशों पर बैन लगाया था डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी सात इस्लामिक देशों सीरिया, सूडान, सोमालिया, ईरान, इराक, लीबिया और यमन पर बैन लगाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। हालांकि इससे कई मुस्लिम देश नाराज हुए थे। मानवाधिकार संगठनों ने इसे बर्बर फैसला बताया था।
बाद में जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस आदेश को रद्द कर दिया था। बाइडेन ने इसे राष्ट्र की राजनीतिक अंतरात्मा पर कलंक बताया था।
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