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भारत में जून 2020 में टिकटॉक बैन कर दिया गया था। भारत सरकार ने चीनी एप्लिकेशन को देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।
अमेरिका में टिकटॉक पर बैन अब 16 दिसंबर तक रहेगा। इसकी डेडलाइन 17 सितंबर को खत्म हो रही थी, इससे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे 3 महीने बढ़ाने का ऐलान कर दिया। यह चौथी बार है जब ट्रम्प ने बैन की डेडलाइन बढ़ाई है।
ट्रम्प के इस ऐलान से एक दिन पहले (15 सितंबर) ही अमेरिका और चीन के बीच मैड्रिड में ऐप से जुड़ी दिक्कतों को सुलझाने के लिए एक ‘फ्रेमवर्क’ पर सहमति बनने की बात सामने आई थी। इसकी जानकारी चीन के सीनियर ट्रेड नेगोशिएटर ली चेंगगांग ने दी थी।
ट्रम्प ने कहा- डील लगभग हो गई है
ट्रम्प ने सोमवार को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया कि ऐप अमेरिका में चलेगा या नहीं यह डील लगभग हो गई है। कुछ घंटों बाद फिर ट्रम्प ने रिपोर्टर्स से कहा कि वे शुक्रवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे, इसमें कन्फर्म हो जाएगा कि ऐप में चीनी हिस्सेदारी बचेगी या नहीं।
दरअसल, 2024 में अमेरिकी संसद ने एक कानून पास किया, जो कहता है कि टिकटॉक के चाइनीज ओनर बाइटडांस को अपना अमेरिकी बिजनेस बेचना पड़ेगा वरना ऐप बैन हो जाएगा। इस बिल को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साइन किया था।
टिकटॉक पर अमेरिका-चीन में क्या टेंशन है?
- अमेरिका ने नेशनल सिक्योरिटी का हवाला देकर टिकटॉक को बैन किया था। डर था कि चाइनीज सरकार यूजर डेटा एक्सेस कर सकती है।
- अमेरिका चाहता है कि वहां चलने वाले टिकटॉक का मालिकाना हक चीनी कंपनियों के बजाय अमेरिकी कंपनियों का हो।

चीन और अमेरिका डील पर क्या कर रहे हैं?
- अमेरिका में टिकटॉक चलाने के लिए शर्त है कि वहां का ऑपरेशन अमेरिकी कंपनियों को बेचा जाएगा। ओरेकल, सिल्वरलेक और एंड्रीसेन जैसे नाम बायर्स की लिस्ट में हैं।
- एप का ऐल्गोरिद्म और आईपी राइट्स चाइना के पास रह सकते हैं, लेकिन यूजर डेटा अमेरिकी कंट्रोल में होगा। ये डील ट्रेड वॉर को कम करने का हिस्सा है।
टिकटॉक भारत में जून 2020 से बैन है
भारत में जून 2020 में टिकटॉक बैन कर दिया गया था। भारत सरकार ने चीनी एप्लिकेशन को देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। भारत-चीन सीमा पर सैन्य झड़प के बाद भारत ने टिकटॉक सहित 59 चीनी एप्स पर बैन लगाया था। भारत में अब तक 500 से ज्यादा चाइनीज एप्स पर प्रतिबंध लग चुका है।
चाइनीज कंपनी के वीडियो एप टिकटॉक पर पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देने के आरोप थे। इसके अलावा उस पर भारतीयों का डेटा चोरी करने के आरोप का भी सामना करना पड़ा था। सबसे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने इस पर बैन लगाया था। हाईकोर्ट से बैन होने के बाद टिकटॉक की पेरेंट कंपनी बाइटडांस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उसने भी मद्रास हाईकोर्ट का ऑर्डर बहाल रखा था।
भारत में बैन की वजह से इसकी पेरेंट कंपनी बाइटडांस को रोज 5 लाख डॉलर (3.50 करोड़ रुपए) का नुकसान हो रहा है। मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि टिकटॉक की डाउनलोडिंग पर रोक लगाई जाए, इससे पोर्नोग्राफी को बढ़ावा मिल रहा है। इसके बाद सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एपल को गूगल को अपने ऑनलाइन स्टोर से टिकटॉक हटाने के लिए कहा था। दोनों कंपनियों ने ऐप हटा दिया। उस वक्त देश में टिकटॉक के 24 करोड़ यूजर थे।
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अमेरिका में टिकटॉक अब 16 दिसंबर तक बैन: हटाने की शर्त- एप का अमेरिकी बिजनेस US कंपनियों को बेचना होगा, ट्रम्प बोले- जिनपिंग से मिलकर फाइनल होगा