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अब बारिश में भी नहीं सड़ेगी सब्जियां, बस खेतों में अपनाएं ये देसी तरीका Haryana News & Updates

अब बारिश में भी नहीं सड़ेगी सब्जियां, बस खेतों में अपनाएं ये देसी तरीका Haryana News & Updates

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Faridabad News: आईटी प्रोफेशनल दीपक ने फरीदाबाद के दयालपुर गांव में तोरी और करेला की खेती जमीन पर नहीं बल्कि बांस के सहारे जाल पर की है. इससे फसल की क्वालिटी बेहतर बनी कीटों का असर कम हुआ और बरसात में फसल सुरक्…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • जाल विधि से शुरू की खेती.
  • इससे फसल की क्वालिटी सुधरी.
  • इससे कीटों का असर कम हुआ और बरसात में फसल सुरक्षित रही.
फरीदाबाद: फरीदाबाद के दयालपुर गांव में खेती अब सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि तकनीक और सोच का मेल बन चुकी है. गांव के किसान दीपक ने अपने खेत में तोरी और करेला की खेती एक अनोखे अंदाज में शुरू की है. उन्होंने खेत में जमीन पर नहीं बल्कि जाल पर सब्जी उगाई है. इसका फायदा ये हुआ कि फसल की क्वालिटी बेहतर बनी और कीड़े-मकौड़ों का असर भी कम हुआ. बारिश के मौसम में जहां जमीन पर बोई गई फसल गल जाती है वहीं जाल पर उगी सब्जी सुरक्षित रहती है.

जाल लगाकर शुरू की खेती

Local18 से बातचीत में दीपक ने बताया कि वो पेशे से आईटी प्रोफेशनल हैं और विप्रो में काम करते हैं. वर्क फ्रॉम होम की वजह से खेती के लिए समय निकाल लेते हैं. दीपक ने कहा मैं किसान के घर में जन्मा हूं और चाहता हूं कि मेरी पढ़ाई का फायदा किसानों को भी मिले. इसलिए, खेती में कुछ नया करने की सोचता रहता हूं. उन्होंने एक एकड़ में बांस के सहारे जाल लगवाकर तोरी और करेला की खेती की. जाल के नीचे की जमीन पर चुकंदर और खीरा भी लगाया है.

क्या है जाल विधि से खेती का फायदा

दीपक ने बताया कि उन्हें इस तरह खेती का आइडिया अपने मामा से मिला जो हापुड़ में अलग अलग तरीके से खेती करते हैं. उनका कहना है कि जाल पर खेती से लेबर खर्च कम आता है और बरसात में फसल खराब नहीं होती. इस पूरी व्यवस्था पर करीब 65 हजार रुपये की लागत आई है. उन्होंने बीज की जगह पौधे लगाए और फसल में किसी तरह के कीटनाशक या रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया.

मेहनत का फायदा उठाते हैं बिचौलिए

फल मक्खी से बचाव के लिए उन्होंने ट्रैप लगाए हैं. दीपक का सपना है कि किसान और ग्राहक को सीधा जोड़ा जाए, ताकि किसान को मेहनत का सही दाम मिल सके और ग्राहक को शुद्ध सब्जी. उन्होंने कहा मैं ऐसा कोई प्लेटफॉर्म फरीदाबाद में शुरू करना चाहता हूं जिससे खेत से सीधे किचन तक ताजा और ऑर्गेनिक सब्जी पहुंच सके. फिलहाल, मंडी में तोरी का रेट 35 से 40 रुपये किलो चल रहा है, जबकि कुछ समय पहले ये 7 से 10 रुपये किलो तक गिर गया था. दीपक कहते हैं मंडी में जो सबसे ज्यादा फायदा उठाते हैं वो बिचौलिए होते हैं किसान नहीं. मैं इस फर्क को खत्म करना चाहता हूं.

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