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अब कहेंगे अलविदा! पत्ता गोभी की खेती ने फरीदाबद के किसानों को कर दिया बर्बाद, इतनी मेहनत के बाद भी लाखों का घाटा Haryana News & Updates

अब कहेंगे अलविदा! पत्ता गोभी की खेती ने फरीदाबद के किसानों को कर दिया बर्बाद, इतनी मेहनत के बाद भी लाखों का घाटा Haryana News & Updates

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Faridabad News: फरीदाबाद के घरौरा गांव में किसान पत्ता गोभी की खेती में भारी नुकसान उठा रहे हैं। लागत 1 लाख रुपये के करीब आती है, लेकिन मंडी में सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो मिलने से उन्हें मुनाफा नहीं हो पा रहा.

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मंडी में सस्ते दाम से परेशान पत्ता गोभी किसान.

हाइलाइट्स

  • फरीदाबाद के किसानों को पत्ता गोभी की खेती में भारी नुकसान हो रहा है.
  • मंडी में पत्ता गोभी का दाम सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो मिल रहा है.
  • लागत ज्यादा और मुनाफा कम होने से किसान कर्ज में दबते जा रहे हैं.

फरीदाबाद. फरीदाबाद के घरौरा गांव में किसान बड़े पैमाने पर पत्ता गोभी की खेती करते हैं, लेकिन मेहनत के मुकाबले उन्हें मुनाफा नहीं मिल पा रहा है. किसान सुबह से शाम तक खेतों में पसीना बहाते हैं. मगर मंडी में फसल का सही दाम न मिलने से लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.

पट्टे पर खेती और भारी लागत
गांव के किसान रामवीर बताते हैं कि उन्होंने एक किला जमीन पट्टे पर ली है, जिसके लिए सालाना 50 हजार रुपये देने पड़ते हैं. खेती शुरू करने से पहले खेत की 8 से 10 बार जुताई की जाती है, फिर उसमें घुल (छोटे-छोटे पानी के नाले) बनाई जाती हैं. इसके बाद हाथ से एक-एक कर बीज रोपे जाते हैं. ठीक वैसे ही जैसे मूली बोई जाती है. बीजों के बीच 3 से 4 इंच का गैप रखा जाता है.

बीज बोने के बाद खेत में पानी लगाया जाता है और फिर तीन बार निराई-गुड़ाई करनी पड़ती है. फसल को सही पोषण देने के लिए डीएपी और दूसरी खादें डाली जाती हैं. इस पूरी प्रक्रिया में एक किला खेत तैयार करने में करीब 1 लाख रुपये की लागत आ जाती है.

मंडी में फसल के नहीं मिल रहे दाम
रामवीर बताते हैं कि जब फसल तैयार हो जाती है, तो उसे मंडी में बेचने के लिए ले जाया जाता है. मगर वहां दाम इतने कम मिलते हैं कि लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. मंडी में 25 से 40 रुपये में एक पन्नी बिकती है, जिसमें करीब 30 से 40 किलो पत्ता गोभी होती है. इसका मतलब है कि किसानों को सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पैसे मिल रहे हैं जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

इस बार तो हालत इतनी खराब है कि कई बार हमें अपनी फसल मंडी में यूं ही फेंक कर आना पड़ता है रामवीर ने दुख जताते हुए कहा. पिछले साल थोड़ा बहुत फायदा हुआ था लेकिन इस बार खेती घाटे का सौदा बन गई है. जमींदार को पैसे देने होते हैं घर में 10 लोगों का परिवार है ऐसे में गुजारा करना मुश्किल हो रहा है.

किसानों की बढ़ती परेशानियां
रामवीर पिछले 10 सालों से खेती कर रहे हैं लेकिन इस बार जितना नुकसान हुआ है ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. लागत ज्यादा और मुनाफा कम होने से किसान कर्ज के बोझ में दबते जा रहे हैं. अगर मंडी में सही दाम नहीं मिले तो भविष्य में घरौरा के किसान पत्ता गोभी की खेती से पीछे हटने पर मजबूर हो सकते हैं.

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