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तालिबान ने अफगान महिलाओं की नर्सिंग की ट्रेनिंग पर बैन लगा दिया है। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक काबुल में स्वास्थ्य अधिकारियों और शैक्षिक संस्थानों के अधिकारियों के बीच हाल ही में बैठक हुई थी जिसमें तालिबान सरकार का फैसला सुनाया गया।
अफगानिस्तान में स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन बैठक के दौरान ही उन्हें तालिबान का आदेश सुनाया गया था कि महिलाएं और लड़कियां अब इन संस्थानों में पढ़ाई नहीं कर सकती हैं। इसकी कोई वजह नहीं बताई गई।
किक्रेटर राशिद खान ने तालिबान के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि तालिबान के इस फैसले का अफगानिस्तान पर गहरा असर पड़ेगा क्योंकि देश पहले से ही मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है।
राशिद ने आगे लिखा-
इस्लामी तालीम में शिक्षा का अहम स्थान है, जिसे पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए जरूरी बताया गया है। अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए शैक्षिक और चिकित्सा संस्थानों के बंद होने से मैं काफी दुखी हूं।
अफगानिस्तान के पूर्व कप्तान मोहम्मद नबी ने कहा कि लड़कियों को मेडिकल की पढ़ाई से प्रतिबंधित करने का फैसला सही नहीं है। इस्लाम ने हमेशा सभी के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है।
तालिबान के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें मेडिकल छात्राएं रोते हुए एक-दूसरे को सांत्वना देती हुई दिखाई दे रही हैं।
एमनेस्टी बोला- अफसानिस्तान में सबसे ज्यादा मातृ मत्यु दर, यह और बढ़ेगा अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने भी तालिबान सरकार से अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की है। मिशन ने कहा कि इस फैसले से देश के हेल्थ सिस्टम और विकास पर बुरा असर पड़ेगा।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत बच्चों को जन्म देने के दौरान हो जाती है। देश में पहले से ही मेडिकल स्टाफ की कमी है। तालिबान के फैसले से देश पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।
BBC के मुताबिक तालिबान के इस फैसले से देश में महिलाओं की पढाई का आखिरी रास्ता भी बंद हो गया है। तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा कर लिया था। इसके बाद से वह महिलाओं पर कई पाबंदियां लगा चुका है।
सबसे पहले अलग-अलग सरकारी संस्थानों में काम कर रही महिलाओं से उनकी नौकरियां छीनी गई। फिर उनकी पढ़ाई पर पाबंदियां लगाई गई। अफगानिस्तान में महिलाएं सिर्फ छठी कक्षा तक ही पढ़ाई कर सकती हैं।
क्या है अफगानिस्तान का शरिया कानून तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कहा था कि देश में शरिया कानून लागू होगा। दरअसल, शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है। कई इस्लामी देशों में इसका इस्तेमाल होता है। हालांकि, पाकिस्तान समेत ज्यादातर इस्लामी देशों में यह पूरी तरह लागू नहीं है। इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं।
शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून शामिल हैं। शराब पीना, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करना या तस्करी, शरिया कानून के तहत बड़े अपराधों में से एक है। यही वजह है कि इन अपराधों में कड़ी सजा के नियम हैं।
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अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं के लिए एक नया फरमान जारी किया। अफगानी न्यूज चैनल अमू टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लिए तेज आवाज में इबादत करने पर रोक लगा दी गई है। तालिबान के मंत्री मोहम्मद खालिद हनाफी ने यह आदेश जारी किया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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