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30सीटीके18-माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में हनुमान कथा के दौरान झूमते श्रद्धालु। स्रोत : म
रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में आयोजित पांच दिवसीय 24वें वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन हनुमान कथा का वाचन किया गया। वीरवार को गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने गणेश वंदना के साथ कथा सुनाई।
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सचिव गुलशन भाटिया ने बताया कि पानीपत निवासी वीरेंद्र ने परिवार सहित ज्योत प्रचंड की व जरूरतमंद बच्चों को स्टेशनरी वितरित की। पंडित अशोक शर्मा ने आरती के बाद प्रसाद वितरित किया। उनके भजन छम-छम नाचे वीर हनुमाना, बालाजी के लाड लडावै माता अंजना, मैं तो फूली नहीं समाई बालाजी के रंग में, वीर हनुमाना अति बलवाना पर भक्त झूम उठे।
साध्वी मानेश्वरी देवी ने हनुमानजी की बाललीला व जन्मकथा का मनमोहक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि अपार बल के धनी भगवान हनुमान की कथा का अंत नहीं है। वे महाबलशाली, महाप्रतापी, महाशूरवीर के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने हनुमान जी के खेल-खेल में सूर्य को फल समझकर निगलने व ऋषि-मुनियों को परेशान करने से जुड़ी कथा सुनाई। इसी नटखटपन के कारण मिले श्राप के चलते वे अपनी सभी शक्तियों को भूल गए। बाद में उन्हें उनकी शक्तियों का अहसास दिलाया गया तो वे एक छलांग में समुद्र लांघ कर लंका पहुंच गए। वहां से माता सीता की सुध लेकर लौटे।
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अपार बल के धनी हनुमान जी की कथा का अंत नहीं : साध्वी