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हिसार में प्रशिक्षणार्थियों एवं अधिकारियों के साथ कुलपति प्रो. बीआर कांबोज।
हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘अपशिष्ट (कचरा) प्रबंधन के लिए सतत प्रौद्योगिकियां’ विषय पर 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज मुख्य अतिथि जबकि अधिष्ठाता डॉ. राजेश गेरा ने अध्यक्षता की। कुलपति ने कहा कि अपशिष्ट के समुचित प्रबंधन के लिए जागरूकता जरूरी है। कृषि अवशेष प्रबंधन एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में धान की पराली जलाने से समस्या बढ़ती जा रही है। इससे न केवल मिट्टी की गुणवत्ता व सूक्ष्म जीव प्रभावित होते हैं बल्कि वायु प्रदूषण एवं ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन भी होता है। कृषि अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषण भी फैलता है। कृषि अवशेषों का कुशलतापूर्वक और लागत प्रभावी ढंग से उपयोग करके कई मूल्यवर्धित उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं।
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उन्होंने बताया कि अपशिष्ट के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें ठोस अपशिष्ट, तरल अपशिष्ट, सूखा अपशिष्ट, बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट और नॉन बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट शामिल हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा निरंतर अपशिष्ट प्रबंधन बारे किसानों को भी जागरूक किया जा रहा है। प्रशिक्षण में विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के 50 स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने भाग लिया। कुलपति ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाणपत्र भी वितरित किए। छात्र कल्याण निदेशक डॉ. मदन खीचड़ ने सभी का स्वागत किया जबकि पाठ्यक्रम निदेशक एवं अधिष्ठाता डॉ. राजेश गेरा ने कचरा प्रबंधन के लिए सतत प्रौद्योगिकियां विषय पर विस्तृत जानकारी दी।
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अपशिष्ट के समुचित प्रबंधन के लिए जागरूकता जरूरी : प्रो. कांबोज