in

अनिल विज, जिन्होंने अपनी BJP सरकार मुश्किल में फंसाई: धरने के लिए दरी लेकर चलते थे; अपने एरिया में सैनी का दरबार बंद करा चुके – Ambala News Chandigarh News Updates

अनिल विज, जिन्होंने अपनी BJP सरकार मुश्किल में फंसाई:  धरने के लिए दरी लेकर चलते थे; अपने एरिया में सैनी का दरबार बंद करा चुके – Ambala News Chandigarh News Updates

[ad_1]

अनिल विज भाजपा छोड़कर 2 बार निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं, तब भी उन्हें जीत मिली थी।

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने 5 दिन से अपनी ही पार्टी, BJP की सरकार को मुश्किल में डाल रखा है। उनके टारगेट पर एक तरफ CM नायब सैनी हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली हैं। CM को वह उड़नखटोले से उतरकर मंत्रियों–विधायकों से ब

.

नायब सैनी और अनिल विज के बीच पहले भी विवाद हो चुका है। तब विज ने मंत्री रहते हुए सैनी के बतौर राज्यमंत्री अंबाला कैंट के रेस्ट हाउस में लगाए जा रहे जनता दरबार को बंद करा दिया था। सैनी के अंबाला जिला भाजपा का अध्यक्ष रहने के दौरान भी विज की उनसे ठनी रही।

ये तस्वीर 2021 की है, तब अनिल विज बीमार हो गए थे और उन्हें डॉक्टरों ने 24 घंटे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने की हिदायत दी थी, इसके बावजूद अनिल विज ने काम किया और दफ्तर में आई फाइलों का निपटारा किया।

विज ने कॉलेज लाइफ में पॉलिटिक्स शुरू की थी। बैंक में नौकरी के वक्त भी वह पार्टी में सक्रिय रहे। वह भाजपा के उस वक्त के नेता हैं, जब प्रदेश में पार्टी के 2-4 नेता ही होते थे। विज तब कार में दरी लेकर चलते थे और जिसे बिछाकर कहीं भी धरना शुरू कर देते थे।

एक IAS अधिकारी के पक्ष में वह राजभवन के बाहर दरी बिछाकर बैठ गए थे। जब कोरोना वैक्सीन आई तो सब लगाने से डर रहे थे, विज ने सबसे पहले जाकर वैक्सीन लगवाई।

विज ने 3 महीने पहले कहा था कि चुनाव में उनकी हत्या की साजिश हुई। प्रशासन ने खूनखराबे की साजिश रची। इसके बावजूद सरकार ने 100 दिन में अंबाला DC नहीं बदला तो विज फिर से नाराज हैं…।

सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए अनिल विज की पूरी कहानी….

कॉलेज टाइम से RSS से जुड़े, कई अहम पद मिले अनिल विज का जन्म अंबाला कैंट में हुआ। यहीं के SD कॉलेज से पढ़ाई की। इसी दौरान वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए। फिर वे RSS के स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए। उनकी पॉलिटिक्स देख 1970 में उन्हें ABVP का महासचिव बनाया गया। इस दौरान RSS से जुड़े विश्व हिंदू परिषद (VHP), भारत विकास परिषद जैसे कई संगठनों में उन्होंने काम किया।

बैंक में नौकरी करने लगे, नौकरी छोड़ उपचुनाव लड़ा कॉलेज से B.Sc की पढ़ाई पूरी करने के बाद विज 1974 में SBI में नौकरी करने लगे। हालांकि इस दौरान भी वह BJP से जुड़े रहे। 1990 में जब अंबाला कैंट से विधायक बनीं सुषमा स्वराज को राज्यसभा सांसद बना दिया गया तब विज को उपचुनाव लड़ने को कहा गया। विज बैंक की नौकरी से इस्तीफा देकर 1990 में पहली बार में ही विधानसभा का उपचुनाव जीत गए। 1991 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का प्रदेश अध्यक्ष भी बना दिया गया।

2 बार निर्दलीय लड़कर भी चुनाव जीते 1996 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विज का टिकट काट दिया। जिसके बाद वह अंबाला कैंट से ही 1996 और 2000 में निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत गए। हालांकि इसके बाद 2005 में हुए चुनाव में विज को हार का सामना करना पड़ा।

साल 2007 में अंबाला सीट का परिसीमन हो गया। पहले अंबाला सीट पूरी तरह शहरी थी, जिसमें विज का दबदबा था। मगर, परिसीमन में इसमें कुछ गांव भी जुड़ गए। इससे विज के लिए फाइट टफ हो गई थी। जिस वजह से वह वापस भाजपा में चले गए। लाल कृष्ण आडवाणी ने तब अंबाला आकर विज को पार्टी में शामिल किया था। जिसके बाद से वह चुनाव जीतते चले आ रहे हैं।

अंबाला कैंट से 7वीं बार MLA चुने गए अनिल विज ने 2024 में 7वीं बार अंबाला कैंट सीट से चुनाव जीता है। विज सबसे पहले 1990 में उपचुनाव जीते थे। इसके बाद 2 बार 1996 और 2000 में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते। 2005 में अनिल विज चुनाव हार गए। इसके बाद 2009 में वह फिर भाजपा में आए। तब उन्होंने BJP की टिकट पर चुनाव जीता। इसके बाद 2014, 2019 और 2024 में वह चुनाव जीते।

#

सैनी के प्रधान-राज्य मंत्री रहते टकराव रहा नायब सैनी जब अंबाला में BJP के अध्यक्ष थे तो भी विज की उनसे ठनी रही। विज को इस बात पर एतराज था कि उनकी सहमति के बगैर उनके क्षेत्र में मीटिंग की जा रही है। इसके अलावा जब सैनी नारायणगढ़ से MLA बनकर 2014 की सरकार में राज्यमंत्री थे तो उन्होंने अंबाला कैंट के रेस्ट हाउस में जनता दरबार लगाना शुरू कर दिया। तब अपने इलाके में उनके जनता दरबार से विज नाराज हो गए। इसके बाद विज ने रेस्ट हाउस में सैनी का जनता दरबार ही बंद करा दिया।

चुनाव में बहुमत आया तो CM नहीं बनाया गया अनिल विज छात्र जीवन से ही प्रदेश में भाजपा के लिए काम करते रहे। हालांकि तब क्षेत्रीय दलों के आगे भाजपा कोई चमत्कार नहीं कर पाई। 2014 में भाजपा को प्रदेश विधानसभा की 90 में से 47 सीटें मिलीं। पूर्ण बहुमत आने पर रामबिलास शर्मा के अलावा अनिल विज का नाम CM के लिए सबसे आगे था। तभी अचानक भाजपा ने पहली बार के MLA मनोहर लाल खट्‌टर को मुख्यमंत्री बना दिया।

2024 में भी जब मनोहर लाल को लोकसभा चुनाव लड़वाने के लिए BJP ने इस्तीफा दिलवाया तो नायब सैनी को नया मुख्यमंत्री बना दिया गया। इसको लेकर विज का दर्द 2024 के चुनाव के दौरान छलका था। जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं सीनियॉरिटी के दम पर सीएम पद पर दावा करूंगा। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे थे कि विज तो मुख्यमंत्री बनना ही नहीं चाहता, इस वजह से उन्होंने यह बात कही थी। वह सीएम पद के लिए कोई लॉबिंग नहीं करेंगे।

मार्च 2024 में जब अनिल विज सीएम सैनी से नाराज हो गए थे तो खुद सीएम ने अंबाला जाकर उनसे मुलाकात की थी। जीत के बाद सीएम सैनी ने सचिवालय में पहुंच अनिल विज को बधाई देकर लड्डू भी खिलाया था।

मार्च 2024 में जब अनिल विज सीएम सैनी से नाराज हो गए थे तो खुद सीएम ने अंबाला जाकर उनसे मुलाकात की थी। जीत के बाद सीएम सैनी ने सचिवालय में पहुंच अनिल विज को बधाई देकर लड्डू भी खिलाया था।

मुख्यमंत्री से विज का टकराव पहले भी रहा अभी विज का CM नायब सैनी से टकराव हो रहा है लेकिन वह पहले मनोहर लाल खट्‌टर के सीएम रहते उनसे भी टकराते रहे हैं।

1. CID की रिपोर्टिंग से नाराज हुए, मनोहर ने अलग कर दिया 2019 में जब BJP दोबारा सत्ता में आई तो अनिल विज को गृह मंत्री बनाया गया। उन्हें पुलिस दी गई लेकिन CID उनके अधीन होते हुए भी CM मनोहर लाल को रिपोर्ट कर रही थी। इससे विज नाराज हो गए। जब बात बिगड़ने लगी तो मनोहर लाल ने CID को गृह विभाग से अलग कर अपने पास रख लिया।

2. IPS के तबादलों की लिस्ट लौटा दी थी गृहमंत्री रहते हुए अनिल विज के पास CMO से IPS के तबादलों की लिस्ट भेजी गई थी। अनिल विज ने यह लिस्ट वापस लौटा दी। विज ने कहा कि तबादला लिस्ट बनाने से पहले उनसे चर्चा क्यों नहीं की। बात बिगड़ने लगी तो तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने उन्हें चंडीगढ़ बुलाकर मामले को शांत किया।

3. DG हेल्थ को हटाने पर अड़े, एक महीने काम नहीं किया 2019 की सरकार में अनिल विज सेहत विभाग के महानिदेशक को हटाने पर अड़ गए। उनकी बात नहीं मानी गई तो उन्होंने विभाग की फाइलें देखना बंद कर दिया। एक महीने तक उन्होंने कोई फाइल साइन नहीं की। इससे कामकाज ठप होने लगा। मामला बढ़ता देख मनोहर लाल को सेहत महानिदेशक बदलना पड़ा।

4. सैनी का CM के लिए नाम आया तो मीटिंग छोड़ लौटे, मंत्री भी नहीं बने 12 मार्च 2024 को मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाने की घोषणा हुई तो विज नाराज होकर मीटिंग से चले गए। विज ने कहा कि मैं प्रदेश का गृह मंत्री हूं। इतना बड़ा फैसला ले लिया और मुझे बताया तक नहीं। इसके बाद नायब सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन विज मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए। हालांकि जब 2024 में तीसरी बार BJP सरकार आई तो वह मंत्रिमंडल में शामिल हो गए।

*********************

ये खबर भी पढ़ें…

विज ने CM की फोटो पर गद्दार का ठप्पा लगाया:सैनी समर्थकों की चित्रा सरवारा संग 17 तस्वीरें जारी की; नीचे 6 बार लिखा गद्दार-गद्दार

विज ने इन तस्वीरों को वीडियो के रूप में जारी करते हुए बैकग्राउंड में ‘ क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे, नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे’ गाना लगाया (पढ़ें पूरी खबर..)

[ad_2]
अनिल विज, जिन्होंने अपनी BJP सरकार मुश्किल में फंसाई: धरने के लिए दरी लेकर चलते थे; अपने एरिया में सैनी का दरबार बंद करा चुके – Ambala News

#
महाकुंभ हादसा: ‘जांच में षडयंत्र की बू आ रही है’, रविशंकर प्रसाद का संसद में बयान – India TV Hindi Politics & News

महाकुंभ हादसा: ‘जांच में षडयंत्र की बू आ रही है’, रविशंकर प्रसाद का संसद में बयान – India TV Hindi Politics & News

एनर्जी का पावर हाउस है दूध-मखाना, रोज खाना शुरू कर दें तो नहीं होंगे ये दिक्कतें Health Updates

एनर्जी का पावर हाउस है दूध-मखाना, रोज खाना शुरू कर दें तो नहीं होंगे ये दिक्कतें Health Updates