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अमेरिका के शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने एक बार फिर अडानी ग्रुप से जुड़े मामले में नया दावा किया है। इस दावे के मुताबिक सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले (Adani Money Siphoning Scandal) में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी।
क्या है ताजा रिपोर्ट में
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है- हमें अडानी समूह पर सबूत पेश किए लगभग 18 महीने हो गए हैं। हमारी रिपोर्ट में ऑफशोर में मुख्य रूप से मॉरीशस-आधारित शेल कंपनियों के एक बड़े नेक्सेस का खुलासा किया गया। इन कंपनियों का उपयोग संदिग्ध अरबों डॉलर के अघोषित संबंधित पार्टी ट्रांजैक्शन, अघोषित निवेश और स्टॉक हेरफेर के लिए किया जाता था।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आगे लिखा गया है- हमारी रिपोर्ट की पुष्टि और विस्तार करने वाले 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों के साथ-साथ सबूतों के बावजूद भारतीय प्रतिभूति नियामक यानी सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है। इसके बजाय 27 जून, 2024 को सेबी ने हमें एक ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा। सेबी ने हमारे 106 पेज के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया। बल्कि यह कहा कि जो भी सबूत दिए गए वो अपर्याप्त थे।
सेबी चेयरपर्सन को लपेटा
हिंडनबर्ग ने कहा, “मौजूदा सेबी चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति धवल बुच के पास उसी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में सीक्रेट हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था।” रिपोर्ट में आगे कहा गया है- व्हिसिलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार ऐसा लगता है कि माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना इंडिया इंफोलाइन के माध्यम से एक अडानी निदेशक द्वारा की गई थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टर्ड है। हिंडनबर्ग ने कहा कि ठीक उसी फंड का उपयोग किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने किया था।
एगोरा एडवाइजरी में हिस्सेदारी
अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड की एक प्रति भी पेश की। इस रिकॉर्ड के मुताबिक सेबी चेयरपर्सन के पास एगोरा एडवाइजरी नामक कंसल्टेंसी बिजनेस में 99% हिस्सेदारी है, जहां उनके पति एक निदेशक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में इस इकाई ने कंसल्टेंसी से 2,61,000 डॉलर का राजस्व प्राप्त किया।
हिंडनबर्ग ने कहा कि यदि सेबी वास्तव में ऑफशोर फंड धारकों को ढूंढना चाहता था, तो शायद सेबी चेयरपर्सन को आईने में देखकर शुरुआत करनी चाहिए थी।
जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप पर खुलासा
हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी, 2023 को अडानी ग्रुप पर शेयरों में हेरफेर और ऑडिटिंग फ्रॉड का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की और इसे ‘कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ करार दिया था। यह रिपोर्ट समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा प्रस्तावित 20,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री से पहले आई थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर बुरी तरह ध्वस्त हो गए थे। इस वजह से गौतम अडानी की निजी दौलत और रैंकिंग में भी बड़ी गिरावट आई।हालांकि, सेबी ने हिंडनबर्ग के दावों को सिरे से खारिज कर दिया।
ऑफशोर फंड्स या कंपनियों का मकसद
ऑफशोर ऐसी कंपनियां होता हैं जो किसी तरह के टैक्स, फाइनेंस या लीगल फायदे के लिए टैक्स हैवन देशों में गुपचुप तरीके से अपना संचालन शुरू कर देती हैं। ये कंपनियां कॉर्पोरेट टैक्स, कैपिटल गेन जैसे कई तरह के टैक्स से बच जाती हैं।
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अडानी मामले में हिंडनबर्ग का नया खुलासा, इस बार सेबी चेयरपर्सन को लपेटा