[ad_1]
अंबाला: पुराने जमाने में बेटियों को बेटों से कम आंका जाता था, लेकिन अब जमाना बदल गया है. जैसे-जैसे दौर बदलता जा रहा है, वैसे-वैसे बेटियां बेटों के सामान बन चुकी हैं. अंबाला की रहने वाली एक बेटी ने ऐसा कर भी दिखाया है. वह अपने माता-पिता का बेटा बन कर काम कर रही है. यह बेटी एक स्टूडेंट होने के साथ-साथ अध्यापिका भी है.
खुद की पढ़ाई के साथ-साथ वह बच्चों को डांस भी सिखा रही है. बेटी का कथक सिखाने का उद्देश्य देश के पारंपरिक नृत्य को सभी के सामने उभारकर लाना है. इसके साथ सभी को यह भी बताना है कि किस प्रकार के नृत्य हमारे लिए ज्यादा जरूरी हैं. इसके साथ-साथ अपनी पढ़ाई का खर्च भी बेटी खुद इस नृत्य से निकलती है.
वहीं माता-पिता की बात करें तो उन्हें भी बेटी के इस हुनर पर गर्व महसूस होता है. बताया कि बेटी दूसरों को डांस सिखाने के साथ खुद की पढ़ाई का खर्च भी निकाल रही है. वहीं जो स्टूडेंट कथक सीखने आते हैं, उनमें भी एक अलग उत्साह देखने को मिलता है. उन्हें यहां कथक सीखने के साथ भारतीय परंपरा से जुड़ने का मौका मिल रहा है.
[ad_2]
Source link