गीता महोत्सव में लोक नृत्य की प्रस्तुति देते राजस्थान के कलाकार।
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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में देश भर से आए शिल्पकार व कलाकारों ने पवित्र ब्रह्मसरोवर तटों की फिजा बदल दी है। दिन भर शिल्प व लोक कला की धूम चारों ओर मची है तो पर्यटक भी भरपूर उत्साह दिखा रहे हैं। हालांकि सोमवार को पांचवें दिन शनिवार व रविवार की तर्ज पर उम्मीद अनुसार भीड़ नहीं जुटी लेकिन हजारों पर्यटक पहुंचे।
लोक कलाकारों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों पर पर्यटक थिरकते रहे तो ब्रह्मसरोवर के घाट भी लोकनृत्यों व वाद्य यंत्रों की धुनों से गूंजते रहे। सुबह से देर शाम तक ब्रह्मसरोवर के घाटों पर अलग-अलग राज्यों की संस्कृतिक रंग पर्यटकों को देखने को मिले तो जमकर खरीददारी भी की। शिल्पकारों से लेकर लोक कलाकार व पर्यटकों में भरपूर उत्साह बना रहा।
विभिन्न राज्यों की कला के संगम के बीच कलाकार अपने-अपने राज्य की कला का बखूबी बखान कर रहा है। कलाकारों का कहना है कि आज के आधुनिक जमाने में भी उन्होंने अपनी कला को जिंदा रखा है, अपनी कला को विदेशों तक पहुंचा रहे हैं। विदेशों की धरती पर भी उनकी कला ने उनका नाम रोशन किया है। महोत्सव में कलाकारों द्वारा उत्तराखंड के छपेली, पंजाब के गतका, हिमाचल प्रदेश के गद्दी नाटी, राजस्थान के बहरुपिए, पंजाब के बाजीगर, राजस्थान के लहंगा, मंगनीयार व दिल्ली के भवई नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी जा रही है।
यह कलाकार गीता महोत्सव पर 15 दिसंबर तक लोगों को अपने-अपने प्रदेशों की लोक कला के साथ जोड़ने का प्रयास करेंगे। इस महोत्सव पर आने के लिए देश का प्रत्येक कलाकार आतुर रहता है। पर्यटकों को फिर से ब्रह्मसरोवर के तट पर लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिल रहा है। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र (एनजेडसीसी) की तरफ से विभिन्न राज्यों के कलाकार महोत्सव में पहुंच चुके हैं। यह कलाकार लगातार अपनी लोक संस्कृति की छठा बिखेरने का काम करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: उत्तराखंड की छपेली, पंजाब का गतका और हिमाचली नाटी से गूंजे ब्रह्मसरोवर के घाट