केंद्र सरकार ने लोकसभा में बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश कर दिया है। इसके तहत बैंकिंग से जुड़े कई नियमों में बदलाव किए गए हैं। ऐसा ही एक बदलाव नॉमिनी से जुड़ा है। इसके तहत हर बैंक खाताधारक द्वारा मनोनीत ‘नॉमिनी’ व्यक्तियों की संख्या एक से बढ़ाकर चार करने का प्रावधान किया गया है। मतलब ये कि खाताधारक अपने बैंक खाते से 4 नॉमिनी को जोड़ सकेंगे। अब तक सिर्फ एक नॉमिनी को जोड़ने का प्रावधान था। नॉमिनी के जरिए खाताधारक की मृत्यु के बाद बैंक खाते में पड़े रकम का स्वामित्व निर्धारित किया जाता है। अब सवाल है कि सरकार ने 4 नॉमिनी जोड़ने के फैसले को क्यों लिया तो इस नए फैसले के पीछे ₹78000 करोड़ की लावारिस रकम है। आइए समझते हैं कैसे
78,213 करोड़ रुपये लावारिस रकम
दरअसल, बैंकों में बिना दावे वाली जमा रकम में लगातार इजाफा हो रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक यह रकम सालाना आधार पर 26 प्रतिशत बढ़कर 31 मार्च 2024 के अंत तक 78,213 करोड़ रुपये हो गई। मतलब ये हुआ कि इस रकम को क्लेम करने वाला कोई नहीं है। सरकार 4 नॉमिनी जोड़कर लावारिस रकम के स्वामित्व को निर्धारित करना चाहती है। यही वजह है कि बैंकिंग नियम में बदलाव किया गया है।
किस-किस विधेयक में संशोधन
बैंकिंग से जुड़े विधेयक को पिछले शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी, जिसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1980 में संशोधन का प्रस्ताव है।
बजट में हुआ ऐलान
इसकी घोषणा वित्त मंत्री ने अपने 2023-24 के बजट भाषण में की थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि बैंक प्रशासन में सुधार और निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम, बैंकिंग कंपनी अधिनियम और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव है।
₹78000 करोड़ की रकम, जिसने सरकार को बैंकिंग नियम बदलने पर किया मजबूर