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अडाणी ग्रुप पर अपनी रिपोर्ट के लिए जानी जाने वाली फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) की चीफ माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाए हैं। अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में दावा किया है कि सेबी चीफ के पास अडाणी ग्रुप के जरिए पैसों की हेराफेरी स्कैंडल में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर एंटिटीज में हिस्सेदारी थी।
डॉक्यूमेंट्स का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने कहा कि बुच और उनके पति धवल बुच के पास एक ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। जिसमें गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने काफी मात्रा में पैसा लगाया गया था। विनोद, अडाणी ग्रुप की कंपनियों के चेयरमैन हैं।

हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट की बड़ी बातें
- अडाणी ग्रुप पर हमारी रिपोर्ट के लगभग 18 महीने हो चुके हैं। रिपोर्ट में इस बात के पुख्ता सबूत पेश किए गए थे कि भारतीय ग्रुप कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था।
- हमारी रिपोर्ट ने ऑफशोर, मुख्य रूप से मॉरीशस बेस्ड शेल एंटिटीज के एक जाल को उजागर किया था। जिनका इस्तेमाल संदिग्ध अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन, अनडिस्क्लोज्ड इन्वेस्टमेंट और स्टॉक मैनिपुलेशन के लिए किया गया था।
- सभी सबूतों के अलावा 40 से ज्यादा इंडिपेंडेंट मीडिया इन्वेस्टिगेशन ने हमारी रिपोर्ट की पुष्टि थी। इसके बावजूद सेबी ने अडाणी ग्रुप के खिलाफ कोई पब्लिक एक्शन नहीं लिया।
- जुलाई 2024 में सेबी ने हमें कारण बताओ नोटिस भेजा था। जिसके जवाब में हमने लिखा था कि हमें यह अजीब लगा कि कैसे सेबी को एक रेगुलेटर होने के बावजूद फ्रॉड प्रैक्टिसेस को बचाने के लिए सेट-अप किया गया था।
- सेबी ने फ्रॉड प्रैक्टिसेस से जुड़ी पार्टियों की जांच करने में बहुत कम रुचि दिखाई। यह लोग पब्लिक कंपनियों के जरिए अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शंस में लगे हुए एक सीक्रेट ऑफशोर शेल एम्पायर को चलाते थे। इसके अलावा नकली निवेश एंटिटीज के एक नेटवर्क के जरिए अपने शेयरों को बढ़ाते थे।
भारत में जल्द कुछ बड़ा होने वाला है: हिंडनबर्ग
इस रिपोर्ट को जारी करने से पहले अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि भारत में जल्द कुछ बड़ा होने वाला है। एक साल पहले अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन तक के आरोप लगाने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने यह बात लिखी थी। इस पोस्ट के जरिए हिंडनबर्ग ने किसी नए खुलासे के बारे में संकेत दिया था। हालांकि, उसने किसी भी कंपनी का नाम नहीं लिया है।

अडाणी ग्रुप पर लगाए थे मनी लॉन्ड्रिंग, शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई। इस रिपोर्ट को लेकर भारतीय शेयर बाजार रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने हिंडनबर्ग को 46 पेज का कारण बताओ नोटिस भी भेजा था।
1 जुलाई 2024 को पब्लिश किए अपने एक ब्लॉग पोस्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि नोटिस में बताया गया है कि उसने नियमों उल्लंघन किया है। कंपनी ने कहा, SEBI ने आरोप लगाया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में पाठकों को गुमराह करने के लिए कुछ गलत बयान शामिल हैं। इसका जवाब देते हुए हिंडनबर्ग ने SEBI पर ही कई तरह के आरोप लगाए थे।

हिंडनबर्ग का आरोप- SEBI धोखेबाजों को बचा रहा
- हिंडनबर्ग ने कहा, ‘हमारे विचार में, SEBI ने अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा की है, ऐसा प्रतीत होता है कि वह धोखाधड़ी करने वालों से निवेशकों की रक्षा करने के बजाय धोखाधड़ी करने वालों की रक्षा करने के लिए अधिक प्रयास कर रहा है।’
- हिंडनबर्ग ने कहा- ‘भारतीय बाजार के सूत्रों के साथ चर्चा से हमारी समझ यह है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की अडाणी को गुप्त सहायता हमारी जनवरी 2023 की रिपोर्ट के पब्लिश होने के लगभग तुरंत बाद शुरू हो गई थी।’
- ‘हमारी रिपोर्ट के बाद हमें बताया गया कि SEBI ने पर्दे के पीछे ब्रोकर्स पर अडाणी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन्स को क्लोज करने का दबाव डाला। इससे खरीदारी का दबाव बना और महत्वपूर्ण समय में अडाणी ग्रुप के शेयरों को मदद मिली।’
- हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने ब्लॉग में कहा- ‘जब जनता और सुप्रीम कोर्ट पर इस मामले की जांच करने के लिए दबाव डाला गया, तो SEBI लड़खड़ाता हुआ दिखाई दिया। शुरुआत में, यह हमारी रिपोर्ट के कई प्रमुख निष्कर्षों से सहमत प्रतीत हुआ।’
- इसका एक उदाहरण देते हुए रिसर्च फर्म ने कहा- सुप्रीम कोर्ट केस रिकॉर्ड के अनुसार: SEBI खुद को संतुष्ट करने में असमर्थ है कि FPIs को फंड देने वाले अडाणी से जुड़े नहीं हैं। बाद में SEBI ने आगे जांच करने में असमर्थ होने का दावा किया।
हिंडनबर्ग का आरोप उदय कोटक की फर्म को बचा रही सेबी
हिंडनबर्ग ने कहा कि उदय कोटक की स्थापित ब्रोकरेज फर्मों ने ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर बनाया, जिसका इस्तेमाल उसके इन्वेस्टर पार्टनर ने अडाणी ग्रुप के शेयरों को शॉर्ट सेल कर फायदा उठाने के लिए किया। सेबी ने नोटिस में केवल के-इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड का नाम रखा और ‘कोटक’ नाम को संक्षिप्त नाम ‘KMIL’ से छिपा दिया। KMIL यानी, कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट है।
इसमें कहा गया है कि बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सेबी की 2017 की कमेटी का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व किया था। “हमें संदेह है कि सेबी की ओर से कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करने का मतलब एक और शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जांच की संभावना से बचाना हो सकता है, जिसे सेबी स्वीकार करती दिख रही है।”

1985 में उदय ने कोटक महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड की शुरुआत की थी।
सेबी ने कारण बताओ नोटिस में 4 बड़ी बाते कहीं थीं
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिकेशन से ठीक पहले और बाद में अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में कुछ संस्थाओं की ट्रेडिंग एक्टिविटी के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले, अडाणी एंटरप्राइजेज के डेरिवेटिव में शॉर्ट-सेलिंग एक्टिविटी में कंसन्ट्रेशन देखा गया था।
- रिपोर्ट जारी होने के बाद, 24 जनवरी, 2023 से 22 फरवरी, 2023 की अवधि के दौरान अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों की कीमत में लगभग 59% की गिरावट आई। 24 जनवरी 2023 से 22 फरवरी 2023 की इस अवधि के दौरान शेयरों में किस तरह बदलाव आया उसे भी सेबी ने अपने नोटिस में बताया है।
- के इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड लिमिटेड ने एक ट्रेडिंग अकाउंट खोला और रिपोर्ट के पब्लिश होने से कुछ दिन पहले ही अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर में ट्रेडिंग करना शुरू किया, और फिर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अपनी शॉर्ट पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर लिया। इससे183.24 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने “स्कैंडल” जैसे कैची हेडलाइन के उपयोग के माध्यम से जानबूझकर कुछ तथ्यों को सनसनीखेज और डिस्टॉर्ट किया। सेबी ने नोटिस में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने बिना किसी साक्ष्य के अपनी रिपोर्ट में गलत बयानी की।
रिपोर्ट के बाद शेयर अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 59% गिरा था
24 जनवरी 2023 (भारतीय समय के अनुसार 25 जनवरी) को अडाणी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर का प्राइस 3442 रुपए था। 25 जनवरी को ये 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक ये 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे। हालांकि, बाद में शेयर में रिकवरी देखने को मिली। बीते दिन शुक्रवार को अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 0.60% की तेजी के साथ 3,186 रुपए के स्तर पर बंद हुआ।
शॉर्ट सेलिंग यानी, पहले शेयरों को बेचना और बाद में खरीदना
शॉर्ट सेलिंग का मतलब उन शेयरों को बेचने से है जो ट्रेड के समय ट्रेडर के पास होते ही नहीं हैं। इन शेयरों को बाद में खरीद कर पोजीशन को स्क्वायर ऑफ किया जाता है। शॉर्ट सेलिंग से पहले शेयरों को उधार लेने या उधार लेने की व्यवस्था जरूरी होती है।
आसान भाषा में कहे तो जिस तरह आप पहले शेयर खरीदते हैं और फिर उसे बेचते हैं, उसी तरह शॉर्ट सेलिंग में पहले शेयर बेचे जाते हैं और फिर उन्हें खरीदा जाता है। इस तरह बीच का जो भी अंतर आता है, वही आपका प्रॉफिट या लॉस होता है।

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हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट, सेबी चीफ पर आरोप:माधबी पुरी बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर एंटिटीज में थी हिस्सेदारी