हरियाणा निकाय चुनाव: छह मंत्रियों और 34 विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर, आप भी तलाशना चाहती सियासी जमीन


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हरियाणा निकाय चुनाव में छह मंत्रियों और 34 विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सभी ने अपने क्षेत्र में अपना-अपना चेयरमैन बनाने पर पूरी ताकत झोंकी है। चेयरमैन चुनाव के बहाने दिग्गज अपना किला बचाने की जुगत में हैं तो विपक्षी किला ढहाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। हालांकि, 22 जून को आने वाले परिणाम ही तय करेंगे कि किसका किला ढहा और कौन गढ़ को और मबजूत कर सकेगा।

हाल में राज्यसभा चुनाव में जीत का स्वाद चख चुके भाजपा-जजपा गठबंधन के लिए भी निकाय चुनाव काफी अहम हैं। निकाय चुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल और जजपा की ओर से उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कमान संभाली है। हाल ही में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आलाकमान ने हरियाणा में फ्री हैंड किया है। हालांकि, कांग्रेस ने निर्दलीयों को समर्थन देकर चुनाव को और रोमांचक बना दिया है। 

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए यह खुद को साबित करने का समय है। जबकि आम आदमी पार्टी और इनेलो ने भी चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला अपना गढ़ बचाने में जुटे हैं, जबकि आप के राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता की देखरेख में चुनावी मैदान में उतरी पार्टी पंजाब के बाद हरियाणा में सियासी जमीन तलाश रही है। चुनाव परिणाम तय करेंगे कि आप का प्रदेश में भविष्य क्या है।

सीएम, डिप्टी सीएम समेत मंत्रियों के क्षेत्र में चुनाव
मुख्यमंत्री के शहर करनाल में असंध, निंसिंग घरौंडा और तरावड़ी में चुनाव हैं। चुनाव से एक दिन पहले खुद सीएम करनाल पहुंचे थे और मोर्चा संभाला था। इसी प्रकार, उचाना नगर पालिका में चेयरमैन को जिताना डिप्टी सीएम दुष्यंत के लिए चुनौती है। पिहोवा में मंत्री संदीप सिंह, बावल में मंत्री बनवारी लाल, नारनौल में मंत्री ओपी यादव, राजौंद में मंत्री कमलेश ढांडा, रानियां में बिजली मंत्री रणजीत सिंह और टोहाना में चेयरमैन को जिताने के लिए मंत्री देवेंद्र बबली की साख दांव पर लगी है। 

भाजपा-जजपा के इन विधायकों की है परीक्षा
विधायकों की बात करें तो भाजपा के 12, जजपा के चार, कांग्रेस के 14 और निर्दलीय तीन विधायकों की परीक्षा का समय है। इनमें भाजपा के घरौंडा से हरविंद्र कल्याण, जींद से कृष्ण मिड्डा, कैथल से लीला राम, रतिया लक्षण नापा, गन्नौर से निर्मल रानी, भिवानी घनश्याम सर्राफ, पलवल दीपक मंगला, होडल जगदीश नायर, फतेहाबाद दूड़ा राम, नांगल चौधरी अभय यादव, सोहना से संजय सिंह नाम शामिल हैं। 

जेजेपी के नरवाना से रामनिवास सुरजाखेड़ा, चीका से ईश्वर सिंह, शाहबादा से रामकरण काला और बरवाला से जोगीराम सिहाग के लिए किला बचाना चुनौती है। इसी प्रकार, निर्दलीयों में महम से बलराज कुंडू, नीलोखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर, दादरी से सोमबीर सांगवान और इनेलो विधायक अभय सिंह को शहरी मतदाताओं पर अपनी मजबूत पकड़ दिखाना चुनौती होगी।

कांग्रेस विधायकों की भी परीक्षा
कांग्रेस के 14 विधायकों के लिए भी यह चुनाव चुनौती से कम नहीं है। 14 विधायकों के हलकों में हो रहे निकाय चुनाव में जीत के लिए सभी ने ताकत झोंकी और निर्दलीयों को खुलकर समर्थन दिया। इनमें सफीदों से सुभाष देशवाल, झज्जर गीता भुक्कल, बहादुरगढ़ राजेंद्र जून, कालका प्रदीप चौधरी, नाराणगढ़ शैली चौधरी, फिरोजपुर झिरका मामन खान, नूंह आफताब अहमद, महेंद्रगढ़ राव दान सिंह, असंध शमशेर गोगी, समालाख धर्म सिंह छोक्कर, साढौरा रेणु बाला, लाडवा मेवा सिंह, मंडी डबवाली अमित सिहाग, गोहाना जगबीर मलिक को अपने क्षेत्र में खुद को साबित करना है। 

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हरियाणा निकाय चुनाव में छह मंत्रियों और 34 विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। सभी ने अपने क्षेत्र में अपना-अपना चेयरमैन बनाने पर पूरी ताकत झोंकी है। चेयरमैन चुनाव के बहाने दिग्गज अपना किला बचाने की जुगत में हैं तो विपक्षी किला ढहाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। हालांकि, 22 जून को आने वाले परिणाम ही तय करेंगे कि किसका किला ढहा और कौन गढ़ को और मबजूत कर सकेगा।

हाल में राज्यसभा चुनाव में जीत का स्वाद चख चुके भाजपा-जजपा गठबंधन के लिए भी निकाय चुनाव काफी अहम हैं। निकाय चुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल और जजपा की ओर से उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कमान संभाली है। हाल ही में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आलाकमान ने हरियाणा में फ्री हैंड किया है। हालांकि, कांग्रेस ने निर्दलीयों को समर्थन देकर चुनाव को और रोमांचक बना दिया है। 

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए यह खुद को साबित करने का समय है। जबकि आम आदमी पार्टी और इनेलो ने भी चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला अपना गढ़ बचाने में जुटे हैं, जबकि आप के राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता की देखरेख में चुनावी मैदान में उतरी पार्टी पंजाब के बाद हरियाणा में सियासी जमीन तलाश रही है। चुनाव परिणाम तय करेंगे कि आप का प्रदेश में भविष्य क्या है।

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