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हरियाणा कांग्रेस में अब इस्तीफों का दौर! प्रभारी दीपक बाबरिया ने की पहली पेशकश Politics & News

हरियाणा कांग्रेस में अब इस्तीफों का दौर! प्रभारी दीपक बाबरिया ने की पहली पेशकश Politics & News

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हरियाणा विधानसभा चुनाव की अप्रत्याशित हार ने कांग्रेस में बवाल बढ़ा दिया है। नेता एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं तो वहीं अब इस्तीफों का दौर भी शुरू हो सकता है। सबसे पहले राज्य के प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से इस्तीफे की पेशकश की है और हरियाणा की हार के लिए नैतिक जिम्मेदारी ली है। उन्होंने हाईकमान से कहा है कि उनकी जगह पर किसी नए शख्स को यह जिम्मेदारी दी जाए। इसे लेकर सीधे राहुल गांधी से ही बाबरिया ने बात की है। दीपक बाबरिया चुनाव के दौरान बीमार थे और अस्पताल में एडमिट थे।

उनकी सीधे तौर पर सीनियर लीडर कैप्टन अजय सिंह यादव ने आलोचना की थी। उनका कहना था कि चुनाव के बीच में दीपक बाबरिया बीमार थे। वह अस्पताल में एडमिट थे और कामकाज ठप था। यदि ऐसी स्थिति थी तो उन्हें हाईकमान को बताना चाहिए था कि उनका कोई विकल्प देखा जाए। इस तरह उन्होंने बाबरिया पर लापरवाही का आरोप लगाया था। अब खुद बाबरिया ने नैतिक जिम्मेदारी ली है और इस्तीफा देने की बात कही है। दरअसल हरियाणा में जब टिकटों का बंटवारा हो रहा था और प्रचार जोरों पर था, तब दीपक बाबरिया दिल्ली के एम्स में एडमिट थे।

उन्हें रक्तचाप से जुड़ी समस्या हो गई थी। दरअसल दीपक बाबरिया का हरियाणा में कोई जनाधार नहीं रहा है और उन्हें ज्यादातर नेता महत्व नहीं देते। इसी को लेकर बवाल होता रहा है। कैप्टन अजय यादव तो उन पर सीधे हमलावर हुए। उन्होंने कहा कि आखिर ऐसे कैसे कोई प्रभारी हो सकता है, जो चुनाव के वक्त सीन से ही गायब था। दरअसल दीपक बाबरिया को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का करीबी माना जाता है। कर्नाटक में पार्टी की जीत के बाद बाबरिया को विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा गया था।

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इसके बाद उन्हें दिल्ली और हरियाणा का प्रभारी बनाया गया था। बता दें कि हरियाणा में कांग्रेस ने हार के बाद फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का फैसला लिया है। यह कमेटी हार के कारणों की पड़ताल करेगी। कांग्रेस सूत्रों ने बताया था कि हरियाणा की हार को लेकर जो मीटिंग हुई थी, उसमें राहुल गांधी ने हैरानी जताई थी। उनका कहना था कि कुछ लोगों ने पार्टी हितों की बजाय निजी हितों को ज्यादा प्राथमिकता दी थी। कयास लग रहे हैं कि दीपक बाबरिया के बाद पार्टी के स्टेट चीफ उदयभान भी इस्तीफा दे सकते हैं।

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