सोलर वाटर पंपों की निगरानी करेगा प्रशासन, गलत इस्तेमाल किया तो ली जाएगी अनुदान राशि वापस


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जींद। जिले में ऊजा विभाग द्वारा अनुदान पर दिए जा रहे सोलर वाटर पंपिंग सिस्टम की अब प्रशासन निगरानी करेगा। लाभार्थी द्वारा अपने सोलर पंपिंग सिस्टम को दूसरे व्यक्ति को बेचने की शिकायतें शासन तक पहुंचने पर शासन स्तर से ही यह निर्णय लिया गया है। प्रशासन द्वारा लाभार्थी के यहां जाकर जांच कराई जाएगी। यदि जांच में वह सिस्टम कहीं ओर लगा मिला तो लाभार्थी से दिया गया अनुदान वापस ले लिया जाएगा।
एडीसी साहिल गुप्ता ने बताया कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग सोलर वाटर पंपिग सिस्टम स्थापित करने पर 75 प्रतिशत अनुदान दे रहा है। किसानों को ज्यादा वित्तीय खर्च से बचाने और डीजल पंपों से छुटकारा दिलवाने के लिए यह सब्सिडी दी जा रही है। सोलर वाटर पंपिग सिस्टम पर वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान जिले के किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान दिया गया। विभाग के पास इस प्रकार की शिकायतें आ रही हैं कि कुछ लोगों ने अपने सोलर वाटर पंपिग सिस्टमों को किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दिया है। कुछ सिस्टम आवेदन में दिखाए गए निर्धारित स्थान के अलावा अन्य स्थान पर लगा दिए हैं। एडीसी साहिल गुप्ता ने बताया कि जब सोलर वाटर पंपिग सिस्टम लगवाने की स्वीकृति किसानों को दी गई, तो उस समय आवेदक ने लिखित में दिया था कि वह अपने सोलर वाटर पंपिग सिस्टम को न तो बेचेंगे तथा ना ही किसी अन्य स्थान पर लगवाएंगे। अगर वह ऐसा करते हैं, तो सरकार उनसे 75 प्रतिशत अनुदान की राशि वापस ले सकती है। सरकार ने उच्च स्तर पर इन सिस्टमों की भौतिक जांच के आदेश दिए हैं। जांच के दौरान किसी व्यक्ति ने अपने सिस्टम को बेच दिया है या कहीं और लगवा दिया है या सिचाई के अलावा उस पंप का घरेलू उपयोग किया जा रहा है, तो 75 प्रतिशत दी हुई अनुदान राशि को नियम अनुसार वापस लेने की कार्रवाई की जाएगी। इसलिए किसी व्यक्ति ने सोलर वाटर पंपिग सिस्टम का दुरुपयोग किया हुआ है, तो वह इस गलती को पहले ही सुधार लें।

जींद। जिले में ऊजा विभाग द्वारा अनुदान पर दिए जा रहे सोलर वाटर पंपिंग सिस्टम की अब प्रशासन निगरानी करेगा। लाभार्थी द्वारा अपने सोलर पंपिंग सिस्टम को दूसरे व्यक्ति को बेचने की शिकायतें शासन तक पहुंचने पर शासन स्तर से ही यह निर्णय लिया गया है। प्रशासन द्वारा लाभार्थी के यहां जाकर जांच कराई जाएगी। यदि जांच में वह सिस्टम कहीं ओर लगा मिला तो लाभार्थी से दिया गया अनुदान वापस ले लिया जाएगा।

एडीसी साहिल गुप्ता ने बताया कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग सोलर वाटर पंपिग सिस्टम स्थापित करने पर 75 प्रतिशत अनुदान दे रहा है। किसानों को ज्यादा वित्तीय खर्च से बचाने और डीजल पंपों से छुटकारा दिलवाने के लिए यह सब्सिडी दी जा रही है। सोलर वाटर पंपिग सिस्टम पर वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान जिले के किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान दिया गया। विभाग के पास इस प्रकार की शिकायतें आ रही हैं कि कुछ लोगों ने अपने सोलर वाटर पंपिग सिस्टमों को किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दिया है। कुछ सिस्टम आवेदन में दिखाए गए निर्धारित स्थान के अलावा अन्य स्थान पर लगा दिए हैं। एडीसी साहिल गुप्ता ने बताया कि जब सोलर वाटर पंपिग सिस्टम लगवाने की स्वीकृति किसानों को दी गई, तो उस समय आवेदक ने लिखित में दिया था कि वह अपने सोलर वाटर पंपिग सिस्टम को न तो बेचेंगे तथा ना ही किसी अन्य स्थान पर लगवाएंगे। अगर वह ऐसा करते हैं, तो सरकार उनसे 75 प्रतिशत अनुदान की राशि वापस ले सकती है। सरकार ने उच्च स्तर पर इन सिस्टमों की भौतिक जांच के आदेश दिए हैं। जांच के दौरान किसी व्यक्ति ने अपने सिस्टम को बेच दिया है या कहीं और लगवा दिया है या सिचाई के अलावा उस पंप का घरेलू उपयोग किया जा रहा है, तो 75 प्रतिशत दी हुई अनुदान राशि को नियम अनुसार वापस लेने की कार्रवाई की जाएगी। इसलिए किसी व्यक्ति ने सोलर वाटर पंपिग सिस्टम का दुरुपयोग किया हुआ है, तो वह इस गलती को पहले ही सुधार लें।

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