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New Income Tax Bill 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आखिरकार संसद में न्यू इनकम टैक्स बिल, 2025 को पेश कर दिया, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा. नए कानून को 1 अप्रैल, 2026 से लागू किया जाएगा. न्यू इनकम टैक्स बिल में 536 धाराएं, 23 अध्याय और 16 अनुसूचियां हैं. इसे सिर्फ 622 पन्नों में समेटा गया है. जबकि पुराने कानून में 298 धाराएं, 14 अनुसूचियां थीं और 823 पन्ने थे.

न्यू इनकम टैक्स बिल का मकसद सैलरी सेक्शन के तहत टैक्सेबल इनकम की परिभाषा को आसान बनाना है. नए बिल में इनकम की 5 कैटेगरी हैं, जिनमें सैलरी, गृह संपत्ति से आय, व्यवसाय या किसी पेशे से हुआ मुनाफा, पूंजीगत लाभ या अन्य स्त्रोतों से आय शामिल हैं. नए कानून के मुताबिक, सैलरी कैटेगरी के तहत आय के इन सभी स्त्रोतों पर अब टैक्स लगाया जाएगा.
- मौजूदा टैक्स ईयर में एम्प्लॉयर पूर्व एम्प्लॉयर द्वारा टैक्सपेयर को दी जाने वाली सैलरी, चाहे उसका भुगतान किया गया हो या नहीं.
- मौजूदा टैक्स ईयर में एम्प्लॉयर या उनकी तरफ से किसी और के द्वारा दी गई सैलरी, भले ही वह देय न हो या देय होने से पहले जिसका भुगतान कर दिया गया हो.
- मौजूदा टैक्स ईयर में एम्प्लॉयर या उनकी तरफ से किसी और के द्वारा टैक्सपेयर्स को किसी देय वेतन का भुगतान, जिस पर पहले के टैक्स ईयर में कोई टैक्स नहीं लगाया गया है.
कराधान उद्देश्यों के लिए वेतन
2025 के न्यू इनकम टैक्स बिल में वे आय शामिल होंगी, जिन्हें टैक्सेशन के लिए सैलरी की कैटेगरी में बांटा गया है-
- वेतन
- एन्युइटी या पेंशन
- ग्रेच्युटी
- फीस या कमीशन
- अनुलाभ
- किसी भी वेतन या मजदूरी के बदले या इसके अतिरिक्त लाभ
- एडवांस्ड सैलरी
- लीव इनकैशमेंट
- कर-मुक्त सीमा से परे भविष्य निधि में योगदान
- केंद्र सरकार या किसी अन्य नियोक्ता द्वारा कर्मचारी की पेंशन योजना खातों में योगदान
- केंद्र सरकार द्वारा अग्निवीर कोष में योगदान
न्यू इनकम टैक्स में यह प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति को एडवांस में सैलरी दे दी जाती है और टैक्स ईयर के लिए उसके टोटल इनकम को शामिल कर लिया जाता है, तो वेतन जब सही समय पर दिया जाना है तो उसे टैक्स के दायरे में नहीं लाया जाएगा.
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सैलरी से होने वाली इनकम को टैक्सेशन के दायरे में कैसे लाया जाएगा?