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सेहतनामा- बच्चों में सर्दी-जुकाम की वजह हो सकता है RSV: नवजात शिशुओं के लिए है घातक, जानिए क्या हैं लक्षण और उपाय Health Updates

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1 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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मौसम बदलने के साथ ही कई बीमारियां आ धमकती हैं। मानसून सीजन में श्वसन संबंधी बीमारियां अधिक होती हैं। इन दिनों अपने आसपास देखेंगे तो कई लोग खांसते, छींकते मिल जाएंगे। कई बार ये लक्षण हल्के और कई बार गंभीर हो सकते हैं। श्वसन संबंधी बीमारियों का सबसे अधिक खतरा नवजात शिशुओं को होता है। इसलिए जरूरी है कि संकेतों पर गौर किया जाए और समस्या बढ़ने से पहले ही डॉक्टर से सलाह ली जाए।

जुकाम और खांसी होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें फ्लू और वायरल आम हैं। हालांकि कई बार ये लक्षण रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस (RSV) के कारण भी हो सकते हैं। इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं होने पर ये नवजात शिशुओं और बुजुर्गों के लिए घातक साबित हो सकती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक प्रीव्यू के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल करीब 36 लाख शिशु RSV के कारण अस्पताल में भर्ती होते हैं। इनमें से लगभग 14 लाख शिशुओं की उम्र 0-6 महीने है। भारत में हर साल श्वसन संबंधी समस्याओं के कारण भर्ती हो रहे नवजात शिशुओं में 5% से 54% मामलों में कारण RSV होता है।

आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस (RSV) की। साथ जानेंगे कि-

  • इसके क्या लक्षण होते हैं?
  • RSV होने के क्या कारण हैं, कैसे फैलता है?
  • इसका सबसे अधिक खतरा किसे है?
  • इलाज और बचाव के उपाय क्या हैं?

RSV क्या है

यह एक वायरस है। जो शिशुओं, बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों में श्वसन संबंधी संक्रमण का कारण बन सकता है। संक्रमित शिशुओं में फ्लू जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। जो सही ट्रीटमेंट मिलने पर एक से दो सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। इसमें इलाज के दौरान अधिक ख्याल रखना जरूरी है क्योंकि कभी-कभी इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं।

यह खासतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए घातक साबित हो सकता है।

इसके क्या लक्षण हैं

रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस संक्रमण के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के लगभग चार से छह दिन बाद दिखाई देते हैं। वयस्कों और बड़े बच्चों में इसके लक्षण आमतौर पर हल्के सर्दी जैसे होते हैं। जबकि छोटे बच्चों और शिशुओं में गंभीर लक्षण नजर आ सकते हैं।

गंभीर मामलों में सांस लेने में हो सकती है समस्या

RSV संक्रमण गंभीर होने पर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के निचले हिस्से में फैल सकता है। जिससे निमोनिया या ब्रोंकियोलाइटिस हो सकता है। जिससे श्वसन तंत्र में सूजन आ जाती है और सांस लेने में समस्या होने लगती है।

किस स्थिति में कैसे लक्षण दिखते हैं, ग्राफिक में देखिए।

RSV कैसे फैलता है

  • यह वायरस किसी भी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैल सकता है। इसके अलावा अगर RSV से दूषित वस्तु को छूने के बाद अपनी आंख, नाक या मुंह को छू लते हैं तो भी RSV से संक्रमित होने का जोखिम है।
  • यह वायरस टेबल जैसी कठोर सतह पर कई घंटे तक बना रह सकता है। इस बीच अगर कोई शख्स उस सतह को छूता है तो इस बात की आशंका है कि यह उसके हाथों में भी चला जाएगा।
  • अगर साबुन या हैंडवॉश की मदद से हाथ धो लिया जाए तो इस वायरस की यात्रा वहीं समाप्त हो जाती है। अगर हाथ धुलने से पहले अपने चेहरो को छू लिया तो वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है और आपको बीमार कर सकता है।

RSV कितना संक्रामक है

RSV बहुत संक्रामक होता है। लक्षण दिखने पर कोई भी संक्रमित व्यक्ति आसानी से वायरस फैला सकता है। खांसने या छींकने पर संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाली श्वसन बूंदों के माध्यम से RSV फैल सकता है।

कई बार इस वायरस का संक्रमण गंभीर स्थितियां पैदा कर सकता है। जो घातक साबित हो सकती हैं।

RSV किन लोगों के लिए अधिक खतरनाक है

यह वायरस किसी को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यह बच्चों और बुजुर्गों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।

  • ऐसे शिशु जो समय से पहले जन्मे हैं।
  • 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे।
  • जन्मजात दिल की बीमारियों वाले बच्चे।
  • कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चे।
  • 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग।
  • जिन्हें फेफड़ों से जुड़ी कोई बीमारी है।
  • हार्ट डिजीज या कमजोर इम्यूनिटी वाले बुजुर्ग।

RSV का इलाज क्या है

  • इस वायरस के लिए अभी तक कोई खास उपचार उपलब्ध नहीं है। इसके इलाज में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल हीं किया जाता है।
  • इसके बजाय उन उपचारों की सलाह दी जाती है, जो आमतौर पर सर्दी-जुकाम के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  • बुखार कम करने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाएं ली जा सकती हैं। हालांकि, कोई भी दवा खाने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। बच्चों के मामले में विशेष सावधानी बरतें।
  • सांस लेने में समस्या होने पर डॉक्टर कूल-मिस्ट ह्यूमिडिफायर की सलाह दे सकते हैं।
  • खांसी और जुकाम से राहत के लिए शिशुओं के लिए नेजल सेलाइन स्प्रे और सक्शनिंग की जा सकती है।
  • डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पानी और खूब सारे तरल पदार्थ पीते रहें।

इस वायरस से बचने के क्या उपाय हैं

हम RSV के खतरे से खुद को और अपने परिवार को बचाने के लिए लाइफ स्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव कर सकते हैं।

  • अपने हाथ बार-बार धोएं। अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों को हाथ धोने का महत्व सिखाएं।
  • किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें। किसी शख्स के खांसते या छींकते समय अपना मुंह और नाक ढक लें।
  • जिन्हें बुखार या सर्दी के लक्षण हैं, अपने बच्चे को उनके संपर्क में न आने दें।
  • चीजों को साफ-सुथरा रखें। यह सुनिश्चित करें कि किचेन और बाथरूम के काउंटरटॉप्स, दरवाजे के हैंडल साफ और कीटाणु रहित हों।
  • इस्तेमाल किए गए टिश्यूज को तुरंत कूड़ेदान में डाले दें।
  • पानी पीने का गिलास दूसरों के साथ शेयर न करें।
  • आप या कोई अन्य बीमार हो तो अपने स्वयं के गिलास या डिस्पोजेबल कप का उपयोग करें। इसके लिए सबके गिलास या कप में नाम के लेबल लगा सकते हैं।
  • धूम्रपान न करें। जो बच्चे लगातार तंबाकू के धुएं के संपर्क में आ रहे हैं, उनमें RSV और संभावित रूप से अधिक गंभीर लक्षण होने का खतरा अधिक होता है।
  • बच्चों के खिलौनों को नियमित रूप से साफ (कीटाणु रहित) करते रहें।

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