सिरे नहीं चढ़ पाई सीसीटीवी लगाने की योजना, फाइलों में कैद


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शहर में सीसीटीवी लगाने की योजना चार साल बाद भी सिरे नहीं चढ़ सकी। इस संबंध में नगर निगम की ओेर से 28 जगह सीसीटीवी लगाने के लिए साढ़े नौ करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया था, जो लंबे समय तक कार्यालय में धूल फांकता रहा। फिर सरकार से पत्र आया कि कैमरे गृह विभाग यानी पुलिस लगाएगी, लेकिन वर्षों बाद भी पुलिस निर्णय नहीं ले पाई कि सीसीटीवी लगाने हैं या नहीं।
लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए नगर निगम ने शहर में सीसीटीवी लगाने की योजना बनाई थी। यह कैमरे उस जगह लगाने थे जहां भीड़ ज्यादा रहती है और ट्रैफिक के कारण जाम रहता है। इसके अलावा जहां पर पहले आपराधिक वारदात ज्यादा हुई हों। इसके लिए नगर निगम अधिकारियों ने सर्वे भी कराया, जिसके अनुसार जगाधरी और यमुनानगर में 28 जगह सीसीटीवी लगाने के लिए चिह्नित किया गया। इन कैमरों का एस्टीमेट निगम ने करीब साढ़े नौ करोड़ रुपये बनाया था। इसे सुन कर हर कोई हैरान रह गया। इन कैमरों से शहर में एंट्री के सभी प्वाइंट कवर होने थे, क्योंकि कैमरे सहारनपुर रोड, बिलासपुर रोड, अंबाला रोड, छछरौली रोड, कुरुक्षेत्र रोड व अन्य कॉलोनियों व बाजारों में लगाए जाते। इसके बाद 2018 में सरकार ने निर्णय लिया कि सीसीटीवी शहरी एवं स्थानीय निकाय विभाग की बजाय पुलिस लगवाएगी, लेकिन आज तक इस पर कार्य आगे नहीं बढ़ पाया है।
सवालों के घेेरे में रहा सीसीटीवी का एस्टिमेट
नगर निगम द्वारा सीसीटीवी कैमरों का बनाया गया करोड़ों का प्रस्ताव भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि जब इन कैमरों को लगाने का एस्टीमेट बन रहा था, उसी दौरान जिला पुलिस ने उद्योगपतियों के सहयोग से जगाधरी व यमुनानगर शहर के सात चौक पर कैमरे लगवाए थे। प्रत्येक चौक पर हाई क्वालिटी के चार कैमरे लगाए गए हैं ताकि सभी दिशाओं से आने वाले वाहनों पर नजर रखी जा सके। तब इन सीसीटीवी पर 20 लाख रुपये खर्च आया था। यदि सात प्वाइंट पर 20 लाख रुपये खर्च आया था तो 28 प्वाइंट पर औसतन 80 लाख से एक करोड़ रुपये खर्च आना चाहिए था। तत्कालीन एसपी कमलदीप गोयल ने रोड सेफ्टी की बैठक में कहा था कि पंचकूला में भी इसी तर्ज पर कैमरे लगाए गए हैं, परंतु वहां पर भी नौ करोड़ रुपये से कई गुणा कम खर्च आया है। इस बारे में पंचकूला की फाइल को रिव्यू करने का निर्णय लिया गया था।
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इसलिए जरूरी हैं सीसीटीवी
शहर में सीसीटीवी होने इसलिए जरूरी है, क्योंकि कुछ सालों में झपटमारी, मारपीट, हत्या, लूट, अपहरण, सड़क हादसे जैसी घटनाएं काफी बढ़ी हैं। जब कोई वारदात होती है तो पुलिस लोगों के घरों व दुकानों के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज को खंगालती है। दूसरा आरोपियों की पहचान न होने से कई केस अनसुलझे रह जाते हैं। कैमरे लगे हों तो बदमाश पकड़े जाने के डर से उस एरिया में वारदात करने से पहले कई बार सोचते हैं।
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कैमरे लगाने की प्रक्रिया चल रही : मोहित हांडा
एसपी मोहित हांडा का कहना है कि शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाने की प्रक्रिया चल रही है। इस बारे में उच्चाधिकारियों से बात भी हुई है। उम्मीद है जल्द ही कैमरे लग जाएंगे। वहीं आमजन से भी अपील है कि वह घर या दुकान के बाहर सीसीटीवी जरूर लगवाएं। इससे सुरक्षा का माहौल पैदा होता है।

शहर में सीसीटीवी लगाने की योजना चार साल बाद भी सिरे नहीं चढ़ सकी। इस संबंध में नगर निगम की ओेर से 28 जगह सीसीटीवी लगाने के लिए साढ़े नौ करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया था, जो लंबे समय तक कार्यालय में धूल फांकता रहा। फिर सरकार से पत्र आया कि कैमरे गृह विभाग यानी पुलिस लगाएगी, लेकिन वर्षों बाद भी पुलिस निर्णय नहीं ले पाई कि सीसीटीवी लगाने हैं या नहीं।

लोगों की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए नगर निगम ने शहर में सीसीटीवी लगाने की योजना बनाई थी। यह कैमरे उस जगह लगाने थे जहां भीड़ ज्यादा रहती है और ट्रैफिक के कारण जाम रहता है। इसके अलावा जहां पर पहले आपराधिक वारदात ज्यादा हुई हों। इसके लिए नगर निगम अधिकारियों ने सर्वे भी कराया, जिसके अनुसार जगाधरी और यमुनानगर में 28 जगह सीसीटीवी लगाने के लिए चिह्नित किया गया। इन कैमरों का एस्टीमेट निगम ने करीब साढ़े नौ करोड़ रुपये बनाया था। इसे सुन कर हर कोई हैरान रह गया। इन कैमरों से शहर में एंट्री के सभी प्वाइंट कवर होने थे, क्योंकि कैमरे सहारनपुर रोड, बिलासपुर रोड, अंबाला रोड, छछरौली रोड, कुरुक्षेत्र रोड व अन्य कॉलोनियों व बाजारों में लगाए जाते। इसके बाद 2018 में सरकार ने निर्णय लिया कि सीसीटीवी शहरी एवं स्थानीय निकाय विभाग की बजाय पुलिस लगवाएगी, लेकिन आज तक इस पर कार्य आगे नहीं बढ़ पाया है।

सवालों के घेेरे में रहा सीसीटीवी का एस्टिमेट

नगर निगम द्वारा सीसीटीवी कैमरों का बनाया गया करोड़ों का प्रस्ताव भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि जब इन कैमरों को लगाने का एस्टीमेट बन रहा था, उसी दौरान जिला पुलिस ने उद्योगपतियों के सहयोग से जगाधरी व यमुनानगर शहर के सात चौक पर कैमरे लगवाए थे। प्रत्येक चौक पर हाई क्वालिटी के चार कैमरे लगाए गए हैं ताकि सभी दिशाओं से आने वाले वाहनों पर नजर रखी जा सके। तब इन सीसीटीवी पर 20 लाख रुपये खर्च आया था। यदि सात प्वाइंट पर 20 लाख रुपये खर्च आया था तो 28 प्वाइंट पर औसतन 80 लाख से एक करोड़ रुपये खर्च आना चाहिए था। तत्कालीन एसपी कमलदीप गोयल ने रोड सेफ्टी की बैठक में कहा था कि पंचकूला में भी इसी तर्ज पर कैमरे लगाए गए हैं, परंतु वहां पर भी नौ करोड़ रुपये से कई गुणा कम खर्च आया है। इस बारे में पंचकूला की फाइल को रिव्यू करने का निर्णय लिया गया था।

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इसलिए जरूरी हैं सीसीटीवी

शहर में सीसीटीवी होने इसलिए जरूरी है, क्योंकि कुछ सालों में झपटमारी, मारपीट, हत्या, लूट, अपहरण, सड़क हादसे जैसी घटनाएं काफी बढ़ी हैं। जब कोई वारदात होती है तो पुलिस लोगों के घरों व दुकानों के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज को खंगालती है। दूसरा आरोपियों की पहचान न होने से कई केस अनसुलझे रह जाते हैं। कैमरे लगे हों तो बदमाश पकड़े जाने के डर से उस एरिया में वारदात करने से पहले कई बार सोचते हैं।

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कैमरे लगाने की प्रक्रिया चल रही : मोहित हांडा

एसपी मोहित हांडा का कहना है कि शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाने की प्रक्रिया चल रही है। इस बारे में उच्चाधिकारियों से बात भी हुई है। उम्मीद है जल्द ही कैमरे लग जाएंगे। वहीं आमजन से भी अपील है कि वह घर या दुकान के बाहर सीसीटीवी जरूर लगवाएं। इससे सुरक्षा का माहौल पैदा होता है।

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