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हरियाणा बोर्ड ने 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम शुक्रवार दोपहर को जारी कर दिया। 10वीं में भी बेटियों ने बाजी मारी हैं। विक्टर स्कूल की छात्रा सिया ने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। खास बात यह है कि शुक्रवार को सिया का जन्मदिन भी था। ऐसे में परीक्षा परिणाम की खुशी दोगुनी हो गई।
वहीं टॉप-3 में जगह बनाने वाले छह विद्यार्थियों में से पांच छात्राएं हैं। टॉप करने वाले विद्यार्थियों ने बताया कि यू-ट्यूब पर विषय संबंधी वीडियो देखने से उनकी तैयारी काफी बेहतर हुई। सभी ने स्वाध्याय को प्राथमिकता दी और जिले के टॉप विद्यार्थियों में स्थान बनाया।
1. समय प्रबंधन को दी प्राथमिकता
विक्टर स्कूल में पढ़ने वाली सिया ने 494 अंक प्राप्त करके जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। छात्रा ने बताया कि रोज स्कूल का काम करने के बाद वह सोने से पहले छह से सात घंटे पढ़ाई करती थीं। कोई शंका होती तो वह यू-ट्यूब पर वीडियो देखकर प्रश्नों को हल करती थी । सिया ने बताया कि वह डाक्टर बनना चाहती है। उसके पिता रमेश नारंग व्यवसायी है। सिया ने बताया कि पढ़ाई में सबसे ज्यादा उसकी दीदी दीप्ती नारंग ने मदद की।
2. रोजाना दस घंटे तक की पढ़ाई
एसआरएम स्कूल के पढ़ने वाले अनिकेत ने 10वीं कक्षा की परीक्षा में 493 अंक प्राप्त करके जिले में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। उसने बताया कि वह दिन में 10 घंटे पढ़ाई करता था। अध्यापक जो स्कूल में पढ़ाते थे उसे रोज नोट कर लेता था। उसका आईएएस बनने का सपना है। अनिकेत के पिता नरेंद्र किसान और तीन भाई बहन हैं। अनिकेत ने बताया कि पढ़ाई करने के दौरान उनका सबसे अच्छा शिक्षक एवं दोस्त उनका स्मार्टफोन था। जिसके जरिए विषय संबंधी वीडियो देखकर एवं स्टडी मैटेरियल पढ़कर वह सभी समस्याओं का समाधान कर लेता था।
3. बिना ट्यूशन पाई सफलता
श्री गुरु राम दास स्कूल में पढ़ने वाली कोमल ने 493 अंक प्राप्त करके जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। कोमल 10वीं बोर्ड की परीक्षा के लिए रोजाना छह घंटे तक पढ़ाई करती थी। कोमल ने बताया कि वह कभी ट्यूशन नहीं गईं। स्कूल में अध्यापकों द्वारा समझने के बाद बस रोजाना उसी को दोहरा लेती थी। कोमल का सपना है कि आईएएस बनकर देश की सेवा करे। कोमल के पिता मुकेश प्राइवेट नौकरी करते हैं।
3. पढ़ाई में अध्यापकों की लेती थी मदद
विद्या निकेतन स्कूल में पढ़ने वाली कीर्ति ने 492 अंक प्राप्त करके जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। कीर्ति 10वीं की परीक्षा के लिए रोजाना पांच घंटे पढ़ाई करती थी। कीर्ति का सपना है कि वह डॉक्टर बने और जरूरतमंद लोगों का इलाज करे। कीर्ति अब मेडिकल स्ट्रीम में दाखिला लेकर एनईईट की तैयारी करेंगी। कीर्ति ने बताया कि वह परीक्षा के दौरान केवल व्हॉटसएप चलाती थी, लॉकडाउन के दौरान उसने यू-ट्यूब वीडियो से पढ़ाई की।
4. अतिरिक्त कक्षाओं की मदद से पाई सफलता
जाटल के राजकीय स्कूल में पढ़ने वाली दिपांशी ने 492 अंक प्राप्त करके जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। दिपांशी 10वीं की परीक्षा के रोजाना स्कूल में अतिरिक्त क्लास लगाती थी और छह घंटे पढ़ाई करती थी। दिपांशी का कहना है कि हर कोई बोलता है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कुछ नहीं कर सकते ऐसा नहीं है। अध्यापक और स्कूल अच्छा होना चाहिए। दिपांशी का लक्ष्य आईएएस अधिकारी बनने का है। जिसके लिए वह 11वीं कक्षा से कोचिंग लेकर तैयारी करेंगी।
5. रोजाना छह घंटे करती थी पढ़ाई
मॉर्डन शिक्षा सदन में पढ़ने वाली यीशु ने 492 अंक प्राप्त करे जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया। यीशु के पिता अध्यापक है। यीशु ने बताया कि वह रोजाना 5 से छह घंटे तक पढ़ाई करती थी। स्वाध्याय और शिक्षकों से फोन पर बात करके वह अपने विषय संबंधी सभी समस्याओं को हल करती थी। यीशु का सपना डॉक्टर बनने का है। जिसके लिए वह 11वीं कक्षा से मेडिकल संकाय में दाखिला लेकर तैयारी करेंगी।
हरियाणा बोर्ड ने 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम शुक्रवार दोपहर को जारी कर दिया। 10वीं में भी बेटियों ने बाजी मारी हैं। विक्टर स्कूल की छात्रा सिया ने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। खास बात यह है कि शुक्रवार को सिया का जन्मदिन भी था। ऐसे में परीक्षा परिणाम की खुशी दोगुनी हो गई।
वहीं टॉप-3 में जगह बनाने वाले छह विद्यार्थियों में से पांच छात्राएं हैं। टॉप करने वाले विद्यार्थियों ने बताया कि यू-ट्यूब पर विषय संबंधी वीडियो देखने से उनकी तैयारी काफी बेहतर हुई। सभी ने स्वाध्याय को प्राथमिकता दी और जिले के टॉप विद्यार्थियों में स्थान बनाया।
1. समय प्रबंधन को दी प्राथमिकता
विक्टर स्कूल में पढ़ने वाली सिया ने 494 अंक प्राप्त करके जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। छात्रा ने बताया कि रोज स्कूल का काम करने के बाद वह सोने से पहले छह से सात घंटे पढ़ाई करती थीं। कोई शंका होती तो वह यू-ट्यूब पर वीडियो देखकर प्रश्नों को हल करती थी । सिया ने बताया कि वह डाक्टर बनना चाहती है। उसके पिता रमेश नारंग व्यवसायी है। सिया ने बताया कि पढ़ाई में सबसे ज्यादा उसकी दीदी दीप्ती नारंग ने मदद की।
2. रोजाना दस घंटे तक की पढ़ाई
एसआरएम स्कूल के पढ़ने वाले अनिकेत ने 10वीं कक्षा की परीक्षा में 493 अंक प्राप्त करके जिले में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। उसने बताया कि वह दिन में 10 घंटे पढ़ाई करता था। अध्यापक जो स्कूल में पढ़ाते थे उसे रोज नोट कर लेता था। उसका आईएएस बनने का सपना है। अनिकेत के पिता नरेंद्र किसान और तीन भाई बहन हैं। अनिकेत ने बताया कि पढ़ाई करने के दौरान उनका सबसे अच्छा शिक्षक एवं दोस्त उनका स्मार्टफोन था। जिसके जरिए विषय संबंधी वीडियो देखकर एवं स्टडी मैटेरियल पढ़कर वह सभी समस्याओं का समाधान कर लेता था।
3. बिना ट्यूशन पाई सफलता
श्री गुरु राम दास स्कूल में पढ़ने वाली कोमल ने 493 अंक प्राप्त करके जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। कोमल 10वीं बोर्ड की परीक्षा के लिए रोजाना छह घंटे तक पढ़ाई करती थी। कोमल ने बताया कि वह कभी ट्यूशन नहीं गईं। स्कूल में अध्यापकों द्वारा समझने के बाद बस रोजाना उसी को दोहरा लेती थी। कोमल का सपना है कि आईएएस बनकर देश की सेवा करे। कोमल के पिता मुकेश प्राइवेट नौकरी करते हैं।
3. पढ़ाई में अध्यापकों की लेती थी मदद
विद्या निकेतन स्कूल में पढ़ने वाली कीर्ति ने 492 अंक प्राप्त करके जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। कीर्ति 10वीं की परीक्षा के लिए रोजाना पांच घंटे पढ़ाई करती थी। कीर्ति का सपना है कि वह डॉक्टर बने और जरूरतमंद लोगों का इलाज करे। कीर्ति अब मेडिकल स्ट्रीम में दाखिला लेकर एनईईट की तैयारी करेंगी। कीर्ति ने बताया कि वह परीक्षा के दौरान केवल व्हॉटसएप चलाती थी, लॉकडाउन के दौरान उसने यू-ट्यूब वीडियो से पढ़ाई की।
4. अतिरिक्त कक्षाओं की मदद से पाई सफलता
जाटल के राजकीय स्कूल में पढ़ने वाली दिपांशी ने 492 अंक प्राप्त करके जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। दिपांशी 10वीं की परीक्षा के रोजाना स्कूल में अतिरिक्त क्लास लगाती थी और छह घंटे पढ़ाई करती थी। दिपांशी का कहना है कि हर कोई बोलता है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे कुछ नहीं कर सकते ऐसा नहीं है। अध्यापक और स्कूल अच्छा होना चाहिए। दिपांशी का लक्ष्य आईएएस अधिकारी बनने का है। जिसके लिए वह 11वीं कक्षा से कोचिंग लेकर तैयारी करेंगी।
5. रोजाना छह घंटे करती थी पढ़ाई
मॉर्डन शिक्षा सदन में पढ़ने वाली यीशु ने 492 अंक प्राप्त करे जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया। यीशु के पिता अध्यापक है। यीशु ने बताया कि वह रोजाना 5 से छह घंटे तक पढ़ाई करती थी। स्वाध्याय और शिक्षकों से फोन पर बात करके वह अपने विषय संबंधी सभी समस्याओं को हल करती थी। यीशु का सपना डॉक्टर बनने का है। जिसके लिए वह 11वीं कक्षा से मेडिकल संकाय में दाखिला लेकर तैयारी करेंगी।
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